ऑफिस में गैसलाइटिंग का बदला: जब कर्म ने अपना काम दिखाया
कहते हैं, "जैसा बोओगे, वैसा काटोगे।" लेकिन क्या हो जब बोया हुआ बीज सालों बाद किसी और खेत में उगे? आज की कहानी एक ऐसे ही कर्मचारी की है, जिसे उसके गैर-लाभकारी (Nonprofit) ऑफिस में बेमतलब की साजिशों का शिकार बनाया गया — और फिर किस्मत ने ऐसा पलटा मारा कि खुद ऑफिस वाले ही पछता गए।
हमारे देश में भी, ऑफिस की राजनीति और 'मुँह पे कुछ, पीठ पीछे कुछ और' वाली संस्कृति खूब देखने को मिलती है। कभी बॉस 'सब ठीक है' कहकर मुस्कुराता है, तो अगले ही पल आपकी जिम्मेदारियाँ किसी और को थमा देता है। आज हम जानेंगे, कैसे एक 'सीधा-सादा' बदला, सालों बाद एक बड़े मौके की तरह सामने आया।