होटल रिसेप्शन की उलझन: मेहमान की शिकायतें और ‘हमारा वकील तैयार है’ ड्रामा!
अगर आपने कभी होटल रिसेप्शन पर काम किया है या किसी होटल में ठहरे हैं, तो आप जानते होंगे कि हर तरह के मेहमान आते हैं। कोई हल्की मुस्कान के साथ- "धन्यवाद" कहता है, तो किसी की शिकायतों का झोला खुलता ही नहीं। आज की कहानी भी कुछ ऐसे ही ‘स्पेशल’ मेहमानों की है, जिन्हें न तो समझाना आसान था, न ही खुश करना।
होटल रिसेप्शन: जहाँ हर दिन एक नया नाटक
मान लीजिए, आप होटल के रिसेप्शन पर बैठे हैं। एक साहब और उनका परिवार आते हैं - पिछले हफ्ते ही उन्होंने नहाने के गाउन (bathrobes) गायब होने पर बखेड़ा खड़ा किया था। मैनेजर सब जानता है, इसलिए कर्मचारी को डांटा नहीं जाता, लेकिन मेहमानों की शिकायतें तो रुकने का नाम नहीं लेतीं।
जैसे ही चेकआउट का समय आया, साहब ने फिर से शिकायतों की झड़ी लगा दी। इस बार मुद्दा है—"हमारा डिपॉजिट वापस क्यों नहीं आया?" अब होटल में नई तकनीक है, थर्ड पार्टी ऐप के ज़रिये डिपॉजिट लिया जाता है, और चेकआउट के बाद लिंक अपने-आप मिल जाता है। लेकिन साहब को तो विश्वास ही नहीं, बोले—"मैंने तो ऐप डाउनलोड ही नहीं किया। आपसे ही डिपॉजिट लिया गया है, आप ही लौटाइए!"
समझाइए, समझाइए... पर साहब सुनने को तैयार ही नहीं। अंत में धमकी—"अब मेरे वकील से बात करो!" अरे भैया, भारत में तो लोग वकील को सालों में एक बार मिलते हैं, यहाँ तो जैसे वकील जेब में रखा है!
‘हमारी बात नहीं मानी तो देख लेना…’ – शिकायतों की कहानी
अब साहब ने फोन पर धमकी दी, फिर एक लंबा-चौड़ा ईमेल भेजा। उसमें लिखा—"रिसेप्शन ने हमें ठीक से नमस्ते नहीं कहा, चेकइन ऐसे किया जैसे फौज में भर्ती हो रहे हों, ऑनलाइन चेकइन और डिपॉजिट के बारे में सवाल किया तो हमें नीचा दिखाया गया…"
यहाँ तक कि परिवार की बुज़ुर्ग महिला को रिसेप्शनिस्ट ने ‘अनदेखा’ कर दिया, जिससे उनकी तबीयत खराब हो गई। अरे भाई, भारत में तो माँ-जी को अनदेखा कर दो तो पूरा खानदान सर पर उठा लेता है, लेकिन यहाँ तो रिसेप्शनिस्ट ने बाकायदा सबको नमस्ते बोला था और ध्यान से बातें समझाईं।
एक मजेदार टिप्पणी पढ़ने को मिली—"तुम्हारी तो सुपरपावर है, किसी को इतना इग्नोर कर दिया कि वे बीमार हो जाएं! हमें भी सिखा दो!" ऐसी बातें पढ़कर तो लगता है, सोशल मीडिया पर लोग रजनीकांत के भी गुरु हैं!
वकील और धमकी – होटल वालों की रोज़मर्रा की रामायण
जैसे ही मेहमान ने बोला—"अब मेरा वकील बात करेगा," कमेंट्स में एक पाठक ने सही सलाह दी—"भाई, जैसे ही कोई वकील की धमकी दे, कह दो – अब केवल आपके वकील हमारे वकील से बात करेंगे, हम बात बंद कर रहे हैं।"
सच कहें तो, भारत में भी लोग झगड़े में वकील की धमकी देना बड़ा पसंद करते हैं, पर असल में केस दर्ज कराने की झंझट कोई नहीं उठाता। एक और पाठक ने लिखा—"असली जीवन में, जो लोग वकील की धमकी देते हैं, उनमें से 0.0001% ही सच में केस करते हैं। असली जीत तो वकील की ही होती है!"
होटल की नीति और ‘स्पेशल’ मेहमानों का भविष्य
अब सवाल उठा—"ऐसे मेहमानों को दोबारा क्यों आने दिया जाता है?" भारत में तो कई होटल वाले ऐसे ग्राहकों को ‘DNR’ (Do Not Return) लिस्ट में डाल देते हैं—मतलब, अब दोबारा बुकिंग नहीं मिलेगी। लेकिन यहाँ होटल की नीतियाँ अलग थीं, मालिक को तो हर एक रुपया चाहिए, चाहे कर्मचारी की नींद उड़ जाए या होटल की रेटिंग गिर जाए।
रिसेप्शनिस्ट ने भी मजाक में लिखा—"अब मन कर रहा है कि ऐसे ‘स्पेशल’ मेहमानों की ब्लैकलिस्ट बनाऊँ, ताकि अगली बार स्टाफ सतर्क रहे।"
नतीजा क्या निकला? होटल स्टाफ का जज़्बा और पाठकों की सलाह
आखिरकार, रिसेप्शनिस्ट ने अपने मैनेजर को सारी शिकायतें फॉरवर्ड कर दीं और खुद भी थर्ड पार्टी ऐप से संपर्क किया ताकि मामला सुलझाया जा सके। होटल स्टाफ की यही खूबी है—हर मुश्किल मेहमान, हर नखरे के बाद भी धैर्य और मुस्कान।
पाठकों ने सलाह दी—"ऐसे लोगों को विनम्रता से टालो, लेकिन अपनी सीमा मत भूलो।" कुछ ने कहा—"इनकी नाव ही उलटी चल रही है, इन्हें तो चप्पू पकड़वा देना चाहिए!"
आपके साथ भी हुआ है ऐसा?
अगर आप भी कभी ऐसे मेहमान बनें हैं या कहीं काम किया है जहाँ लोग बिना बात के शिकायतें करते हैं, तो अपनी कहानी ज़रूर बताइये। आखिर, होटल या ऑफिस—कहीं भी नखरेबाज़ लोग मिल ही जाते हैं!
क्या आपके पास भी कोई मजेदार या सिर पकड़ने वाली शिकायतों वाली कहानी है? नीचे कमेंट में शेयर करें और पढ़िए दूसरों के किस्से—क्योंकि हर ग्राहक राजा नहीं होता, कभी-कभी राजा खुद ही परेशानी बन जाता है!
मूल रेडिट पोस्ट: guest won't listen and then tries to throw a pity party