होटल में पालतू कुत्ते को लेकर ऐसा बवाल हुआ कि रिसेप्शनिस्ट का दिमाग घूम गया!
होटल की रिसेप्शन डेस्क पर काम करना वैसे ही आसान नहीं होता, ऊपर से अगर मेहमान कोई नया तमाशा कर दे, तो कहिए—'ऊपर से नींबू, नीचे से पानी, बीच में होटल वाला फँसा बेचारी!' ऐसी ही एक दिलचस्प, मगर गुस्से से भरपूर कहानी आई है एक होटल कर्मचारी के अनुभव से, जिसे पढ़कर आप भी सोचेंगे—'सच में, कुछ लोगों को तो पालतू जानवर पालने का हक़ ही नहीं मिलना चाहिए!'
कहानी शुरू होती है: जब फोन पर ही घमासान मचा
हमारे कहानी के नायक—होटल के रिसेप्शनिस्ट—को एक दिन फोन आया। दूसरी तरफ़ से एक महिला पूछती है, "क्या आपका होटल पालतू जानवरों के लिए अनुकूल है?" जवाब आया, "माफ़ कीजिए, हमारे यहाँ पालतू जानवरों की अनुमति नहीं है।" महिला बोली, "मेरे पास तो सिर्फ़ एक पिल्ला है, कहाँ छोड़ूँ उसे?" रिसेप्शनिस्ट ने इंसानियत दिखाते हुए कहा, "आप चाहें तो बुकिंग बिना शुल्क रद्द कर सकती हैं, हम नियम से बाहर जाकर मदद कर रहे हैं।" महिला ने बेमन से हामी भर दी और बोली, "ठीक है, कुत्ता घर छोड़ दूंगी।"
होटल में घुसपैठिये की एंट्री: नियम तोड़ने वाला मेहमान
अगले दिन वही महिला अपने पति के साथ होटल में चेक-इन करती है। सब कुछ सामान्य—कर्मचारी रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म पर बिना धूमधाम के 'नो स्मोकिंग, नो पेट्स' की याद दिलाता है। महिला मुस्कुरा कर चली जाती है। लेकिन जैसे बॉलीवुड फिल्मों में ट्विस्ट आता है, वैसे ही रात करीब 11 बजे नया तमाशा शुरू होता है।
महिला का पति रिसेप्शन पर आता है—"हमारे कमरे का बेड टूट गया है, वीडियो देखिए!" रिसेप्शनिस्ट बड़ा ही प्रोफेशनल अंदाज में माफी मांगता है, नया कमरा देने को तैयार रहता है। लेकिन, जैसे ही पति बोलता है—"क्या मैं अपना पिल्ला नए कमरे में ला सकता हूँ?" रिसेप्शनिस्ट को तो जैसे बिजली लग जाती है! "हमारे यहाँ पालतू जानवर वर्जित हैं," वह दोहराता है। लेकिन पति बोलता है, "जानता हूँ, मगर कुत्ता कार में है, बाहर एक डिग्री सेल्सियस है, वो मर भी सकता है। अगर आप डिपॉजिट लेंगे तो मैं कुत्ते को बाहर छोड़ दूँगा!"
जानवर की जान के नाम पर सौदेबाज़ी: इंसानियत या मक्कारी?
यहाँ मामला बड़ा दिलचस्प हो जाता है। कई हिंदी पाठकों को लगेगा—'अरे भैया, ये तो बिल्कुल वैसे ही है जैसे कोई बच्चा मम्मी से कहे, "अगर मुझे मिठाई नहीं मिली तो मैं रो दूँगा!"' मगर यहाँ दाँव पर एक मासूम जानवर की जान थी।
कम्युनिटी के कुछ सदस्यों ने तो कह डाला—"अगर वो सच में कुत्ते को कार में छोड़ता, तो तुरंत पुलिस बुलाते!" (यहाँ भारतीयों के लिए समझाइए, अमेरिका-यूरोप में जानवरों के लिए सख्त कानून हैं, वहाँ कार में कुत्ता छोड़ना पशु-क्रूरता मानी जाती है।)
एक यूज़र का कमेंट बड़ा ग़ज़ब था—"अगर कार में कुत्ता सो सकता है, तो मालिक भी वहीं सोए, कम से कम जानवर को तो गर्मी मिले!" किसी ने तो यह भी लिखा—"ये लोग जानवर को ब्लैकमेल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, ये शर्म की बात है।"
कुछ लोगों ने सलाह दी—"ऐसे मेहमानों को होटल से निकाल देना चाहिए, वरना अगली बार भी यही ड्रामा करेंगे।" एक महिला ने कहा, "अगर आप सच में अपने पालतू से प्यार करते हैं, तो उसकी खातिर पहले से पेट-फ्रेंडली होटल ढूँढते, न कि नियम तोड़ते।"
कर्मचारी का गुस्सा और अंत में मिली राहत
हमारे रिसेप्शनिस्ट ने इंसानियत दिखाते हुए आख़िरकार कुत्ते को कमरे में आने दिया, मगर चेतावनी के साथ—अगर कमरे में कुछ भी गड़बड़ मिली, तो डिपॉजिट जाएगा। सुबह दोनों मेहमान रिसेप्शन पर आकर पैसे वापस माँगने लगे। कमरा चेक हुआ, कुछ गड़बड़ नहीं मिली, डिपॉजिट लौटा दिया गया। मगर रिसेप्शनिस्ट ने होटल की शिकायत प्रणाली पर इन मेहमानों की पूरी रिपोर्ट डाल दी—ताकि भविष्य में होटल स्टाफ़ सतर्क रहे।
भारतीय संदर्भ में सोचिए, ऐसे मामले गाँव या छोटे शहर में होते तो, शायद होटलवाले खुद ही कह देते—"भैया, या तो कुत्ते के साथ बाहर सो, या और होटल देख ले!" लेकिन बड़े शहरों में नियम-कानून और कस्टमर सर्विस का चक्कर अलग ही है।
आपकी सोच क्या है? क्या ऐसे लोगों को पालतू जानवर पालने का हक़ है?
कहानी से एक बात तो साफ़ है—पशु प्रेम जिम्मेदारी के साथ आता है। अपने फायदे के लिए मासूम जानवर का सहारा लेना, उसे ठंड में छोड़ने की धमकी देना, या नियम तोड़ना—ये सब सरासर गलत है। कई कमेंट्स में लोगों ने कहा, "ऐसे मेहमानों को तुरंत निकाल देना चाहिए, वरना ये हर जगह यही करेंगे।"
कई पाठकों को लगेगा कि होटल का कर्मचारी ज्यादा नरम पड़ गया, लेकिन कभी-कभी कस्टमर सर्विस में इंसानियत और नियम के बीच फँसना पड़ता है। मगर अंत में, ऐसे 'मेहमान' को हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट कर देना ही सही फैसला है।
निष्कर्ष: होटल वालों की भी सुनिए—जरूरी है नियम, और जरूरी है दया
इस कहानी को पढ़कर एक पुरानी कहावत याद आ गई—'दया धर्म का मूल है, लेकिन नियम समाज का आधार।' अगर आपके पास पालतू है, तो उसकी जिम्मेदारी भी समझें। होटल के नियम तोड़ना, और ऊपर से मासूम जानवर की जान को दाँव पर लगाना—ये कहीं से भी सही नहीं।
अंत में, आपसे सवाल—अगर आप उस रिसेप्शनिस्ट की जगह होते, तो क्या करते? क्या ऐसे मेहमानों को बर्दाश्त किया जाए या सख्ती दिखाई जाए?
अपने विचार कमेंट में ज़रूर लिखिए! और अगर आपके साथ भी कोई ऐसी अजीब घटना हुई हो, तो शेयर करना न भूलें—शायद अगली ब्लॉग में आपकी कहानी हो!