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होटल में मेहमानों की मनमानी: क्या कभी उन्हें भी रेटिंग मिलनी चाहिए?

सोचिए, आप एक होटल के रिसेप्शन पर खड़े हैं। सामने कोई साहब आते हैं, चेहरा तमतमाया हुआ, आवाज़ में गुस्सा और शिकायतों की झड़ी—कभी पार्किंग को लेकर, कभी कमरे के कालीन पर, तो कभी खिड़की से दिखने वाले नज़ारे पर। होटल स्टाफ की हालत ऐसी, जैसे बिन बात के कसूरवार! और ऊपर से विदा होते वक्त एक शानदार 1-स्टार रिव्यू छोड़ जाते हैं, जैसे कोई ताज छोड़ रहे हों।

इन हालात में कभी-कभी दिल से यही निकलता है—अरे भई, अगर मेहमान हमें रेट कर सकते हैं, तो क्या हम भी उन्हें रेट नहीं कर सकते?

मेहमानों की रेटिंग: सपना या ज़रूरत?

हमारे देश में "अतिथि देवो भव" की परंपरा रही है, पर अब के कुछ मेहमान तो देवता कम, और 'ड्रामा क्वीन' ज़्यादा लगते हैं। Reddit पर u/hellobela_ नामक यूज़र ने होटल इंडस्ट्री की यही दास्तान साझा की। उन्होंने कहा, "अगर गेस्ट को पता चले कि उनकी भी रेटिंग हो सकती है, तो शायद उनका व्यवहार रातों-रात सुधर जाए।"

सोचिए, अगर हर होटल में एक छोटा सा नोटिस टांग दिया जाए—"आपका व्यवहार अगली बुकिंग पर असर डाल सकता है!"—तो गुस्सैल मेहमान भी 'राम-राम' करके रिसेप्शन पर आएंगे। यह तो वैसा ही है जैसे ओला/ऊबर में ड्राइवर आपको रेट करता है, तो अगली बार सोच-समझकर ही पीछे बैठते हैं। एक टिप्पणीकार ने तो यहां तक लिख दिया, "अगर खराब मेहमानों को बैन कर दिया जाए, तो होटल स्टाफ की लाइफ सेट हो जाएगी!"

ऑनलाइन रिव्यू: गुस्से का अखाड़ा या तारीफों का मंच?

हमारे यहां अक्सर यही होता है कि लोग केवल तब ही रिव्यू लिखते हैं जब उन्हें गुस्सा आता है या कुछ गड़बड़ हुई हो। u/MeatPopsicle314 नामक एक पाठक ने बड़ा सुंदर कहा, "ज्यादातर लोग गुस्से में रिव्यू लिखते हैं, खुशी में नहीं।" इसलिए होटल स्टाफ की मेहनत और अच्छाई कभी सामने नहीं आ पाती।

किसी ने लिखा, "अब पछतावा हो रहा है कि सालों भर होटल में रुकने के बाद भी कभी पॉजिटिव रिव्यू नहीं दिया।" क्या आपने कभी सोचा, जब दूधवाले या अखबारवाले अच्छा काम करें, तो हम उनकी तारीफ क्यों नहीं करते? एक और कमेंट में तो किस्सा भी शेयर हुआ—"हमारे पेपर वाले ने एक्सीडेंट के बाद भी डिलिवरी नहीं छोड़ी, पर जब तारीफ करनी चाही तो अखबार ऑफिस वाले समझ ही नहीं पाए, सोचते रहे शिकायत करने आई हूं!"

अगर मेहमानों को भी मिलती रेटिंग: क्या बदल जाता?

कल्पना कीजिए, हर होटल की वेबसाइट पर मेहमानों का स्कोर लिखा हो—"ये साहब आते ही चिल्लाने लगते हैं", "इनका मूड सुबह खराब रहता है", या "ये तो टिप भी छोड़ जाते हैं!" u/curtludwig नाम के एक यूजर ने तो सुझाव दिया—"अच्छे व्यवहार पर रेटिंग बढ़े, और रेटिंग जितनी ज्यादा, कमरा उतना सस्ता!"

कुछ लोग बोले, "अगर खराब रेटिंग से पैसे बढ़ाए जाएं और सीधा बोनस स्टाफ को मिले, तो मेहमान भी सोचेंगे—अबकी बार गुस्सा किया तो जेब ढीली!" लेकिन कुछ ने यह भी चेताया कि ऐसे सिस्टम का दुरुपयोग हो सकता है—कहीं स्टाफ ही न बेवजह खराब अंक देने लगे! यानी, 'नानी याद दिला देंगे' वाला मामला हो सकता है।

प्रबंधन की भूमिका: सच का सामना

कई लोगों ने यह भी कहा कि असली जिम्मेदारी होटल प्रबंधन की है। अगर मैनेजमेंट स्टाफ का साथ दे और मनमानी करने वाले मेहमानों को सीधा जवाब दे, तो न रिव्यू की इतनी दिक्कत हो, न स्टाफ की इज्जत कम हो। एक पाठक ने तो कहा—"अगर नकारात्मक रिव्यू का जवाब खुलेआम, सच-सच दिया जाए, तो अगली बार मेहमान भी शर्माएंगे।"

वहीं, Airbnb जैसे प्लेटफॉर्म का उदाहरण भी सामने आया, जहां मेजबान और मेहमान दोनों की रेटिंग होती है—तो लोग खुद-ब-खुद सुधर जाते हैं।

अंत में: मेहमान भी इंसान, और स्टाफ भी!

अंत में बात वही आती है—रिश्ते और व्यवहार दोतरफा होते हैं। अगर होटल स्टाफ को सम्मान मिलेगा, तो वे भी दिल से सेवा करेंगे। और अगर मेहमानों को पता हो कि उनकी भी 'फीडबैक शीट' बन सकती है, तो शायद 'ड्रामा' कम और मुस्कानें ज़्यादा देखने को मिलें।

तो अगली बार जब आप होटल जाएं, रिसेप्शन पर 'नमस्ते' कहें, मुस्कुराएं, और अगर कुछ अच्छा लगे तो तारीफ करना मत भूलिए। आखिरकार, अच्छे व्यवहार की भी कोई 'रेटिंग' होनी चाहिए—कम से कम दिल में ही सही!

क्या आपको लगता है कि मेहमानों को भी रेटिंग मिलनी चाहिए? या फिर "अतिथि देवो भव" को ऐसे ही रहने देना चाहिए? अपने अनुभव और राय नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें!


मूल रेडिट पोस्ट: I wish more websites let you evaluate the guests