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हैलोवीन की रात: होटल में मच गया बवाल, कॉलेज टाउन का कड़वा सच!

हैलोवीन पार्टी करने वालों से भरा होटल लॉबी का जीवंत दृश्य
होटल लॉबी हैलोवीन उत्सवों से गुलजार हो उठी है, जहां पार्टी करने वाले चेक-इन कर रहे हैं और अपने अनोखे रंग जमा रहे हैं।

त्योहारों का मौसम आते ही हर जगह रौनक सी छा जाती है। लेकिन अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ दीवाली या होली ही धमाल लाती है, तो ज़रा सोचिए कि पश्चिमी देशों के हैलोवीन जैसे त्योहारों में होटल वालों की क्या हालत होती होगी! कॉलेज टाउन के एक होटल में काम करने वाले कर्मचारी की कहानी जानिए, जिसमें हैलोवीन वीकेंड के दौरान होटल में हुई ऐसी घटनाएँ हुईं कि सुनकर आपको अपने मोहल्ले की बारात या शादी की रात याद आ जाएगी।

हैलोवीन का जादू: जब असली और नकली पहचान का खेल शुरू हुआ

होटल में एक लड़की आई, चेहरे पर आत्मविश्वास और हाथ में आईडी। रिसेप्शनिस्ट ने जैसे ही आईडी देखी, पता चला उम्र है सिर्फ़ 18 साल। होटल के नियम हैं कि 21 साल से कम की उम्र वाले को कमरा नहीं मिलता। लड़की बोली, “एक सेकंड दीजिए,” और तुरंत अपनी ‘फेक आईडी’ निकाल लाई। उसमें नाम भी अलग! जब रिसेप्शनिस्ट ने मना किया तो बुरा मान गई - “यही आईडी हर बार में चल जाती है!” भाई, बार वाले तो फिर भी मान लें, होटल का कागज़ी काम तो अलग ही लेवल का है।

यहाँ कई पाठकों ने मज़ेदार टिप्पणियाँ लिखीं - “अरे, हमारे यहाँ तो नकली आईडी से शादी भी हो जाती है, होटल में कमरा तो क्या ही बड़ी बात है!”

होटल का असली डर: हैलोवीन की रात और अजीबोगरीब मेहमान

एक ओर कोई लड़की पूछ रही थी – “भैया, कहीं से कोक (Coke) मिल सकती है?” सुनने में तो लगा कि कोल्ड ड्रिंक की बात हो रही है, लेकिन असल में मामला कुछ ज़्यादा ही ‘ऊँचे लेवल’ का था। रिसेप्शनिस्ट ने चुटकी ली – “बहन जी, हमारे पास तो स्नैक शॉप में कोक है… लेकिन आप जिस ‘कोक’ की बात कर रही हैं, वो तो पुलिस के बस का ही मामला है!”

एक साहब ‘Scream’ मास्क पहनकर आए, आईडी दी और जब चेहरा दिखाने को कहा तो मानो आत्मा ही निकल गई। 30 सेकंड दोनों की आँखों में आँखें, आखिरकार आधे सेकंड के लिए मास्क उठाया – “मेरा मिस्टिक (रहस्यमय अंदाज़) खराब हो रहा है!” भैया, रहस्यमय तो आप थे, अब पुलिस ही आपकी रहस्य की परत खोल सकती थी।

सच पूछिए तो भारत के किसी होटल में कोई ऐसे मास्क पहनकर आता, तो रिसेप्शनिस्ट सीधा कहता, “भाईसाहब, बारात का घोड़ी यहाँ नहीं बंधती!”

होटल में ‘विक्टोरिया नंबर 203’: चीख-पुकार और ‘भूत’ की प्रैक्टिस

एक रात रिसेप्शनिस्ट आराम से यूट्यूब देख रहा था, तभी कमरे से फोन आया – “भैया, पास के कमरे से भूत जैसी चीखें आ रही हैं!” रिसेप्शनिस्ट ऊपर गया तो सच में डरावनी चीख सुनाई दी। दरवाजा खटखटाया, तो एक लड़की निकली, चेहरे पर नकली खून और घबराई हुई। पूछने पर बोली – “मैं तो हैलोवीन के हॉन्टेड हाउस के लिए प्रैक्टिस कर रही थी, लगा कमरा साउंडप्रूफ है!”

इस पर एक पाठक ने लिखा, “बिल्कुल नई लड़की है क्या, होटल के कमरे साउंडप्रूफ होते तो परिवार वाले कभी शिकायत ही न करते!” किसी ने तो यहाँ तक कह दिया, “हमारे यहाँ तो शादी के बाद भी कमरे से आवाजें बाहर ही जाती हैं!”

बेशर्मी की हदें, नशे की महफिल और पुलिस की रेड

रात 9 बजे एक 60 साल के बुजुर्ग कमरे की माँग लेकर आए, तभी कॉलेज की लड़कियों का ग्रुप पार्टी ड्रेस में बाहर निकला। साहब तो जैसे शायद जवानी के दिनों में पहुँच गए – बोले, “मुझे इन्हीं के बगल वाला कमरा दीजिए।” रिसेप्शनिस्ट ने मन ही मन सोचा – “मामा जी, यहाँ तो सबका ध्यान रखा जाता है!”

फिर, एक ग्रुप आया – लड़का चुपचाप चाबी ले रहा था, अचानक धुएँ का गुबार निकला। रिसेप्शनिस्ट ने समझाया – “देखो, यहाँ गांजा पीना गैरकानूनी है, बाहर जाओ, वरना पुलिस बुलानी पड़ेगी।” लड़का बोला – “भैया, बस थोड़ी ठंड थी, इसलिए कमरे में पी लिया।” 10 मिनट बाद कमरे से ‘कुश-कुश’ की खुशबू आई, पुलिस आई, दरवाजा खुला तो पूरी महफिल चल रही थी। सबको लाइन में खड़ा किया गया, बोंग (हुक्का जैसा पाइप) गिरा, लड़कियाँ रोने लगीं, लड़के ‘ACAB’ (पुलिस विरोधी नारा) लगाने लगे। पुलिस ने कहा – “बेटा, बाहर पीते, तो बच जाते!”

यहाँ एक पाठक ने लिखा, “इस बार तो पुलिस ने सबक सिखा ही दिया, वरना ऐसे लोग हर साल मिलते हैं।” किसी ने तो यहाँ तक जोड़ दिया, “हमारे होटल में तो अब लोकल लोगों को आधी रात के बाद कमरा ही नहीं देते – सिरदर्द कम रहता है!”

पाठकों की राय: होटल वालों की हिम्मत को सलाम!

कई पाठकों ने कहा कि इन कर्मचारियों की हिम्मत को दाद देनी चाहिए। “अगर मैं होता, तो आधी रात में ही सब छोड़-छाड़ भाग जाता!” एक ने यहाँ तक जोड़ दिया, “हैलोवीन के बाद बचे हुए कैंडी से ही दिल बहलाना ठीक है, पार्टी वाले तो चैन से सोने ही नहीं देते।”

एक महिला पाठक ने लिखा, “60 साल के आदमी का लड़कियों के कमरे के बगल में रूम माँगना बिल्कुल घटिया हरकत है, ऐसे लोगों को सीधा मना कर देना चाहिए।”

निष्कर्ष: कॉलेज टाउन के होटल – यहाँ हर रात है ‘एंटरटेनमेंट’

तो भई, हैलोवीन हो या कोई और त्योहार, कॉलेज टाउन के होटल में हर रात किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। नकली आईडी, मिस्ट्री मास्क, भूतिया चीख, नशे की महफिल और बेशर्म मेहमान – होटल वालों के लिए ये सब आम बात है!

आपके मोहल्ले या शहर में भी ऐसी कोई होटलिया कहानी है? नीचे कमेंट में ज़रूर बताइए और अपने अनुभव साझा करें। अगली बार जब भी होटल जाएँ, कर्मचारियों की मेहनत और सब्र को सलाम करना न भूलें – क्या पता, अगला किस्सा उन्हीं की ज़ुबानी हमारे ब्लॉग पर आ जाए!


मूल रेडिट पोस्ट: Halloween Shenanigans