होटल में बादाम दूध की मांग: ग्राहक की फरमाइशों का कोई अंत नहीं!
सोचिए, एक होटल में रात के 2 बजे, जब सब सो रहे हों, तभी फ्रंट डेस्क स्टाफ बीमार पड़ जाए और आपको अपनी छुट्टी के दिन, नींद से उठकर काम पर जाना पड़े। ऐसे में अगर कोई मेहमान सुबह-सुबह कॉफी बार पर आकर बड़े जोश से पूछे – "अरे भैया, बादाम दूध क्यों नहीं है?" तो आपकी मनःस्थिति का क्या होगा? ऐसी ही एक सच्ची और मज़ेदार घटना सामने आई है, जिसने होटल कर्मचारियों और इंटरनेट दोनों को खूब हँसाया।
होटल में मुफ्त कॉफी और ग्राहकों की उम्मीदें
भारत में जब हम किसी होटल में रुकते हैं, तो सुबह-सुबह मिलने वाली मुफ्त चाय या कॉफी को भगवान का प्रसाद मानकर पी लेते हैं। दूध मिला या काला ही मिल गया, चलो भाई, पेट पूजा हो गई! लेकिन पश्चिमी देशों में कुछ मेहमान इतने "विशेष" हो जाते हैं कि उनकी फरमाइशों का कोई अंत ही नहीं।
इस होटल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। यहाँ हर कमरे में पूरा किचन, फ्रिज, गैस – सबकुछ है। मतलब आप अपना मनपसंद दूध, दही, घी, मक्खन – सब खुद रख सकते हैं। होटल की लॉबी में मुफ्त कॉफी बार भी है – रेगुलर और डिकैफ कॉफी, साथ में 2% दूध और हाफ-एन-हाफ क्रीम भी। लेकिन साहब, एक मेहमान आए और बोले, "बुज़ुर्ग लोग यहाँ रहते हैं, सबको दूध से दिक्कत है, बादाम दूध क्यों नहीं रखा?"
स्टाफ ने भी बड़े शांत भाव से कहा, "भाईसाब, आप पहले शख्स हैं पांच साल में, जिसने ये पूछा है। वैसे सामने ही किराना दुकान है, वहाँ से ले आइए।" लेकिन मेहमान का गुस्सा कम नहीं हुआ – "पिछली बार भी यही कहा था!"
क्या होटल को हर फरमाइश पूरी करनी चाहिए?
अब सोचिए, अगर हर ग्राहक की मनमरज़ी का ख्याल रखा जाए, तो होटल तो दूध डेयरी बन जाएगा! एक कमेंट में किसी ने मजाकिया अंदाज में लिखा – "क्या आपके पास हिमालय के उत्तरी ढलानों की तीन साल की बकरी का दूध है?" किसी और ने लिखा, "नहीं, लेकिन याक का दूध जरूर है।"
एक और पाठक ने चुटकी ली, "बादाम के थनों से दूध निकालना बहुत मुश्किल है!" ऐसे ही किसी ने कहा – "सर, बादाम के फार्म में भगदड़ मच गई थी, दूध मिल नहीं पाया!"
होटल के मालिक और कर्मचारी भी इंसान हैं, जादूगर नहीं। जैसे एक कमेंट में लिखा, "आप किसी को कभी संतुष्ट नहीं कर सकते। मेरे अपने कॉफी शॉप में 4 तरह के मिल्क रखते हैं, फिर भी लोग शिकायत करते हैं कि हेम्प, मैकाडेमिया, और न जाने क्या-क्या क्यों नहीं है।"
भारतीय परिप्रेक्ष्य: अतिथि देवो भव या अतिथि की फरमाइशो का अंत नहीं?
हमारे यहाँ कहा जाता है – 'अतिथि देवो भव'। लेकिन क्या इसका यह मतलब है कि हर फरमाइश पर सिर झुकाकर हाँ कर दी जाए? अगर होटल मुफ्त कॉफी दे रहा है, तो उसमें जितना मिले, उतना ही काफी है। एक पाठक ने बिल्कुल सही लिखा – "होटल कॉफी शॉप नहीं है, जो कुछ है, उसी में संतोष करिए।"
कई बार, कुछ मेहमान अपनी सुविधाओं के लिए खुद भी ज़िम्मेदार होते हैं। जैसे एक और कमेंट में कहा गया – "मुझे भी दूध से दिक्कत है, तो मैं खुद लैक्टोज-फ्री दूध लेकर जाती हूँ। यह मेरी ज़िम्मेदारी है, होटल की नहीं।"
यहां तक कि जिन होटलों में सोया या ओट मिल्क (जई दूध) रखा जाता है, वहाँ भी 99% लोग उसका इस्तेमाल नहीं करते, और दूध फेंकना पड़ता है। नट एलर्जी (शाकाहारी दूध में मौजूद नट्स से एलर्जी) की समस्या अलग है। हर किसी की पसंद अलग – किसी को बादाम, किसी को नारियल, किसी को ओट, तो किसी को बकरी का दूध!
हास्य का तड़का: बादाम दूध की तलाश
अब सोचिए, अगर होटल वाकई हर फरमाइश पूरी करने लगे, तो क्या होगा? कमरे में गाय, बकरी, याक, बादाम के पेड़ – सब रखना पड़ेगा! एक कमेंट में लिखा था, "अगर मेहमान को अपनी पसंद का दूध चाहिए, तो खुद किराना से ले आए – कमरे में फ्रिज है, जो मन में आए, रख लें!"
सबसे मजेदार कमेंट – "हमारे पास मर्दाना बादाम हैं, वे दूध नहीं देते!" ऐसे ही किसी ने कहा – "हमारे पास बादाम दूध इसलिए नहीं है, क्योंकि बादामों को दुहना बड़ा मुश्किल है!"
मजे की बात ये कि जिन बुज़ुर्गों की दुहाई दी जा रही थी, वे तो अक्सर कॉफी में 'Baileys' (एक तरह की शराब) मिलाकर पीना ज्यादा पसंद करते हैं। होटल स्टाफ ने हंसते हुए बताया – "हमारे यहाँ तो लोग कॉफी में Baileys डालना पसंद करते हैं, बादाम दूध मांगने वाला आप पहले हैं!"
निष्कर्ष: संतोषी सदा सुखी
आखिर में, यही कहना चाहूँगा – होटल में जब मुफ्त में कुछ मिल रहा हो, तो जितना मिले, उसी में खुश रहिए। अपनी खास डाइट या पसंद के लिए खुद तैयारी रखिए। आखिर, 'अपनी थाली में घी कम है' कहने से अच्छा है, 'जितना मिला, उतना काफी है' मान लीजिए।
आपका क्या अनुभव है होटल में ऐसी फरमाइशों का? या आपको भी कभी किसी मेहमान की कोई अजीब मांग याद है? कमेंट में जरूर बताइए, और अगर कहानी पसंद आई हो तो शेयर करना न भूलें!
मूल रेडिट पोस्ट: 'why don't you have almond milk?'