जब थेरेपिस्ट की 'सच्चाई' उनसे ही भारी पड़ गई: एक अनोखा थेरेपी अनुभव
"बेटा, जो भी मन में हो, खुलकर कहो।" हमारे यहां तो बचपन से ही ये सुनते आए हैं, लेकिन जब सच में मन की बात कह दो, तो सामने वाला नाक-भौं सिकोड़ने लगता है। ऐसा ही कुछ हुआ Reddit यूज़र u/hollowcitylights के साथ, जब उन्होंने अपने थेरेपिस्ट की 'बिना फिल्टर ईमानदारी' वाली सलाह को थोड़ा ज़्यादा ही गंभीरता से ले लिया।
सोचिए, आप किसी मनोवैज्ञानिक (psychologist) के पास जाते हैं, और हर सेशन में वही घिसी-पिटी लाइन सुनते हैं – "यहां आप पूरी तरह सुरक्षित हैं, जो चाहें कह सकते हैं, बिल्कुल भी न छुपाएं, न शरमाएं।" अब भाई साहब एक दिन सचमुच बिना लाग-लपेट के बोल पड़े। फिर जो हुआ, वो तो किसी बॉलीवुड ड्रामे से कम नहीं था!