होटल में मेहमान बनें, सरदारी नहीं: रिसेप्शन पर आने-जाने के ये 'डोंट्स' याद रखें!
हम भारतीयों के लिए यात्रा का मतलब होता है परिवार, मस्ती, और ढेर सारी यादें। होटल में चेक-इन करते समय अक्सर हम सोचते हैं—"बस रूम मिल जाए, आराम से घूमेंगे!" लेकिन जनाब, होटल वालों की भी अपनी एक दुनिया है, जिसकी कुछ अनकही परेशानी और कुछ अजीबोगरीब किस्से होते हैं। आज जानते हैं उन्हीं की जुबानी, होटल रिसेप्शन पर आने वाले मेहमानों के 'डोंट्स'—यानि वो बातें जो होटल स्टाफ को सबसे ज्यादा परेशान करती हैं।
समय का ध्यान रखें, होटल कोई रेलवे प्लेटफॉर्म नहीं है!
भाईसाहब, होटल का चेक-इन टाइम कोई मजाक नहीं है। आप सोचिए, जब शादी-पार्टी में ही लोग टाइम पर नहीं पहुंचते, तो होटल वाले कैसे आपकी जल्दीबाजी में रूम तैयार कर देंगे? Reddit पर एक होटल स्टाफ ने लिखा—"लोग बिना बताए 4 घंटे पहले आ जाते हैं और फिर मुंह बनाते हैं कि रूम क्यों नहीं मिला?"
भई, फोन सबके पास है, समय देखना सीखिए! अगर जल्दी पहुंच गए तो कॉल करके पूछ लीजिए, शायद रूम तैयार मिल जाए, वरना इंतजार तो करना ही पड़ेगा। एक कमेंट में किसी ने तो ये तक लिखा—"अगर आप चेक-इन टाइम से 4 घंटे पहले आ गए, तो होटल वाले जादूगर नहीं हैं जो आपके लिए तुरंत रूम बना दें!"
इसी तरह, चेक-आउट के वक्त भी कई लोग पांच मिनट पहले आकर कहते हैं, "थोड़ा लेट चेकआउट मिल सकता है?" अरे भाई, कल से पता है चेकआउट टाइम क्या है, अलार्म लगाइए, बच्चों के बहाने मत बनाइए। एक और होटल कर्मचारी ने बड़े मजेदार अंदाज में लिखा—"जोड़े लोग बहाना बनाते हैं, बच्चों वाली फैमिली को तो समझ सकते हैं, लेकिन आलसी कपल्स का क्या करें?"
रिसेप्शन की घंटी—बचपन का खिलौना नहीं!
अब बात आती है उस कुख्यात घंटी की, जिसे देखकर बड़े-बड़े गंभीर लोग भी बच्चा बन जाते हैं। एक कमेंट में होटल स्टाफ ने लिखा—"कोई मेहमान आया, घंटी 8-10 बार बजाई और पूछता है—'क्या ये आपको परेशान करती है?' मैंने घंटी उठाकर पीछे रख दी।" अरे भाई, घंटी एक बार बजाओ, रिसेप्शनिस्ट कोई गूँगा-बहरा नहीं है!
एक और मजेदार किस्सा—किसी ने घंटी के टुकड़े ही कर डस्टबिन में डाल दिए ताकि लोग बार-बार न बजाएं! भारतीय होटल्स में भले ही घंटी कम हो, लेकिन "भैया... भैया..." चिल्लाने वाले हर जगह मिल जाते हैं। जरा धैर्य रखिए, होटल स्टाफ भी इंसान है, मशीन नहीं।
मुफ्त का पानी, मुफ्त की उम्मीदें—कहाँ तक?
हमारे यहाँ मेहमान नवाज़ी ज़रूर है, पर हर चीज़ मुफ्त में मिले, ये जरूरी नहीं! Reddit पोस्ट में एक किस्सा था—"रजिस्ट्रेशन पर दी गई पानी की बोतल बार-बार मांगना, जैसे राशन की दुकान हो!" एक और कमेंट में किसी ने कहा—"लगता है जैसे ये वही लोग हैं जो '10 आइटम से कम' वाली काउंटर पर 15 चीज़ें लेकर पहुंच जाते हैं।"
भई, होटल अपनी तरफ से स्वागत में पानी दे देता है, लेकिन बार-बार मुफ्त की उम्मीद करना, और फिर रूठना—ये अच्छा नहीं लगता। अगर ज्यादा प्यास लगती है तो होटल के रेट पर खरीद लें या अपना बोतल लेकर आएं, जैसे हम ट्रेन में करते हैं।
होटल के नियमों का सम्मान करें—'मेहमान' हैं, 'मालिक' नहीं!
कई बार लोग होटल की हर छोटी-बड़ी बात पर शिकायत करने लगते हैं—"सारा नाश्ता खत्म हो गया!", "स्विमिंग पूल देर तक क्यों नहीं खुला?", "आपके पास और क्वालिटी वाले रूम क्यों नहीं हैं?" एक कमेंट में एक स्टाफ ने लिखा—"भई, मैंने होटल की इमारत नहीं बनाई, जो आप मुझसे पूछ रहे कि और रूम क्यों नहीं हैं!"
इसी तरह, ID कार्ड न लाना, किसी और के क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करना, बगैर बुकिंग के आकर "रूम चाहिए" कहना—ये सब भारतीयों के लिए भी कतई नई बात नहीं। होटल के नियमों को मानिए, वरना फिर वो 'नो शो' वाला झंझट, जिसमें आते-आते एक दिन की बुकिंग गई समझो।
कई बार मौसम खराब हो गया, बिजली चली गई, या किसी वजह से पानी नहीं आया—तो होटल स्टाफ पर गुस्सा निकालना या नेगेटिव रिव्यू देना भी गलत है। एक कमेंट में लिखा था—"अगर आपके घर में बारिश से लाइट चली जाए तो क्या आप खुद को दोष देंगे?" सोचिए, होटल स्टाफ भी वही परेशानी झेल रहा है।
अच्छे मेहमान बनें—थोड़ा सब्र, थोड़ी विनम्रता
एक कमेंट में किसी ने लिखा—"स्टाफ आपका नौकर नहीं, मददगार है। नियमों का पालन करें, दूसरों की इज्जत करें, होटल आपका ही घर है जब तक आप वहाँ हैं।" और ये बात सच भी है। आखिर, हम सब जब कहीं मेहमान बनते हैं, तो अपनी छवि भी वहीं छोड़ आते हैं।
छोटी-छोटी बातें—ID, क्रेडिट कार्ड तैयार रखें, रिसेप्शनिस्ट की बात ध्यान से सुनें, बार-बार वही सवाल न पूछें, होटल के नियमों पर बहस न करें, रूम को घर समझकर साफ रखें—यही बातें आपको 'आदर्श मेहमान' बनाती हैं।
निष्कर्ष: अगली बार होटल जाएं, तो ये बातें याद रखें!
तो अगली बार जब भी होटल जाएं, इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान ज़रूर रखें। न सिर्फ होटल स्टाफ खुश होगा, बल्कि आपकी यात्रा भी सुहानी और यादगार बनेगी। क्या आपके पास भी कोई अनोखा होटल अनुभव है, या कभी रिसेप्शनिस्ट को परेशान किया हो? नीचे कमेंट में जरूर बताइए!
यात्रा सुखद हो, और होटल में आप हमेशा स्वागत के हकदार रहें—बस, होटल को अपना घर समझें, लेकिन नियमों के साथ!
मूल रेडिट पोस्ट: Do's and Don'ts (Mainly Don'ts)