होटल में झूठ बोलने का नतीजा: जब ग्राहक ने बनाई बड़ी बात, रिसेप्शनिस्ट ने दिया मज़ेदार जवाब
होटल की रिसेप्शन डेस्क पर काम करना कोई आसान काम नहीं है। रोज़ाना नए-नए मेहमान, उनकी तरह-तरह की फरमाइशें और कभी-कभी तो ऐसी शिकायतें सुनने को मिलती हैं कि हँसी भी आ जाए और गुस्सा भी। आज मैं आपको एक ऐसी ही मज़ेदार कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें एक ग्राहक ने होटल वाले को 'ठग' तक कह डाला, लेकिन जवाब में रिसेप्शनिस्ट ने भी कमाल कर दिया!
होटल की डेस्क पर मचा बवाल: "आपने तो ठगी कर ली!"
तो कहानी कुछ यूँ शुरू होती है – एक छोटे शहर के मोटेल में एक मेहमान ने चेक-आउट किया। जब उसके बिल से $13 एक्स्ट्रा वयस्क का चार्ज काटा गया, तो जनाब का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया। बोले, "दूसरी जगह तो कभी ये चार्ज नहीं लगता, आपलोग तो ठग हैं! मैं तो कॉरपोरेट ऑफिस को फोन करके बताऊँगा।"
अरे भैया, जब कमरा बुक किया था तब एक्स्ट्रा वयस्क की बात छुपा ली, अब पैसे कटे तो बवाल मचा रहे हैं! रिसेप्शनिस्ट ने भी बड़ी शांति से जवाब दिया – "हमारे यहाँ हमेशा से एक्स्ट्रा वयस्क का चार्ज लगता है, चाहे कमरा एक बेड का हो या दो बेड का। अगर आपको शिकायत करनी है तो बिलकुल कीजिए, मैं आपकी बात नोट भी कर लेता हूँ।"
यहाँ रिसेप्शनिस्ट की चतुराई काबिल-ए-तारीफ थी – न तो बहस, न गुस्सा, बस नियमों की सीधी बात। भाई, गलती अपनी और गुस्सा होटल पर!
होटल में छुपा-छुपाई: इंसान ही नहीं, कुत्ते भी!
अब बात निकली है तो सुनिए, कम्युनिटी के एक और मेंबर ने बड़ा दिलचस्प किस्सा शेयर किया। बोले, "कई बार लोग अपने कुत्ते को छुपाकर ले आते हैं, जबकि रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर कुछ नहीं लिखते। एक बार तो आदमी अपने कुत्ते को मेरी आँखों के सामने कमरे में ले गया!"
जब उनसे पालतू पशु शुल्क माँगा गया, तो बहाना बना दिया – "ये तो सर्विस एनिमल है, आप मुझसे सवाल नहीं कर सकते।" यहाँ तक कि एक सज्जन बोले, "मेरे पास सर्विस डॉग का कार्ड है!" जबकि असल में ऐसा कोई कार्ड कानूनी तौर पर होता ही नहीं। मतलब झूठ बोलने की भी हद होती है!
होटल वालों की भी मजबूरी समझिए – अगर कुत्ते के बारे में पता नहीं चलेगा तो सफाई, नुकसान, और अन्य मेहमानों की परेशानी कौन देखेगा? एक यूज़र ने तो यहाँ तक कह दिया, “पालतू कुत्ते की फीस न दो, तो तीन गुना पेनल्टी दो!” सही भी है – नियम सबके लिए बराबर!
"ये तो टैक्स चोरी है!" – यूरोपियन तर्ज़ और भारतीय जुगाड़
एक कमेंट में किसी ने यूरोप का उदाहरण दिया – वहाँ हर अतिथि पर टैक्स लगता है, इसलिए होटल वाले हर व्यक्ति का नाम लिखवाते हैं। रूस में तो बच्चों तक का पासपोर्ट देखना पड़ता है। सोचिए, अगर वहाँ वाले होटल मालिक होते, तो इस झूठे ग्राहक की खैर नहीं थी! टैक्स चोरी का मुकदमा ठोक देते।
हमारे यहाँ भी क्या कम जुगाड़ चलता है? कई बार शादी-ब्याह में लोग 4 की जगह 6 लोग एक कमरे में ठूंस लेते हैं, सोचते हैं होटल वालों को पता ही नहीं चलेगा। भैया, होटल वाले भी किसी गाँव के भोले नहीं हैं – उनकी नज़रें सब पर रहती हैं!
एक्स्ट्रा वयस्क चार्ज: ज़रूरी या फिजूल?
अब सवाल उठता है, क्या एक्स्ट्रा वयस्क के लिए अलग से चार्ज लेना सही है? कुछ लोगों का मानना है कि ये पुरानी और बेकार प्रथा है, क्योंकि कमरा तो वही मिलता है – चाहे एक रहे या चार। लेकिन होटल वालों की भी मजबूरी है – ज्यादा लोग आएँगे तो नाश्ता भी ज्यादा खाएँगे, पानी-बिजली का खर्च बढ़ेगा, सफाई का काम बढ़ेगा।
एक यूज़र ने बढ़िया कहा – "अगर फ्री ब्रेकफास्ट है तो हर मेहमान का खर्च होटल पर ही पड़ता है।" किसी ने तो ये भी तंज़ कसा – "अरे, एक ही कमरा है तो फिर एक्स्ट्रा वयस्क पर क्यों पैसे?" पर जवाब भी आया – "हर आदमी का खर्च अलग है, होटल का गणित मत समझाइए!"
दिलचस्प बात ये है कि कुछ होटल अब सीधा-सपाट तरीका अपनाने लगे हैं – चाहे एक रहे या चार, एक ही रेट। इससे मेहमान खुश रहते हैं, बार-बार आते हैं, और होटल की इमेज भी बढ़िया रहती है। लेकिन हर जगह ये लागू हो, ये ज़रूरी नहीं।
निष्कर्ष: होटल वालों की भी सुनिए, और ईमानदारी से रहिए
इस पूरी कहानी से एक बात तो साफ है – होटल में काम करना कोई बच्चों का खेल नहीं। हर रोज़ नई चुनौती, नए बहाने, और कभी-कभी तो झूठ भी! लेकिन नियमों का पालन करना और ईमानदारी से काम लेना – यही सबसे बेहतर तरीका है।
अगर आप भी कभी होटल जाएँ, तो सही-सही जानकारी दें, न झूठ बोलें, न छुपाएँ। होटल वाले भी इंसान हैं, उनकी मजबूरी समझिए। और हाँ, अगली बार अगर एक्स्ट्रा वयस्क या पालतू पशु के लिए चार्ज कटे, तो झगड़ा मत कीजिए – सोचिए, वो भी अपनी नौकरी कर रहे हैं।
तो बताइए, आपके साथ भी कभी ऐसा कोई किस्सा हुआ है? कमेंट में ज़रूर शेयर करें, और अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें!
मूल रेडिट पोस्ट: I’m going to call corporate because I lied