होटल में नया रिसेप्शनिस्ट: मेहमानों से दोस्ती या कुछ गड़बड़?
होटल की दुनिया में हर दिन नए रंग देखने को मिलते हैं। कभी कोई मेहमान अजीब हरकत कर जाता है, तो कभी स्टाफ के बीच में खटपट हो जाती है। लेकिन आज जो किस्सा आपके साथ बांटने जा रहा हूँ, वो होटल के नए रिसेप्शनिस्ट (फ्रंट डेस्क एजेंट) के इर्द-गिर्द घूमता है। पहली नजर में तो सब कुछ ठीक-ठाक लगा, पर जैसे-जैसे वक्त बीता, होटल के गलियारों में कानाफूसी होने लगी—"कुछ तो गड़बड़ है!"
शुरुआत में सबकी पसंद, अब सबकी चिंता!
जब नया रिसेप्शनिस्ट (एफडीए) होटल में आया, तो सबको बड़ा अच्छा लगा। हर किसी की मदद करने को तैयार, हाउसकीपिंग मैनेजर से लेकर बाकी मैनेजरों तक, सबकी मदद में आगे। काम सीखने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी—पीईपी जैसी तकनीकी बातें भी जल्द समझ लीं। होटल के पुराने कर्मचारियों को लगा, "वाह! ऐसा स्टाफ तो भगवान किस्मत वालों को ही देता है।"
लेकिन कहते हैं ना, "दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है!" कुछ ही हफ्तों में तस्वीर बदलने लगी। नया एफडीए काम में लापरवाही दिखाने लगा। बुकिंग में गलतियाँ, ऊपर से ज्यादा ही एक्सप्लेन करना—इतना कि सामने वाला भी कन्फ्यूज हो जाए! और सबसे बड़ी बात, गलती होने पर मदद मांगने की बजाय चुपचाप सब छोड़ देना, जिससे अगले शिफ्ट वाले कर्मचारियों को परेशानी हो।
मेहमानों से यारी-दोस्ती या कुछ और?
अब मजेदार किस्सा सुनिए—ये साहब अपने शिफ्ट खत्म होने के बाद भी होटल में रुकते, मेहमानों के साथ पूल खेलते या गप्पें लड़ाते। कभी-कभी तो शिफ्ट शुरू होने से 8-9 घंटे पहले ही होटल आ जाते, ताकि किसी 'खास दोस्त' से विदा ले सकें। अब भला, कौन सा स्टाफ इतना समर्पित होता है? हमारे यहाँ तो बड़े-बड़े मैनेजर भी इतना समय नहीं देते!
एक बार तो हमारे लेखक ने पूछ ही लिया—"इतनी सुबह-सुबह यहाँ कैसे?" जवाब मिला—"बस दोस्त को अलविदा कहने आया था!" अब सोचिए, ये 'दोस्त' कोई आम मेहमान नहीं, हर महीने 5-6 दिन होटल में रुकता है। जाहिर है, इतनी नजदीकी पर सवाल उठना लाजमी है।
रेडिट की चर्चा में एक यूजर ने तो साफ लिखा—"ऐसी हरकतों के पीछे अक्सर ड्रग्स या गैरकानूनी काम ही होते हैं।" कई बार होटल के लॉन्ग टर्म मेहमानों के पीछे ऐसे लोग छुपे होते हैं, जो अपने धंधे के लिए होटल का इस्तेमाल करते हैं। किसी ने तो अपने अनुभव साझा करते हुए बताया, कैसे उनके भाई ने ड्रग डीलर्स की वजह से होटल में रहना शुरू कर दिया था, और आखिरकार अपनी जान गंवा दी।
झूठी पहचान और अपमानजनक व्यवहार
अब आते हैं असली मसले पर—नया एफडीए अपनी पहचान को लेकर भी खूब कहानियाँ सुनाता है। कभी कहता है, उसने यूक्रेन में सर्विस की है, पर्पल हार्ट जैसा सम्मान पाया है। लेकिन जब हमारी अनुभवी हाउसकीपिंग मैनेजर (जो खुद सेना की पूर्व सदस्य हैं) ने उनसे विस्तार से पूछा, तो सारी बातें झूठी निकलीं।
हमारे देश में भी ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो सेना या शौर्य पुरस्कारों के नाम पर फर्जी बातें बनाते हैं। ये न केवल गलत है, बल्कि असली वीरों का अपमान भी है। एक कमेंट में किसी ने लिखा—"यूक्रेन या अमेरिका की सेना ने वहां कोई पर्पल हार्ट दिया ही नहीं, ये तो सीधी-सी बात है—इनकी बातें झूठी हैं।"
इसके अलावा, हाउसकीपिंग मैनेजर के साथ रोजाना बच्चों की तरह बर्ताव करना, उनकी काबिलियत पर सवाल उठाना, होटल के पुराने नियमों की अनदेखी करना—ये सब बातें और भी शंका पैदा करती हैं।
क्या करना चाहिए ऐसे माहौल में?
जैसा कि रेडिट पर कई लोगों ने सलाह दी—ऐसे केस में मैनेजमेंट को सारी बातें बतानी चाहिए और खुद को इस व्यक्ति से दूर रखना चाहिए। हमारे यहाँ भी कहावत है—"सावधानी हटी, दुर्घटना घटी!" किसी ने तो ये भी लिखा—"अगर मैनेजमेंट को इस सबकी परवाह नहीं है, तो आप ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते। लेकिन सब कुछ लिखित में रखना शुरू कर दें, ताकि जरूरत पड़ने पर सबूत रहे।"
लेखक ने भी आखिरकार अपनी मैनेजमेंट को सब बता दिया। यहाँ तक कि नया एफडीए तो अब गंदे कमरे को साफ दिखाकर मेहमान को चेक-इन करा देता है। अब देखना ये है कि आगे क्या होता है!
निष्कर्ष : सतर्क रहें, सवाल पूछना न भूलें!
इस किस्से से ये सीख मिलती है कि ऑफिस या होटल में कोई भी चीज़ अगर 'सामान्य' से अलग लगे, तो उसे नजरअंदाज न करें। चाहे वो किसी की मेहमानों से ज्यादा दोस्ती हो, झूठी कहानियाँ हों या काम में लापरवाही—हर बात को गौर से देखना चाहिए। आखिरकार, "आग बिना धुएं के नहीं लगती!"
अब आपकी बारी है—क्या आपने कभी अपने ऑफिस या होटल में ऐसे किसी स्टाफ को देखा है, जिसकी हरकतें संदिग्ध लगी हों? या फिर कोई ऐसा अनुभव हो, जो सबक बन गया हो? कमेंट में जरूर बताइए, आपकी राय इस चर्चा को और मजेदार बना देगी!
मूल रेडिट पोस्ट: New FDA