होटल की रिसेप्शन पर बुज़ुर्ग मेहमान का ड्रामा: 'अरे भैया, मन की बात तो कोई समझो!
होटल की रिसेप्शन पर काम करना वैसे ही आसान नहीं है, और अगर ग्राहक में थोड़ा सा भी 'नखरा' हो तो समझ लीजिए दिन बन गया! आज की कहानी ऐसी ही एक बुज़ुर्ग हस्ती की है, जिन्हें न सिर्फ़ अपने मन की बात बिना बोले समझवानी थी, बल्कि हर बात में 'मैंने फौज में सेवा दी है' का तड़का भी लगाना था।
अब सोचिए, हमारे यहाँ तो बड़ों की इज़्ज़त करना संस्कार है, लेकिन जब कोई मेहमान अपना ही शहंशाह बन जाए... तो क्या रिसेप्शन वाला बाबा रामदेव हो जाए?