होटल में जमा राशि या टिप? एक मेहमान की हैरान कर देने वाली हरकत!
सोचिए, आप होटल के रिसेप्शन पर खड़े हैं, सामने एक मेहमान है जो चेकआउट कर रहा है। सबकुछ सामान्य चल रहा है, तभी वह मेहमान अचानक बोलता है—"छोड़िए, हमें जमा राशि वापस नहीं चाहिए!" अब बताइए, ऐसी अजीब स्थिति में आप क्या करेंगे? होटल में जमा राशि लौटाना तो जैसे पूजा-पाठ जैसा जरूरी काम माना जाता है, और यहां साहब अपनी मेहनत की कमाई को ऐसे ही छोड़कर चले गए!
होटल की जमा राशि: 'टिप' या सिरदर्द?
होटल में नकद जमा राशि (कैश डिपॉजिट) हमारे देश में भी कई जगहों पर ली जाती है—खासकर उन जगहों पर जहां मेहमानों पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता। लेकिन 100 डॉलर (यानि करीब 8,000 रुपये) कोई मामूली रकम नहीं! जिस तरह हमारे यहां शादी-ब्याह में मेहमान मिठाई का डिब्बा छोड़ जाते हैं, वैसे ही ये साहब अपनी जमा राशि छोड़कर चले गए।
रिसेप्शनिस्ट ने मेहमान से कई बार कहा, "सिर्फ दो मिनट लगेंगे, कमरा चेक करके राशि लौटा देता हूँ।" लेकिन मेहमान अड़ा रहा, "रहने दीजिए, हमें वापसी नहीं चाहिए।"
अब होटल वाले सोच में पड़ गए—कहीं कमरे में कोई गड़बड़ तो नहीं? मगर हाउसकीपिंग की ओर से भी कोई शिकायत नहीं आई, और नए मेहमान ने भी कोई हल्ला नहीं मचाया।
क्या वाकई समय, पैसे से कीमती है?
एक कमेंट पढ़ने लायक था—"कुछ लोगों के लिए समय, पैसे से ज्यादा कीमती है।" मुमकिन है साहब को कहीं फ्लाइट पकड़नी हो या कोई जरूरी मीटिंग हो, ऐसे में 5-10 मिनट की देरी उनके लिए 100 डॉलर से भारी पड़ सकती है।
भारत में भी कई बार लोग टैक्सी या होटल में ज्यादा पैसे यूं ही छोड़ जाते हैं, खासकर जब जेब में खुल्ले पैसे ना हों या जल्दी हो। कई बार तो 'टिप' देने के नाम पर लोग बड़ी रकम छोड़ जाते हैं, और हमारे होटल वाले भी मुस्कुराते हुए 'धन्यवाद' कह देते हैं—चाहे मन ही मन सोच रहे हों, "भाई, ऐसा मेहमान रोज़ मिले!"
शक की सुई: कुछ तो गड़बड़ है!
अब, कुछ लोगों को ये बात हजम नहीं होती—आखिर कौन 8,000 रुपये ऐसे ही छोड़ जाता है? एक ने तो कमेंट कर दिया, "जरूर नोट नकली रहा होगा या कोई अंदरूनी चाल है—देखना, बाद में शिकायत जरूर आएगी!"
एक और मज़ेदार टिप्पणी थी, "कहीं कमरे में कोई बड़ी गड़बड़ तो नहीं? किसी ने तो मजाक में कहा—शायद साहब ने गद्दे के नीचे कोई 'लाश' छुपा दी हो!"
हमारे देश में अगर कोई जमा राशि छोड़ जाए, तो होटल वाला पहले तो चार-पांच बार फोन करेगा, "भाई साहब, अपनी राशि ले जाइए।" और अगर फिर भी मेहमान न मिले, तो कभी-कभी वो रकम 'मालिक' के पास चली जाती है या 'अमानत' के नाम पर सालों पड़ी रहती है।
अनुभव, भरोसा और होटल की दुनिया
इस घटना से एक बात तो साफ है—हर मेहमान अलग होता है। कोई पैसे को अपनी जेब से चिपकाए घूमता है, तो कोई ऐसे ही छोड़ जाता है। कई बार लोग इतने अमीर होते हैं कि 100 डॉलर उनके लिए चाय-पानी जितना मामूली है।
एक कमेंट में किसी ने लिखा—"कई अमीर लोग कैश में ही बड़े-बड़े बिल चुकाते हैं, उनके लिए ये छोटी रकम है।" वहीं दूसरी ओर, हमारे जैसे आम लोग सोचेंगे—"भाई, 100 डॉलर! मैं तो एक-एक पैसे के लिए लड़ जाऊं!"
कुछ लोगों ने यह भी कहा, "शायद मेहमान को पुराने अनुभव खराब मिले हों—हर जगह डिपॉजिट काट लिया जाता है, इसलिए अब भरोसा ही नहीं बचा।" हमारे यहां किराए के मकान में भी कई बार लोग सिक्योरिटी डिपॉजिट भूल जाते हैं या मकान मालिक उसे 'रख' लेते हैं।
निष्कर्ष: आपकी राय क्या है?
इस पूरी घटना में होटल वाले की उलझन साफ झलकती है—"मैं तो बस जमा राशि लौटाना चाहता था, पर मेहमान ने लेने से ही मना कर दिया!" ऐसे में आप क्या करते? क्या आप भी कभी ऐसे किसी अनुभव से गुज़रे हैं?
कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए—अगर आपके पास 8,000 रुपये ऐसे ही छूट जाएं, तो क्या आप भागते-भागते लौटकर लेने जाएंगे या 'टिप' मानकर छोड़ देंगे?
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मूल रेडिट पोस्ट: Can’t we call it a tip?