होटल में मुफ्त पानी का झगड़ा: अतिथि का अधिकार या हद से ज्यादा मांग?
होटल में काम करना हर किसी के बस की बात नहीं। रोज नए-नए मेहमान, अजीब-अजीब फरमाइशें और हर वक्त “अतिथि देवो भवः” के सिद्धांत पर खरा उतरना! पर क्या होता है जब कोई अतिथि “देवता” की सीमा ही लांघ जाए? आज की कहानी एक ऐसे ही होटल रिसेप्शनिस्ट की है, जिसकी सबसे बड़ी परेशानी है – “मुफ्त पानी की मांग”। सुनने में भले ही मामूली लगे, लेकिन इस पानी के लिए मचता बवाल आपको भी हँसा-हँसा के लोटपोट कर देगा!
पानी-पानी! पर कितनी बार?
सोचिए, आप होटल में रुके हैं। चेक-इन करते समय कमरे में दो बोतल पानी मिलती हैं – एकदम फ्री! लेकिन उसके बाद होटल की नीति है – “भैया, पानी पियो तो सही, पर बोतल खत्म हो जाए तो फ्लोर के एंड में वाटर फिलिंग स्टेशन है, वहाँ से भर लो।” अब हमारे एक विदेशी मेहमान को ये कतई पसंद नहीं आया। बोले – “मैं तो पूरी दुनिया घूम चुका हूँ, सब जगह जब चाहो, जितना चाहो, मुफ्त पानी मिल जाता है!”
स्टाफ ने समझाया – “सर, दो बोतल तो दी हैं, और अगर और चाहिए तो वहाँ से भर लीजिए।” साहब फिर भी अड़े रहे – “नहीं, मुझे चार बोतल चाहिए, अभी के अभी!” आखिरकार, बहस इतनी बढ़ी कि रिसेप्शनिस्ट ने फोन काट दिया – “ठीक है, भेज देते हैं चार बोतल!” लेकिन साहब की तसल्ली कहाँ! उन्होंने दोबारा फोन मिलाया – “तुमने फोन क्यों काटा?” जवाब मिला – “आप बदतमीज़ी कर रहे थे, इसलिए।” साहब बोले – “मैं अब कस्टमर केयर में शिकायत करूंगा,” और गुस्से में “फ… ओफ” बोलकर फोन पटक दिया।
“मुफ्त का पानी” – मेहमान-नवाज़ी या सिरदर्द?
अब सवाल ये उठता है, क्या हर बार मेहमान की हर मांग माननी चाहिए? कई लोग मानते हैं कि दो बोतल फ्री देना काफी है, बाकी होटल का नियम है तो सबको मानना चाहिए। एक कमेंट में किसी ने बड़ा मजेदार तर्क दिया – “अगर सबको बिना रोक-टोक फ्री पानी बाँटना शुरू कर दिया, तो साल भर में लाखों रुपयों की बोतलें बाँट देंगे! फिर तो होटल वाले रोएंगे – ‘पानी पानी कर गई मुझे, तेरी मीठी बातें!’”
वहीं एक दूसरे अनुभवी मैनेजर ने लिखा, “मैंने अपने स्टाफ को हमेशा सिखाया – छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई मत करो, ग्राहक खुश रहे, तो वो दोबारा आएगा। एक बोतल की कीमत तो 20-25 रुपये होगी, लेकिन उसका गुस्सा, नेगेटिव रिव्यू और सोशल मीडिया का हंगामा – उसकी कीमत बहुत ज्यादा है।”
पर हर किसी का यही नजरिया नहीं। एक अनुभवी कर्मचारी ने लिखा – “हर बात पर झुकना ठीक नहीं। अगर एक बार आप नियम तोड़ेंगे, तो हर ग्राहक आपको ‘फ्री का ATM’ समझने लगेगा! और कुछ लोग तो जान-बूझकर लड़ाई करते हैं, ताकि उन्हें एक्स्ट्रा फ्री में कुछ मिल जाए।”
“नहीं” कहना भी एक कला है
अब जब ग्राहक अड़ जाए, तो स्टाफ के पास भी कई जुगाड़ हैं। एक कमेंट में किसी ने लिखा – “हमारे यहाँ वाटर डिस्पेंसर है, तो बड़े प्यार से बोलते हैं – ‘सर, देखिए, वहीं पीछे पानी है, आप खुद भर लीजिए।’ और जब ग्राहक गुस्से में घूरता है, तो बस मुस्कुरा देते हैं – ‘हो जाएगा सर!’”
एक और दिलचस्प घटना – “एक बार एक महिला बार-बार फ्री सामान लेने आती थी। मैंने विनम्रता से मना किया, पर वो मुझ पर चिल्लाने लगी। लेकिन मैंने नियम नहीं तोड़े, क्योंकि हर बार झुकना स्टाफ के आत्मसम्मान के लिए भी ठीक नहीं।”
कुछ लोगों का कहना है – “अगर नियम में है कि दो पानी फ्री हैं, तो बस उतना ही दो। जो ग्राहक बार-बार बहस करे, वही आगे चलकर आपके खिलाफ गूगल रिव्यू में बुरा लिखेगा। पर नियम से चलोगे, तो मैनेजमेंट भी साथ देगा।”
पर्यावरण, पारदर्शिता और भारतीय नजरिया
आज के दौर में प्लास्टिक बोतलों का उपयोग भी बड़ा मुद्दा है। कई होटल अब रीयूजेबल बोतल या फ्लोर पर वाटर फिलिंग स्टेशन लगवा रहे हैं, ताकि पर्यावरण का नुकसान कम हो। लेकिन हर मेहमान को ये नया तरीका रास नहीं आता। एक कमेंट में लिखा था – “हमारे यहाँ तो हर फ्लोर पर फिलिंग स्टेशन है, मगर मेहमान को बोतल ही चाहिए। कोई अपनी बोतल लेकर आए तो और भी अच्छा।”
एक पाठक ने जोड़ा – “अगर होटल की वेबसाइट या रिसॉर्ट फी में लिखा है कि हर दिन दो बोतल मिलेंगी, तो होटल को पारदर्शिता रखनी चाहिए। वर्ना ग्राहक खुद को ठगा हुआ महसूस करता है।”
भारत में भी कई गेस्टहाउस या छोटे होटल में पानी का यही हाल है – “भाई, पानी चाहिए तो कूलर से ले लो, बोतल लेना है तो पैसे दो।” और गाँव-कस्बों में तो ‘पानी पिलाना’ सबसे बड़ी मेहमान-नवाज़ी मानी जाती है, पर शहरों में ये भी ‘पैकेज’ का हिस्सा बन गया है!
निष्कर्ष: अतिथि देवो भवः, पर अपनी सीमाओं के साथ!
तो क्या सबको मनचाहा मुफ्त पानी देना चाहिए? या फिर नियमों का पालन और पारदर्शिता ही सही रास्ता है? सच कहें तो, होटल इंडस्ट्री में संतुलन सबसे जरूरी है – न तो ग्राहक को झुका दो, न ही अपने आत्मसम्मान को। जैसा कि एक पाठक ने लिखा – “नहीं भी एक पूरा वाक्य है।”
आपका क्या अनुभव रहा है? कभी होटल में “फ्री” की चीज़ों के लिए झगड़ा हुआ? या आपने कभी स्टाफ की सीमा को समझा? नीचे कमेंट में जरूर बताइए, और ये मजेदार किस्सा अपने दोस्तों के साथ शेयर करें!
मूल रेडिट पोस्ट: Stop giving out free water!!!