होटल में सफर, लाइट बल्ब और मास्टर की: एक मेहमान की हैरान करने वाली रात
यात्रा का असली मज़ा तो तभी आता है जब कुछ अनोखा या अजीब घट जाए। अक्सर होटल्स में रहने के अपने ही किस्से होते हैं, पर पश्चिमी पेंसिल्वेनिया के एक होटल में जो हुआ, वो तो हर किसी को हैरान कर सकता है। सोचिए, आप एक आलीशान सुइट में ठहरे हों, और रात को लाइट ऑन करने जाएं तो बल्ब फ्यूज मिले। अब तक तो सब ठीक लग रहा है, है ना? लेकिन असली ट्विस्ट तब आया जब फ्रंट डेस्क वाले ने मेहमान को होटल की मास्टर की थमा दी, वो भी सिर्फ एक बल्ब ढूंढने के लिए!
होटल में मेहमान बना 'जिम्मेदार कर्मचारी'!
हमारे मुख्य पात्र, जो कभी होटल में काम नहीं कर चुके पर घूमते-घूमते होटल्स के अच्छे-खासे जानकार बन चुके हैं, ने जब देखा कि उनके सुइट की एक लाइट काम नहीं कर रही, तो सोचा होगा - "कोई बात नहीं, फ्रंट डेस्क से बोल देते हैं, नया बल्ब आ जाएगा।" लेकिन आधे घंटे तक कोई आया ही नहीं। आखिरकार, साहब खुद बल्ब लेकर नीचे फ्रंट डेस्क पहुंच गए।
फ्रंट डेस्क एजेंट (FDA) बड़ी ही मिठास से बोले, "हाउसकीपिंग को बल्बों का पता नहीं।" फिर क्या, थोड़ा कंप्यूटर में देख-समझकर FDA ने खाली कमरों की लिस्ट और मास्टर की पकड़ा दी, जैसे कह रहे हों - "भाई साहब, खुद ही देख लो, जहाँ से बल्ब मिल जाए, निकाल लो।"
अब ज़रा सोचिए, अपने यहाँ अगर रेलवे के वेटिंग रूम में झाड़ू न मिले तो क्या टिकट चेकर 'मास्टर चाबी' दे देगा? बिल्कुल नहीं!
सुरक्षा की चिंता: मास्टर की किसी को भी?
यहाँ असली मसला सिर्फ बल्ब नहीं था, बल्कि सुरक्षा का था। मास्टर की यानी होटल की वह चाबी जो हर कमरे का दरवाज़ा खोल सकती है। और वह किसी भी मेहमान के हाथ में दे देना? ये तो ऐसा है जैसे बैंक का लॉकर खोलने की चाबी कह कर किसी ग्राहक को दे दी जाए - "भई, अपनी तिजोरी से खुद निकाल लो!"
रेडिट पर इस किस्से को पढ़ने वालों की भी आँखें फटी रह गईं। एक टिप्पणीकार ने लिखा, "भगवान करे ये कहानी झूठ हो! अगर सच है, तो तुरंत मैनेजर को बताना चाहिए। किसी भी होटल में, मेहमान को मास्टर की देना तो सबसे बड़ी बेवकूफी है।"
दूसरे अनुभवी होटल मैनेजर ने बताया कि उनके यहाँ भी ऐसा हादसा हो चुका है - कर्मचारी ने रात में एक मेहमान को तौलिया लाने के लिए मास्टर की दे दी, और बाद में नौकरी से हाथ धो बैठे।
सांप भी मर जाए, लाठी भी न टूटे: होटल मैनेजर से बातचीत
कहानी के नायक ने अगली सुबह होटल जनरल मैनेजर से मुलाकात की। पहले तो मैनेजर को लगा, ये शायद फ्री में एक रात और रुकना चाहते हैं या कुछ खाना-पीना फ्री में मांगेंगे। लेकिन जब उन्होंने सबूत के साथ पूरा वाकया बताया, तो मैनेजर का चेहरा उतर गया। साथ ही, उन्होंने होटल के ट्रेनिंग और सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को खुले दिल से स्वीकार भी किया।
यहाँ एक और मजेदार बात सामने आई - जिस कमरे से बल्ब निकालने को कहा गया था, वो असल में खाली ही नहीं था! यानी, होटल के सिस्टम में गड़बड़ी थी या किसी कर्मचारी ने कोई गड़बड़ की थी। कई हिंदी भाषी पाठकों को ये कहानी पढ़कर अपने यहाँ के सरकारी दफ्तरों की याद आई होगी, जहाँ फाइलें गुम हो जाती हैं और पता चलता है कि बाबूजी के पास ही थी।
सबक: होटल हो या घर, ताला-चेन ज़रूर लगाएं!
इस किस्से का सबसे बड़ा सबक यही है - होटल का कितना भी बड़ा नाम हो, अपनी सुरक्षा अपने हाथ। जिस तरह हमारे यहाँ लोग दरवाज़े पर अंदर से कुंडी और बाहर से ताला ज़रूर लगाते हैं, होटल में भी 'डेडबोल्ट' या चैन लॉक लगाना चाहिए। एक कमेंट में लिखा था, "कभी नहीं पता, मास्टर की किसके हाथ में चली जाए।"
कुछ पाठकों ने ये भी कहा कि होटल कर्मचारी को निकाल देना चाहिए, तो कुछ ने इंसानियत दिखाते हुए बोले - "गलती हुई है, पर शायद वो मदद करना चाह रही थी। सजा के साथ थोड़ी ट्रेनिंग भी मिलनी चाहिए।"
हास्य का तड़का: 'जुगाड़' और 'भरोसा'
अगर ये किस्सा किसी बॉलीवुड फिल्म में होता तो हीरो खुद बल्ब ढूंढता-ढूंढता होटल के सारे राज खोल लेता! हमारे यहाँ तो 'जुगाड़' हर जगह चलता है, पर सुरक्षा के मामले में थोड़ा 'भरोसा' भी ज़रूरी है। कोई भी सिस्टम कितना भी बड़ा हो, अगर उसमें छोटे-छोटे छेद हैं, तो नुकसान बड़ा हो सकता है।
अंत में, यही कहना चाहूँगा - होटल में ठहरना हो या रेलवे का स्लीपर कोच, छोटी-छोटी सावधानियाँ बरतें। और किसी दिन आपको फ्रंट डेस्क वाला मास्टर की थमा दे, तो समझ जाइए - कहानी बनने वाली है!
निष्कर्ष: आपकी क्या राय है?
तो पाठकों, आपको क्या लगता है - होटल कर्मचारी ने सही किया या बड़ी गलती कर दी? अगर आपके साथ ऐसा होता तो आप क्या करते? अपने अनुभव या राय कमेंट में जरूर बताइए। और हाँ, अगली बार होटल में रहें तो डेडबोल्ट लगाना न भूलें, क्योंकि "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी" तो आपने सुना ही होगा!
मूल रेडिट पोस्ट: FDA handed me, a guest, the master key to find a lightbulb