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होटल में वो मेहमान, जिनकी शिकायतें कभी खत्म नहीं होतीं!

एक एनिमे-शैली की चित्रण जिसमें होटल का स्टाफ सदस्य एक मेहमान की अजीब शिकायत का समाधान कर रहा है।
इस रंगीन एनिमे दृश्य में, एक होटल का स्टाफ सदस्य मेहमानों की अजीब शिकायतों का सामना कर रहा है, जैसे अनप्लग्ड टोस्टर और अनोखे कॉफी मेकर की समस्याएँ। आइए हम आतिथ्य की मजेदार दुनिया की खोज करें!

होटल में काम करना वैसे तो सुनने में बड़ा ग्लैमरस लगता है – नए लोग, अलग-अलग कहानियाँ, और कभी-कभी टिप भी अच्छी! लेकिन सच्चाई ये है कि यहाँ हर दिन कोई न कोई नई सिरदर्दी तैयार रहती है। कभी किसी को तकिए की सख्ती से दिक्कत है, कभी कोई कह रहा है कि टोस्टर काम नहीं कर रहा – और जब देखो तो टोस्टर की तार ही नहीं लगी! मगर जनाब, असली मज़ा तब आता है जब आपको ऐसे मेहमान मिलते हैं जिनके पास शिकायत करने के लिए बहुत फुर्सत है... और आज की कहानी भी ऐसी ही एक मेहमान 'डायना' की है।

डायना आंटी का 'शिकायत महोत्सव'

हमारा होटल वैसे तो लंबी अवधि के मेहमानों के लिए है – यानि वो लोग जो हफ्तों-हफ्तों तक यहाँ टिक जाते हैं। डायना जी भी ऐसे ही मेहमान बनकर आईं। आते ही उन्होंने कमरों का मुआयना शुरू कर दिया, जैसे कोई सास अपनी बहू के मायके की अलमारी देख रही हो! "इस कमरे में कालीन नहीं है", "इस बैड की तो गद्दी थोड़ी सख्त है", "अरे, ये लैम्प भी अच्छा नहीं लग रहा..." अजी, होटल के सारे लैम्प एक जैसे हैं! लेकिन भला हो उनका, किसी कमरे में तो ठहर गईं।

अब सोचिए, काम खत्म? अरे नहीं! अब शुरू हुआ डायना जी का 'शिकायत महोत्सव' – जिसे सुनकर रिसेप्शन पर खड़े-खड़े हमारे पैर भी दुखने लगे। कभी कहतीं, "पार्किंग लॉट में लाइट कम है" (इतनी लाइट है कि अगर और बढ़ा दें तो लोग आंखों पर चश्मा पहन लें!)। फिर शिकायत, "कूड़ेदान दरवाज़े के पास नहीं है" (एक बाहर, एक लॉबी में – अब और कहाँ रखें?)। और फिर – "कुत्ते की पॉटी बैग्स का स्टेशन एक ही क्यों है?" (अरे, डेस्क पर भी बैग्स रखे हैं!)।

एक टिप्पणीकार ने तो बड़े मज़े से लिखा, "ऐसे लोगों को चुप करा दो, नहीं तो ये अगला शिकार ढूंढ़ लेंगे!" (यानी, अगर इन्हें सुना नहीं, तो किसी और को पकड़ लेंगे)।

छोटी-छोटी बातों पर इतनी बड़ी-बड़ी शिकायतें!

शिकायत तो होनी चाहिए – पर हर चीज़ में? एक रात डायना आंटी आईं, जब मैं लॉन्ड्री रूम में कपड़े तह कर रहा था। "हैलो?" की आवाज़ आई, मैंने बोला, "आ रहा हूँ!" – बस 10 सेकंड! मगर इतने में ही वो लिफ्ट की ओर निकल लीं। फिर सुबह 4 बजे फोन आया, "आप डेस्क पर नहीं थे!" मैंने कहा, "था, मैंने आपको बुलाया भी था।" बोलीं, "हाँ, आवाज़ सुनी थी, पर आपकी आवाज़ थोड़ी अजीब... मेरा मतलब, अलग है, क्लेयर (मेरी साथी) की आवाज़ तो प्यारी है!" अब बताइए, ये भी कोई कहने की बात है?

एक पाठक ने मजाक में लिखा, "इतनी बेजा बातें, लगता है कोई उन्हें सुनने वाला नहीं है, इसलिए होटल स्टाफ को ही पकड़ लिया!"

'दूसरे कमरे की लाइट जल रही थी' – 4 बजे सुबह की शिकायत!

अब असली पिटारा खुला – डायना आंटी ने फरमाया, "मैं कुत्तों को घुमा रही थी, देखा कि 172 नंबर रूम की लाइट जल रही है, जबकि वहाँ कोई है ही नहीं! मैं आपको बताने आई कि आप लाइट बंद कर दें!"

अब पूछिए – भला उन्हें कैसे पता कि उस कमरे में कोई नहीं है? और फिर, किसी के कमरे की लाइट जल रही है तो रिसेप्शनिस्ट क्या करे? एक पाठक ने तो हिंदी में तंज कसा, "लाइट जल रही है, मीडिया को खबर कर दो!" सच में, इस शिकायत पर तो हँसी छूट गई।

एक और कमेंट में लिखा – "शायद उस कमरे में कोई पढ़ रहा होगा, या डायना की कुत्ते की आवाज़ से नींद उचट गई हो!" किसी ने तो ये भी कहा, "अगर आप खिड़की में झांकते रहेंगे तो लोग आपको भी घूरने वाला समझेंगे!"

डायना जी ने सफाई दी, "मेरी दादी कहती थीं कि बिजली बर्बाद नहीं करनी चाहिए..." अब 4 बजे सुबह रिसेप्शनिस्ट को ये सुनना पड़े तो किस्मत ही खराब समझिए!

होटल स्टाफ और डायना जैसे मेहमान – एक अंतहीन कहानी

ऐसे मेहमान हर जगह मिल जाएंगे – कभी ट्रेन में, कभी मोहल्ले में, तो कभी आपके ऑफिस में। किसी ने कमेंट किया, "शायद डायना जैसी महिलाएँ अकेली होती हैं, बातचीत के लिए बहाना ढूँढ़ती हैं।" – अपने यहाँ भी मोहल्ले की कुछ आंटियाँ ऐसी होती हैं जो सबका हाल-चाल पूछते-पूछते पड़ोसी की बालकनी में क्या सूख रहा है, वो भी देख आती हैं!

कई लोगों ने सलाह दी, "इनकी बातों को बस 'ठीक है' में टाल दो, ज्यादा तवज्जो मत दो, वरना बात बढ़ेगी।" एक और मजेदार कमेंट – "अच्छा है कि उस कमरे में कोई नहीं था, वरना वो भी शिकायत कर देता कि कोई खिड़की में झाँक रहा है!"

निष्कर्ष: आपकी भी कभी मिली ऐसी 'डायना आंटी'?

कहानी से ये तो साफ है – होटल में काम करना आसान नहीं, और डायना जैसे मेहमान हर जगह मिल सकते हैं! अगर आपके मोहल्ले या ऑफिस में भी कोई 'शिकायत एक्सपर्ट' है, तो बताइए, आपके साथ क्या-क्या हुआ? नीचे कमेंट में लिखें, हम सबका दिल हल्का करें!

तो अगली बार जब कोई छोटी-सी बात पर बड़ा हंगामा करे, बस मुस्कुरा दीजिए और सोचिए – "कहीं ये डायना आंटी की आत्मा तो नहीं!"


मूल रेडिट पोस्ट: The many complaints of a guest with too much free time!