होटल में रहकर भी 'फ्री कैंसिलेशन' माँगने का कमाल: मेहमानों की चालाकी की अजब दास्तान
होटल व्यवसाय में रोज़ नए-नए किस्से सुनने को मिलते हैं, लेकिन कुछ ग्राहक ऐसे होते हैं जो अपने कारनामों से सबको चौंका देते हैं। सोचिए, कोई मेहमान होटल में चार दिन रहकर, नाश्ता–डिनर करके, हर सुख-सुविधा का मज़ा उठाकर, आख़िर में कहे — “हमें तो फ्री कैंसिलेशन चाहिए!” बस, यही किस्सा है आज की हमारी कहानी का, जिसमें चालाकी, जुगाड़, और थोड़ी बहुत ‘इंसानियत’ सब कुछ देखने को मिलेगा।
होटल में मेहमानों की जुगाड़बाजी: रहना भी, पैसा भी बचाना!
कहानी की शुरुआत होती है एक होटल से, जहाँ कुछ मेहमान चेक-इन करते हैं। जैसे ही कमरे की चाबी मिली, तुरंत शिकायत लेकर आ गए – “कमरा पसंद नहीं आया!” होटल स्टाफ ने तुरंत नया कमरा दिया, माफी मांगी। फिर वही नाटक दोबारा…फिर से कमरा बदलवाना! कुल मिलाकर तीन बार कमरे बदलवाए, हर बार स्टाफ ने धैर्य रखा, ‘अतिथि देवो भव:’ को निभाते हुए मुस्कुरा के सेवा की।
आख़िरकार, चौथे कमरे में मेहमान ठहर ही गए। अब होटल वालों को क्या पता था, असली खेल तो अब शुरू होगा! सुबह जब होटल मैनेजर ने ई-मेल चेक किया तो पाया कि इन्हीं मेहमानों ने तीसरे पार्टी बुकिंग साइट पर ‘फ्री कैंसिलेशन’ की रिक्वेस्ट डाल रखी है — और वो भी तब, जब वे होटल में ठहरे हुए हैं, रात बिता चुके हैं, डिनर-नाश्ता सब कर चुके हैं!
‘फ्री का माल’ – कुछ लोगों की आदत ही होती है!
होटल प्रबंधन ने सोचा, चलो अगले दिनों की बुकिंग तो कैंसल कर देते हैं, बस शर्त रखी – “बारह बजे तक चेक-आउट कर दीजिए!” लेकिन जनाब, वे तो अगले दिन भी रुके रहे…फिर भी नहीं निकले…यहाँ तक कि चौथी रात के बाद ही उनका मन हुआ निकलने का! जाते-जाते फिर शिकायत लेकर आ गए और आख़िरकार होटल वालों ने उन्हें विदा कर ही दिया।
सोचिए, अगर होटल इतना बुरा था, तो तीन रातें और क्यों रुके? हमारी भारतीय कहावत याद आ गई — ‘मुंह में राम, बगल में छुरी!’ यानी ऊपर से शिकायतें, अंदर से मज़े।
होटल स्टाफ की झुंझलाहट और Reddit समुदाय की चुटकी
इस पूरी घटना को Reddit पर साझा किया गया, तो वहाँ भी कमेंट्स की बहार आ गई। एक कमेंट करने वाले ने लिखा, “ऐसे मेहमान हर बात पर शिकायत करेंगे, लेकिन जब जाने का मौका मिले, तब भी चिपके रहेंगे, बस मुफ्त की उम्मीद में।”
एक और किस्सा साझा हुआ — “हमारे होटल में भी ऐसे लोग आए। दो दिन बाद फोन करके बोले – बुकिंग कैंसल करनी है। हमने भी सोचा चलो जान छूटी, लेकिन चेक-आउट समय पर देखा तो जनाब अभी भी कमरे में विराजमान! जब समझाया कि ऐसे नहीं चलेगा, तो बहसबाज़ी करने लगे। आख़िरकार पुलिस बुलानी पड़ी और बाहर निकालना पड़ा।”
यहाँ एक पाठक ने मज़े लेते हुए कहा, “कुछ लोग तो होटल की सारी सुविधाएँ ले लेंगे, फिर भी कहेंगे कि सबसे घटिया होटल था! न तो कमरा बदलवाएँगे, न स्टाफ से बात करेंगे, बस रिफंड चाहिए!”
एक और टिप्पणी में लिखा था — “भैया, अगर कमरा इतना ही खराब था, तो तीन रातें और क्यों रहे? कहीं ‘फ्री का माल’ तो नहीं चाहिए था?”
‘चांसर्स’ – भारतीय जुगाड़ू या बस चालाक धोखेबाज़?
Reddit पर एक कमेंट में ऐसे लोगों को ‘चांसर’ कहा गया — यानी मौके का फायदा उठाने वाले, जो छोटी-छोटी बातों पर शिकायत करके मुफ्त में कुछ न कुछ हासिल करने की कोशिश में रहते हैं। जैसे भारत में ‘फ्री सैंपल’ के लिए भीड़ लग जाती है, वैसे ही ये मेहमान छोटी-छोटी बातों को बड़ा बनाकर रिफंड या मुफ्त रातें मांगने लगते हैं।
होटल व्यवसाय में ऐसे लोग आम हैं। कोई कहता है – “कमरा सुरक्षित नहीं, बच्चों के लिए खतरा है!” लेकिन तीन दिन तक वहीँ डटे रहते हैं। कोई कहता है – “नाश्ता बेकार, लेकिन प्लेट में सब कुछ भरा है!” भारतीयों के लिए ये दृश्य कुछ नया नहीं, शादी-समारोहों में भी ऐसे लोग खूब देखने को मिलते हैं – खाने का बुरा बोलना, फिर सबसे पहले प्लेट भरना!
निष्कर्ष: अतिथि देवो भव – लेकिन थोड़ी अक्ल भी लगाएँ!
यह कहानी सिर्फ होटल वालों की नहीं, हर उस जगह की है जहाँ ग्राहक ‘जुगाड़’ या चालाकी से अपना फायदा देखता है। होटल स्टाफ ने धैर्य, सेवा-भाव और व्यावसायिकता दिखाई, लेकिन साथ ही यह भी समझना जरूरी है कि हर अतिथि देवता नहीं होता, कुछ ‘देवता’ तो मुफ्त खाने-पीने के लिए आते हैं!
तो अगली बार जब आप होटल जाएँ, या कोई मेहमान आए, तो इस कहानी को याद कीजिए — और हाँ, अपने अनुभव हमें कमेंट में जरूर बताइए। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? क्या आपको भी कभी ऐसे ‘चांसर्स’ या जुगाड़ू लोग मिले हैं? अपनी राय साझा कीजिए, और अगर कहानी पसंद आई हो तो शेयर जरूर करें!
मूल रेडिट पोस्ट: „We want a free cancellation!“ while still staying at our hotel