होटल रिसेप्शन डेस्क की आखिरी हफ्ते की कहानी: जब सब्र का बाँध टूट गया!
होटल रिसेप्शन पर काम करना जितना ग्लैमरस फिल्मों में दिखता है, असलियत में उतना ही चुनौतीपूर्ण होता है। मुस्कान चेहरे पर चिपकाए हर मेहमान की फरमाइशें झेलना, बॉस के ताने सुनना और फिर भी "अतिथि देवो भव:" की भावना नहीं छोड़ना—यही है होटल इंडस्ट्री का असली चेहरा। आज मैं आपके लिए ला रही हूँ अपने रिसेप्शन डेस्क के आखिरी हफ्ते की कुछ ताज़ा-तरीन और दिलचस्प कहानियाँ, जिन्हें पढ़कर आप कहेंगे—"यह तो हमारे भारत के ऑफिसों जैसा ही है!"
पुराने मालिक, नई मुसीबतें
किसी भी भारतीय दफ्तर में पुराने बॉस का जलवा देखना आम बात है। हमारे होटल का नाम भी पुराने मालिक के नाम पर है, भले ही अब होटल किसी बड़े व्यापारी के पास चला गया हो। मगर पुराने मालिक कभी-कभी ऐसे घूमते हैं जैसे अभी भी सारा राज-पाट उन्हीं के पास हो। एक दिन उन्होंने मुझसे फरमाइश कर डाली—"बाल काटो, बहुत लंबे हैं!" अब भला बताइए, कंधे तक बाल किसी भी भारतीय महिला के लिए आम हैं, लेकिन उनके हिसाब से ये अनुशासनहीनता थी।
कभी कहते—"पानी की बोतल मेज़ पर रखो!" और जब बोतल फ्रिज में रख दी, तो शिकायत कि "फ्रिज में क्यों रख दी?" अरे, आप ही ने सुबह बोला था! एक बार तो मेरी यूनिफॉर्म पर भी आपत्ति कर दी—"ये शर्ट थोड़ी तंग है, ऐसा नहीं पहनना चाहिए!" अब क्या कसूर अगर यूनिफॉर्म कंपनी ने ही ऐसी दी है? सच कहूँ, पुराने मालिक का व्यवहार देखकर मुझे अपने मोहल्ले की वो आंटी याद आ जाती हैं, जिन्हें हर जवाँ लड़की की हरकतों में बुराई दिखती है।
ग्रुप्स का बवाल: शादीशुदा और आशिक़ मिज़ाज
होटल में जब कोई बड़ा ग्रुप आता है—खासकर दो हफ्ते से ज़्यादा रुकने वाला—तो समझ लीजिए, आफ़त आने वाली है। एक बार कुछ प्रोफेशनल ग्रुप्स आए और होटल को अपनी विरासत समझ बैठे। किसी ने किचन में घुसकर शराब चुराने की कोशिश की, तो कोई रात 1 बजे मीटिंग रूम में पार्टी कर रहा था। जब पुलिस बुलानी पड़ी, तो उल्टा मुझे ही "शैतान की औलाद" कहकर शिकायत कर दी!
अजीब बात तो ये थी कि ज्यादातर शादीशुदा लोग वहाँ अपने ही साथियों से इश्क़ लड़ाने लगते हैं, मानो होटल उनकी लव स्टोरी का नया सेट बन गया हो। एक कमेंट में किसी ने लिखा, "ऐसे लोगों से होटल की सर्विस तुरंत छीन लेनी चाहिए!" वाकई, होटल कोई धर्मशाला या आशिकों का अड्डा नहीं है। इन लोगों को लगता है कि रिसेप्शनिस्ट उनकी बेस्ट फ्रेंड है और हर गलती माफ़ हो जाएगी। जैसे हमारे यहाँ मेहमान को भगवान समझा जाता है, वैसे ही ये लोग खुद को भगवान समझ लेते हैं!
नई टेक्नोलॉजी, पुरानी मुश्किलें
आजकल हर जगह स्मार्ट टीवी, OTT, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार का बोलबाला है। लेकिन जैसे ही हमारे होटल में पुराने टीवी की जगह नए स्ट्रीमिंग डिवाइस लगे, बुजुर्ग पीढ़ी के मेहमानों की तो जैसे नींद उड़ गई। कोई रिमोट लेकर रिसेप्शन पर आ जाता—"बेटा, ऊपर-नीचे कैसे करना है?" कोई कहता—"तुम अपने पैसे से नेटफ्लिक्स खरीद दो!" और सबसे मज़ेदार, रोज़ कोई न कोई गुस्से में कहता—"केबल वापस लगा दो!"
एक कमेंट में किसी ने बड़े प्यार से लिखा—"हमारी पीढ़ी तो बस सीधा टीवी ऑन करना चाहती है, ये मेनू-स्क्रॉलिंग, लॉगिन-लॉगआउट बहुत झंझट है!" और सच पूछो, तो भारतीय घरों में भी आज दादी-नानी को रिमोट समझाना किसी युद्ध से कम नहीं। एक यूज़र ने हँसी में लिखा—"कोई ऐसा ऐप बना दे, जिसमें पुराने केबल टीवी वाला मज़ा आ जाए!" वाकई, टेक्नोलॉजी सबके लिए नहीं है।
रिसेप्शनिस्ट की मनोदशा: हँसी, आँसू और थकान
तीन साल तक हर दिन नकली मुस्कान के साथ काम करना, अपने लिए 80 घंटे की शिफ्ट झेलना, और हर दिन घर आकर गाड़ी में ही एक घंटा रो लेना—ये कहानी सिर्फ मेरी नहीं, हर उस भारतीय कर्मचारी की है जो कस्टमर सर्विस में है। एक कमेंट में किसी ने लिखा—"इतना सब सहने के बाद, तुम्हें छुट्टी और सम्मान दोनों मिलना चाहिए।"
मेरी आखिरी हफ्ते की यही सीख है—कभी भी अपने होटल के रिसेप्शनिस्ट से बदतमीज़ी मत करना। हो सकता है, वो भी अंदर से टूटा हुआ हो, लेकिन फिर भी आपकी मदद के लिए सबसे पहले खड़ा हो। एक और कमेंट में किसी ने कहा, "अब तो नई नौकरी शुरू करो और पीछे मुड़कर मत देखो।" और यही मेरा इरादा है!
निष्कर्ष: होटल रिसेप्शनिस्ट भी इंसान हैं!
तो दोस्तों, अगली बार जब आप होटल जाएं, रिसेप्शन पर खड़े उस मुस्कुराते चेहरे को एक बार 'धन्यवाद' ज़रूर कहिए। हो सकता है, उस मुस्कान के पीछे कई कहानियाँ, कुछ आँसू और बहुत सारी मेहनत छुपी हो। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? अपनी कहानी कमेंट में ज़रूर लिखिए—शायद हम सब एक-दूसरे की थकान को थोड़ा हल्का कर पाएं!
मूल रेडिट पोस्ट: It's finally my last week!!!!!!!