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होटल में बेवफाई के दो किस्से: जब दूल्हा बना 'रोता हुआ राजा' और पत्नी बनी जासूस

हमारे देश में शादियाँ तो दिलों को जोड़ने के लिए होती हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ लोग अपनी हरकतों से सबका दिल दुखा जाते हैं। होटल में काम करने वालों की जिंदगी वैसे ही फिल्मी किस्सों से भरी होती है, मगर आज जो दो सच्ची घटनाएँ सामने आईं, वो आपको हँसाने के साथ सोच में डाल देंगी—कहीं अपने मोहल्ले या रिश्तेदारों में भी ऐसे किरदार तो नहीं घूम रहे?

किस्सा नंबर 1: सुहागरात की जगह सिंगल रात

सन् 1999 की बात है। होटल लगभग फुल था, शादी का माहौल था, और रिसेप्शन पर हलचल मची हुई थी। अचानक एक दूल्हा आँसुओं की गंगा बहाते हुए रिसेप्शन पर पहुँचता है। उसकी हालत ऐसी थी जैसे किसी बॉलीवुड फिल्म में हीरोइन उसे छोड़कर चली गई हो, बस यहाँ हीरोइन (दुल्हन) ने सच में कमरे से बाहर निकाल दिया था। वजह? दुल्हन का आरोप था कि दूल्हा शादी की पहली रात ही होटल के बार में दूसरी महिलाओं पर लाइन मार रहा था!

दूल्हा बार-बार कहता रहा, "मैंने कुछ नहीं किया, मैं ऐसा कर ही नहीं सकता।" रिसेप्शन वालों ने बिचारे को दूसरे आखिरी खाली कमरे में शरण दी। तभी होटल की बारटेंडर बिल लेकर रिसेप्शन पर आई। दूल्हे ने आँसू पोछते हुए उससे कहा, "अरे सुनो, मेरी नई बीवी ने मुझे कमरे से निकाल दिया है, चलो मेरे साथ नए कमरे में, मूड अच्छा कर दो।"

अब भला सोचिए, ऐसी बेहयाई पर कोई क्या बोले! बारटेंडर ने उसे ऐसा सुनाया कि बेचारा मुँह लटकाकर अकेले ही कमरे में चला गया।
यहाँ एक पाठक ने शानदार कमेंट करते हुए कहा, "पहला लड़का तो वाकई खास किस्म का बेवकूफ है।" और क्या सही कहा! ऐसे लोगों के लिए तो शहनाई की जगह ढोल बजाओ—'बेवफाई के ढोल'!

किस्सा नंबर 2: 'सीआईडी' स्टाइल में बीवी की जासूसी

अब आइए, 2006 की ओर चलते हैं। होटल में तीसरी शिफ्ट में हाउसकीपिंग का स्टाफ काम कर रहा था। एक महिला आई और बोली, "मुझे मेरे पति के कमरे में जाने दो, वो किसी और औरत के साथ है।" स्टाफ ने विनम्रता से जवाब दिया, "मैम, बिना रिसेप्शन की इजाजत के मैं आपको अंदर नहीं जाने दे सकता।" महिला बोली, "रिसेप्शन वाले तो मुझे अंदर जाने ही नहीं देंगे, वो तो यह भी नहीं बताएँगे कि मेरे पति हैं भी या नहीं। लेकिन मुझे पता है, क्योंकि उनकी गाड़ी पार्किंग में खड़ी है, वो भी वैनीटी नंबर प्लेट वाली!"

अब यहाँ कहानी में ट्विस्ट आया—महिला ने $50 (करीब 4000 रुपये) देकर स्टाफ का मास्टर की 'गायब' करने का ऑफर दिया! स्टाफ ने जवाब दिया, "मैम, अगर मैं चाबी खो दूँगा तो नौकरी चली जाएगी, और $50 में तो मेरा पेट्रोल भी नहीं भरता।"
महिला ने पूछा, "तो फिर मैं कैसे पकड़ूँ?" स्टाफ ने मजाक में कहा, "कॉफी पियो और उनकी गाड़ी के पीछे वाली सीट पर छुपकर बैठ जाओ, खुद ही सामने आ जाएँगे।"
अब हमारी फिल्मों की हीरोइनें भी ऐसी प्लानिंग पर शरमा जाएँ। महिला ने वाकई वैसा ही किया! जब स्टाफ सुबह घर गया, तब भी वो महिला गाड़ी में ही बैठी थी।

यहाँ कम्युनिटी के लोगों ने मजेदार कमेंट किए। एक ने लिखा, "सुबह जब पति बाहर आएँगे और पीछे बीवी बैठी मिलेगी, उनकी शक्ल देखने लायक होगी!" दूसरे ने जोड़ा, "अब तो महिला ने पकड़ा ही लिया है, अब बस सोचना है कि ऐसे आदमी को दोबारा अपनाना है या फिर 'फेंकना' है।"
एक और कमेंट ने भारतीयों को खूब गुदगुदाया—"लोग होटल के कामकाज को कितना हल्का समझते हैं, $50 में मास्टर की खोने का ऑफर!" अरे भाई, यहाँ तो चौकीदार भी छोटी-सी चूक पर नौकरी से हाथ धो बैठता है!

क्या सीखें इन किस्सों से?

इन दोनों किस्सों में एक बात साफ है—धोखा चाहे किसी भी रूप में हो, पकड़ा तो जरूर जाता है। औरतों की सूझबूझ, जासूसी और मर्दों की बचकानी हरकतें, दोनों यहाँ खूब देखने को मिलीं।
यहाँ एक पाठक ने चुटकी ली, "अगर महिला ने स्टाफ को पाँच साल की सैलरी दे दी होती, तो शायद बात बन जाती!"
हमारे समाज में 'धोखा' शब्द सुनते ही हर किसी के दिमाग में फिल्मी सीन, मोहल्ले की गॉसिप, और पुराने गानों की धुनें चलने लगती हैं—"दिल के अरमां आंसुओं में बह गए..."

आखिर में...

होटल की इन सच्ची घटनाओं से यही समझ आता है कि रिश्तों में ईमानदारी सबसे जरूरी है। वरना, कभी सुहागरात अकेले कटेगी, तो कभी गाड़ी के पीछे कोई आपकी वाट लगाता मिलेगा!
दोस्तों, आपके आस-पास भी ऐसे किस्से हुए हैं या आपने किसी होटल में मस्त जासूसी देखी है? कमेंट में जरूर बताइए। और हाँ, रिश्तों में भरोसा बनाए रखिए—वरना अगली कहानी आपके नाम की भी हो सकती है!


मूल रेडिट पोस्ट: Two tales of cheaters.