होटल रिसेप्शन की मज़ेदार जंग: 'मैनेजर से तो कल ही बात होगी, आज नहीं!
होटल की रिसेप्शन डेस्क पर काम करना कोई बच्चों का खेल नहीं है! कभी कोई मेहमान चाय-पानी पूछता है, तो कभी कोई अपने कमरे की सफ़ाई को लेकर शिकायत करता है। लेकिन असली मज़ा तब आता है जब कोई गेस्ट नियम तोड़कर भी मासूमियत का नकाब पहनकर सामने आ जाए। ऐसी ही एक घटना हाल ही में Reddit पर वायरल हुई, जिसमें एक होटल कर्मचारी और एक गुस्साई गेस्ट के बीच की बातचीत ने इंटरनेट पर हंसी के ठहाके लगा दिए।
गेस्ट का फोन और रहस्य की गंध
एक शाम रिसेप्शन पर बैठे कर्मचारी को एक फोन आया। लाइन पर थे एक सज्जन, जो बड़ी मासूमियत से पूछ रहे थे, "भैया, मेरी डिपॉजिट राशि वापस क्यों नहीं मिली?" कर्मचारी ने फटाफट रिज़र्वेशन चेक किया तो फाइल में बड़ा सा नोट था— "DNR: कमरे में गांजा पीया गया।"
अब बताइए, ऐसे में कोई भी कर्मचारी सीधे-सीधे आरोप तो नहीं लगा सकता। बड़े ही तमीज़ से कर्मचारी ने कहा, "सर, कमरे में स्मोकिंग के सबूत मिले हैं, इसलिए डिपॉजिट वापस नहीं हुआ।" यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि कर्मचारी ने न तो सीधे गेस्ट को दोषी ठहराया, न ही बताया कि क्या पीया गया, बस इतना कह दिया कि नियम टूटे हैं।
गेस्ट ने न बहस की, न विरोध जताया, बस थके-हारे लहजे में फोन रख दिया। कर्मचारी को लगा, मामला ख़त्म। लेकिन असली कहानी तो अब शुरू होती है!
होटल में तूफ़ान: 'हमने बाहर पी थी!'
पंद्रह मिनट भी नहीं बीते होंगे कि एक महिला गुस्से में रिसेप्शन पर आ धमकी। वही महिला जो उसी कमरे में ठहरी थी। आते ही बोली, "पहचाना मुझे? हमारी डिपॉजिट क्यों नहीं मिली? हमने कमरे में नहीं, बाहर स्मोकिंग की थी, मेड ने भी देखा था!"
अब रिसेप्शनिस्ट मन ही मन सोच रहा था— "आपका आना, आपका गुस्सा और आपके दोस्त का कार्ड पर सिर्फ़ डिपॉजिट के बराबर पैसे रखना... सब कुछ तो साफ़ है!" फिर भी शांति से जवाब दिया, "मैडम, ये नोट्स में लिखा है। अगर आपको आपत्ति है तो मैनेजर से बात करिए, वो कल आएँगी।"
महिला बार-बार यही जिद: "अभी मैनेजर से बात कराइए, ओनर का नंबर दीजिए, हेड ऑफिस बुलाइए।" कर्मचारी बार-बार वही जवाब: "मैडम, ये मामला मैं नहीं सुलझा सकता, मैनेजर से मिलिए।"
यहाँ एक कमेंट याद आता है, जिसमें एक पाठक ने कहा, "लोग समझते हैं होटल मैनेजर हमेशा रिसेप्शन के नीचे सोते हैं या छुट्टी, रात, त्योहार सब भूल जाते हैं!" बिल्कुल हमारे भारतीय परिवारों की तरह, जहाँ दादी-नानी हर वक्त घर संभालती दिखती हैं!
ऑनलाइन कम्युनिटी के चटपटे तंज
कई कमेंट्स में इस घटना को लेकर बढ़िया चुटकुले और अनुभव साझा किए गए। एक यूज़र ने लिखा, "रात के 3 बजे कोई कहता है – मैनेजर को जगा दो, मुझे पैसे चाहिए! भाई, वो भी इंसान हैं, भगवान नहीं!" एक और ने हँसी में कहा, "लगता है कुछ लोग सोचते हैं होटल के मालिक भी कमरे में ही रहते हैं, जैसे गाँव के पंच!"
एक और कमेंट में एक यूज़र ने बताया, "जब मैं स्मोकिंग छोड़ चुका था, तब समझ आया कि स्मोकिंग की खुशबू कपड़ों से लेकर कार तक में बस जाती है। पीने वाला खुद नहीं जानता, बाकी सब सूँघ लेते हैं!" यही हुआ उस महिला के साथ— रिसेप्शन की लॉबी में जैसे ही वो घुसीं, कर्मचारी को लगा मानो 'स्नूप डॉग' (अमेरिकन रैपर, जो ग़ांजे के लिए मशहूर हैं) की आत्मा लॉबी में घुस आई हो! फौरन फैब्रिज़ लेकर छिड़काव किया गया।
"कल आइए" का जादू
आखिरकार महिला भी समझ गई कि मैनेजर से मिले बिना डिपॉजिट की उम्मीद बेकार है। जाते-जाते बोली, "कल आऊँगी!" और कर्मचारी ने मन ही मन सोचा, "भगवान बचाए कल की सुबह से।"
यह कहानी सिर्फ़ होटल या पश्चिमी देश की नहीं, बल्कि हमारे भारत में भी आम है। चाहे सरकारी दफ्तर हो या होटल— 'साहब से मिलिए, कल आइए' का जादू हर जगह चलता है।
आपकी राय: क्या आप भी ऐसी स्थिति में फँसे हैं?
दोस्तों, आप बताइए— क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि नियम तोड़ने के बाद भी लोग मासूम बनकर बहस करने आ जाते हैं? या ऑफिस में कोई जिद्दी ग्राहक रात-रात भर मैनेजर से बात कराने की जिद करता है? अपने अनुभव नीचे कमेंट में जरूर साझा करें।
होटल की दुनिया में एक ही नियम चलता है— 'नियम सबके लिए बराबर हैं, जुगाड़ से काम नहीं चलेगा!' और हाँ, अगर अगली बार कोई 'स्नूप डॉग' जैसी खुशबू लेकर आपके पास आए, तो फैब्रिज़ की बोतल पास रखना मत भूलिएगा!
मूल रेडिट पोस्ट: The manager will be happy to talk with you tomorrow