जब बॉस की काग़ज़ी सख़्ती ने दफ़्तर को बना दिया 'मूर्खों की सभा
हर दफ़्तर में एक न एक ऐसा मैनेजर ज़रूर होता है जिसे लगता है कि अगर बिना उसकी इजाज़त के पंखा भी चला तो कंपनी डूब जाएगी। ऐसे बॉसों का 'कंट्रोल प्रेम' किसी फिल्मी खलनायक से कम नहीं होता। लेकिन जनाब, जब कंट्रोल की रस्सी ज़्यादा कस दी जाए, तो गाड़ी पटरी से उतरना तय है। आज की कहानी कुछ ऐसी ही है—जहाँ एक कर्मचारी ने अपने मैनेजर की 'लिखित अनुमोदन' वाली सनक को उसी की भाषा में जवाब दिया, और नतीजा? पूरे दफ़्तर में हड़कंप!
सोचिए, अगर आपके ऑफिस में हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए आपको बॉस से लिखित में 'हाँ' लेनी पड़े—फाइल भेजने से लेकर, चाय पीने तक! यही हुआ एक मिड-साइज़ कंपनी में, जहाँ नए मैनेजर ने सिर्फ़ कंट्रोल के नाम पर कर्मचारियों की नाक में दम कर दिया।