होटल रिसेप्शन पर मज़ेदार मुठभेड़: 'भैया, बस परिवार मिलन के लिए बुकिंग चाहिए!

क्रिसमस के दौरान फोन कॉल का जवाब देते हुए निराश कर्मचारी, छुट्टियों की हलचल और परेशानी को दर्शाता है।
क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक थका हुआ डेस्क कर्मचारी एक अजीब कॉल लेते हुए, छुट्टियों की अराजकता और अप्रत्याशित चुनौतियों को बेहतरीन तरीके से दर्शाता है।

दोस्तों, आप में से कई लोग ये सोचते होंगे कि होटल में रिसेप्शन डेस्क पर बैठना बड़ा आसान काम है — बस मुस्कराइए, चाबी दीजिए, और पैसे लीजिए। लेकिन असली दुनिया इससे कहीं ज़्यादा रंगीन है! सोचिए, क्रिसमस की छुट्टियों में जब सब घर-परिवार के साथ जश्न मना रहे हों, तब किसी होटल के रिसेप्शनिस्ट की ड्यूटी लगी हो। और ऊपर से, ऐसे-ऐसे मेहमान मिलें कि आपकी हँसी भी छूट जाए और माथा भी ठनक जाए!

अब सुनिए मेरी क्रिसमस ईव और क्रिसमस डे की ड्यूटी की असली कहानी। थोड़ा मूड वैसे ही खराब था — घरवालों की याद, और ऊपर से काम का बोझ। तभी एक फोन आता है। उधर से एक जनाब इतने अजीब लहजे में बोलते हैं कि सुनकर ही हँसी आ जाए, "मुझे x-y परिवार मिलन के लिए रिजर्वेशन करानी है।"

अब, हमारी संस्कृति में भी तो शादी-ब्याह, तीज-त्योहार या परिवार मिलन (family reunion) बड़े ही धूमधाम से होते हैं। कई बार रिश्तेदार होटल में ही ठहरने आते हैं, और किसी एक सज्जन को ये ज़िम्मेदारी मिलती है कि सबके लिए कमरे बुक कराए। तो वैसे तो मामला सीधा लगता है, लेकिन साहब, यहाँ मामला उल्टा था!

मैंने बड़ी विनम्रता से पूछा, "आप कब से कब तक हमारे यहाँ ठहरना चाहेंगे?"

अब, उधर से ऐसा सन्नाटा छाया कि जैसे कक्षा में मास्टरजी ने गणित का सवाल पूछ लिया हो। फिर वही जनाब, अबकी बार थोड़ा ज़्यादा ज़ोर से और धीरे-धीरे बोले — "मुझे... x-y परिवार मिलन... के लिए... रिज़र्वेशन... करानी है।"

मुझे लगा जैसे मैं किसी स्कूल के बच्चे से पूछ रहा हूँ कि 'दूध का रंग क्या है' और वो बार-बार कह रहा है, "दूध चाहिए!"

यहाँ मुझे एक कमेंट की याद आई — "भैया, अगर हर बार कोई बस 'परिवार मिलन' बोलकर बुकिंग करवा सकता, तो हमें कोई डेट्स ही क्यों पूछनी पड़ती?" (u/Various_Jelly20)। एक और मजेदार कमेंट था, "जनाब को लगता है जैसे होटल के कंप्यूटर में 'परिवार मिलन' नाम का बटन दबाओ और सारी जानकारी अपने-आप आ जाएगी!" (u/CaptainYaoiHands) सच बात है, कई लोग सोचते हैं कि होटलवाले सब जानते हैं, बस नाम बताओ और कमरा मिल जाए।

मैंने फिर समझाया, "सर, मैं आपकी बुकिंग करना चाहता हूँ, लेकिन हमारे यहाँ कई इवेंट्स होते हैं। मुझे आपके आने-जाने की तारीखें चाहिए।"

लेकिन जनाब तो जैसे तर्क-वितर्क की दुनिया से बाहर थे। बोले, "भैया, मैं तो सिर्फ 'परिवार मिलन' के लिए बुकिंग चाहता हूँ — तारीख क्यों चाहिए?"

अब सोचिए, अगर कोई रिश्तेदार आपको फोन करे और बोले, "भाई, शादी में आ रहा हूँ।" और जब आप पूछें, "कब?" तो बोले, "शादी में!" — तो आप क्या करेंगे?

इसी बीच एक कमेंट ने बड़े मजेदार तंज कसा, "माफ कीजिए, हमारे यहाँ इस महीने पाँच 'मूर्ख परिवार' मिलन है, आप किसमें आ रहे हैं?" (u/Ill-Running1986)। और एक और ने तो कह दिया, "शायद उसे लगता है कि वो इतना मशहूर है कि होटलवाले खुद ही तारीख जान जाएंगे!" (u/Playful-Park4095)

खैर, मैंने सोचा कि ज़्यादा समझाना फिजूल है। मैंने सीधा कहा, "सर, आपको ग्रुप छूट (discount) तभी मिलेगी जब आप तारीखें बताएँगे।"

अब तो उधर से 30 सेकंड तक सिर खुजलाने की आवाज आई, कुछ कागज़ फड़फड़ाए, और आखिरकार तारीखें मिलीं। आखिरकार बुकिंग हो गई, लेकिन अंदर ही अंदर मैं सोच रहा था, "भई, अगर किसी का पसंदीदा स्वाद नीला क्रेयॉन हो, तो क्या किया जा सकता है!"

कई कमेंट्स में होटल कर्मचारियों ने अपना अनुभव साझा किया — "अक्सर लोग सोचते हैं कि बस ग्रुप का नाम बताओ और सब हो जाएगा, लेकिन असल में हमें भी डेट्स चाहिए होती हैं, क्योंकि एक ही दिन में कई इवेंट्स चलते हैं।" (u/BubblyFangz, u/stoneshadow85)

यहाँ दिलचस्प बात ये है कि अक्सर ग्राहक भी कन्फ्यूज़ रहते हैं, क्योंकि उन्हें सिस्टम का पता नहीं होता। एक सज्जन ने लिखा, "मैं भी यही सोचता था कि नाम से बुक हो जाती होगी, लेकिन अब समझ आया कि तारीख कितनी ज़रूरी है।" (u/Head_Razzmatazz7174)

दरअसल, चाहे भारत हो या विदेश — होटल में काम करना अपने-आप में एक कला है। हर ग्राहक अलग, हर कहानी अनोखी। कभी-कभी तो लगता है जैसे आप परिवार के बुज़ुर्ग बन गए हों जो सबको हर बात बार-बार समझा रहे हैं।

कुछ लोग मानते हैं कि शायद कॉल करने वाला रिश्तेदार ही 'आउटसाइडर' था — हो सकता है कि उसे परिवार मिलन की तारीख ही न पता हो, और वो बस 'जासूसी' के लिए फोन कर रहा हो! (u/SeaToe9004) — ये तो वही बात हो गई कि मोहल्ले में शादी है, और कोई दूर का काका बिना न्योते पहुँच जाए।

अंत में, यही कहूँगा कि रिसेप्शन डेस्क पर काम करना है तो धैर्य, हँसी-मज़ाक और थोड़ी-बहुत 'दादी-नानी' वाली समझदारी साथ रखना ज़रूरी है। अगली बार जब आप होटल में बुकिंग कराने जाएँ, तो तारीखें साथ में लिखकर ले जाएँ — और अगर कोई परिचित बुकिंग करवा रहा हो, तो उसे भी समझा दें कि "सिर्फ नाम से बुकिंग नहीं होती बेटा, तारीख भी बताओ!"

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कोई मज़ेदार वाकया हुआ है? नीचे कमेंट में ज़रूर बताइएगा! होटल की इन कहानियों में हँसी भी है, सीख भी — और शायद अगली बार आप खुद रिसेप्शन वाले को मुस्कुराने पर मजबूर कर दें!


मूल रेडिट पोस्ट: I just spoke with one of the dumbest