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किस्सागो

होटल की रिसेप्शन पर उलझन की महाफिल्म: कौन सा कमरा, किसका कमरा, और ये सब किसका सिरदर्द?

एक उलझन में पड़े पात्र की कार्टून-3D चित्रण, जो एक रहस्यमय कमरे में किसी और को खोज रहा है।
इस जीवंत कार्टून-3D दृश्य में, हमारी नायिका एक अनपेक्षित मेहमान को देखकर चौंक जाती है। हमारी कहानी के भाग 2 में इस उलझन में हमारे साथ शामिल हों!

होटल की रिसेप्शन पर काम करने वालों की ज़िंदगी वैसे ही किसी बॉलीवुड की मसाला फिल्म से कम नहीं होती। हर दिन नया किरदार, नई कहानी, और दिमाग घुमा देने वाले ट्विस्ट! लेकिन जब उलझन इतनी हो जाए कि रिसेप्शनिस्ट से लेकर मेहमान तक सबकी बुद्धि भ्रमित हो जाए, तब? आज आपको सुनाते हैं ऐसी ही एक किस्से की कहानी, जिसमें ‘कौन सा कमरा, किसका कमरा’—इस सवाल ने सबको हिला डाला।

ऑफिस केविन: जब डेली में निकला ‘जुगाड़ू’ सुपर जीनियस

डेली में केविन का सिनेमाई दृश्य, निन्टेंडो स्विच खेलते हुए और सैंडविच के ऑर्डर को अनदेखा करते हुए।
इस सिनेमाई चित्रण में, हम केविन को डेली में देखते हैं, जो अपने निन्टेंडो स्विच में खोए हुए हैं जबकि सैंडविच स्टेशन अनछुआ है। उनकी आरामदायक मानसिकता और व्याकुलता की प्रवृत्ति कुछ अविस्मरणीय कार्यकथा बनाती है!

क्या आपने कभी अपने ऑफिस या दुकान में ऐसे किसी इंसान को देखा है, जो काम कम और किस्से ज्यादा करता है? हर दफ्तर या दुकान में एक न एक ऐसा किरदार जरूर होता है, जो बाकी सब से बिल्कुल अलग हो। आज की कहानी है ‘केविन’ की, जो सच में केविन ही था – नाम भी, काम भी, और किस्से भी!

डेली (यानी हमारे यहां के समोसा-जलेबी वाली दुकान जैसी जगह) में काम करने वाला ये ‘केविन’ इतना लापरवाह, इतना जुगाड़ू और इतना ‘अनोखा’ था कि उसके कारनामे सुनकर आप हँसी रोक नहीं पाएंगे। चलिए, जानते हैं उस केविन के किस्से, जिसने काम से ज़्यादा लोगों का मनोरंजन किया।

जब बेटे ने अपनी माँ को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया: सीमाओं की जंग

हमारे देश में माँ-बेटे का रिश्ता बड़ा अनूठा और गहरा होता है। माँ हर बात जानना चाहती हैं – बेटा क्या खाता है, कब सोता है, और सबसे अहम, उसकी शादी और निजी जिंदगी कब पटरी पर आएगी! लेकिन क्या हो, जब माँ खुद सारी सीमाएँ पार करने लग जाए? आज की कहानी कुछ ऐसी ही है, जहाँ बेटे ने माँ को उन्हीं के अंदाज में बड़ा ही मज़ेदार जवाब दिया।

जब मेहमान ने गले लगाने की ज़िद पकड़ ली: होटल रिसेप्शनिस्ट की अनोखी परेशानी

होटल की रिसेप्शन डेस्क पर काम करना कभी-कभी ऐसा महसूस करवाता है जैसे हर दिन एक नई कहानी गढ़ी जा रही हो। लोग आते हैं, मुस्कराते हैं, कुछ शिकायतें करते हैं, कुछ तारीफें—but कभी-कभार कोई ऐसी घटना घट जाती है कि दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और दिमाग सुन्न पड़ जाता है। कुछ ऐसा ही अनुभव हमारे 22 वर्षीय मित्र के साथ हुआ, जब एक महिला मेहमान ने उनसे बार-बार गले लगाने की ज़िद पकड़ ली।

सुपरमार्केट में छोटी हाइट वाली ग्राहक को मिली ‘छोटी’ सी बदला-लीला!

हम सबने कभी न कभी बाजार या सुपरमार्केट में ऐसे लोगों का सामना किया है, जो बेवजह रूखा व्यवहार करते हैं। लेकिन क्या हो, अगर ऐसे किसी बदतमीज़ ग्राहक को उसी की भाषा में हल्का सा सबक मिल जाए? आज की कहानी है न्यूजीलैंड के एक सुपरमार्केट की, जहाँ एक लंबा ग्राहक और एक छोटी हाइट वाली महिला की मुलाकात ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया!

मंगलवार की सुबह थी, दुकान में सन्नाटा पसरा था और हर कोई अपने-अपने सामान में व्यस्त था। तभी एक छोटी हाइट वाली महिला ने अपने बर्ताव से माहौल को गरमा दिया – लेकिन उसका जवाब मिला, एकदम ‘लंबी’ सोच और ‘छोटी’ सी बदला-लीला के साथ!

जब रात के होटल रिसेप्शन पर प्रिंटिंग बन गई सरदर्दी – एक मज़ेदार अनुभव

होटल की रिसेप्शन डेस्क पर रात की ड्यूटी वैसे भी कम रोमांचक नहीं होती, लेकिन जब कोई मेहमान अजीबो-गरीब फरमाइश लेकर आ जाए, तो मामला कुछ और ही रंग पकड़ लेता है। ऐसी ही एक किस्सा है – जब एक सज्जन मेहमान ने आधी रात को प्रिंटिंग की ज़िद पकड़ ली, और फिर जो हुआ, वो सुनकर आप भी मुस्कुरा उठेंगे।

होटल की मेहरबानी या ग्राहक का हक? – नाश्ते के कूपन पर मची महाभारत!

होटल रिसेप्शन पर आपने कभी काम किया हो या बस किसी शादी में रुके हों, तो आप जानते होंगे – मेहमानों की फरमाइशें और ड्रामे का कोई अंत नहीं। पर इस बार जो हुआ, वो तो जैसे हिंदी सीरियल के लिए भी ज़्यादा हो जाता! सोचिए, एक छोटी-सी बात, यानी होटल के नाश्ते के कूपन पर ऐसा घमासान मच गया कि रिसेप्शन वालों की सांसें ही अटक गईं।

जब आलसी सहकर्मी को मिला उसके ही सिक्के से जवाब: एक देखभाल गृह की कहानी

आजकल के ऑफिस या कामकाज की दुनिया में एक कहावत बहुत मशहूर है—"कामचोर को जब तक उसकी चौकीदारी न करनी पड़े, तब तक उसे मेहनत का असली मतलब नहीं पता चलता!" कुछ ऐसी ही कहानी आई है एक देखभाल गृह (केयर होम) से, जो Reddit पर वायरल हो गई और हर उस इंसान को सुकून दे गई, जिसे कभी न कभी अपने 'ब्रायन' जैसे सहकर्मियों से दो-चार होना पड़ा है।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर किस्सा है क्या? चलिए, चाय की चुस्की लेकर बैठिए, क्योंकि यह कहानी तो हर भारतीय ऑफिस की हकीकत को भी छू जाती है!

होटल में पानी की बोतलें बंद हुईं, रिसेप्शन पर आई राहत की सांस!

होटल के रिसेप्शन पर खुश स्टाफ, मेहमानों के लिए मुफ्त पानी की बोतलों के अंत का जश्न मनाते हुए।
एक सिनेमाई खुशी के पल में, रिसेप्शन टीम उस छोटे बदलाव का आनंद ले रही है जिसने उनके दिन को रोशन कर दिया है—अब पानी की बोतलों के लिए अंतहीन अनुरोध नहीं! इसके बजाय, एंबेसडर अब व्यक्तिगत स्वागत सामग्री का आनंद लेते हैं, जिससे हर इंटरैक्शन थोड़ा खास हो जाता है।

होटल की रिसेप्शन पर काम करने वाले लोगों की ज़िंदगी जितनी चमकदार दिखती है, असल में उतनी ही रंग-बिरंगी और कभी-कभी परेशानी भरी भी होती है। सोचिए, पूरा दिन लोग आते-जाते हैं, कोई चेक-इन करता है, कोई चेक-आउट, कोई रूम की चाबी भूल जाता है, तो कोई सामान। लेकिन, इन सबसे हटकर एक छोटी सी चीज़ है जिसने रिसेप्शनिस्ट की नींदें उड़ा रखी थीं – मुफ्त पानी की बोतलें!

ऊबर को क्या बताऊं? गलती मेरी या आपकी? होटल की मज़ेदार कहानी

डी होटल में बुकिंग समस्याओं से परेशान एक उलझन में पड़ा होटल कर्मचारी का कार्टून-3डी चित्रण।
इस मजेदार कार्टून-3डी दृश्य में, हमारा होटल कर्मचारी डी होटल में बुकिंग की गड़बड़ियों से हास्यपूर्वक अभिभूत है। जानिए कैसे सामान्य गलतफहमियां मेहमानों के अनुभवों को आश्चर्यजनक बना सकती हैं और संचार में स्पष्टता का महत्व!

होटल की रिसेप्शन डेस्क पर काम करना किसी रोलरकोस्टर की सवारी से कम नहीं। हर रात नए-नए किरदार, नई-नई परेशानियाँ और कभी-कभी ऐसी घटनाएँ, जिनका ज़िक्र करते हुए हँसी छूट जाए! आज आपके लिए एक ऐसी ही कहानी लेकर आया हूँ, जिसमें एक साहब ने अपनी 'स्मार्टनेस' की वजह से होटल वालों की परीक्षा ले डाली।