होटल में खराब लिफ्ट का झमेला: मेहमान नाराज़, स्टाफ परेशान!
होटल में काम करना वैसे ही कम चुनौतीपूर्ण नहीं होता, लेकिन सोचिए, अगर आपके होटल की लिफ्ट ही दो हफ्ते के लिए खराब हो जाए और ऊपर से वीकेंड पर पूरा होटल फुल हो तो? जी हां, ऐसी ही एक घटना हुई पश्चिमी देशों के एक बड़े होटल में, जहां मेहमानों की कतारें लिफ्ट के बाहर लग गईं और इंतजार का समय 20 मिनट तक पहुंच गया। गुस्साए मेहमान, थके हुए स्टाफ और ऑनलाइन रिव्यूज़ की बाढ़—ये कहानी है उस होटल की, जहां लोगों ने मान लिया कि होटल वाले खुद ही मज़े के लिए लिफ्ट बंद रखते हैं!
जब लिफ्ट बंद हो जाए, तो होटलवालों का क्या हाल होता है?
हमारे यहां भी कई बार बिजली चली जाए या लिफ्ट बंद हो जाए, तो लोग सोचना शुरू कर देते हैं कि "बिल्डिंग वाले ने जान-बूझकर किया होगा!" वैसे ही होटल के स्टाफ की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। Reddit पर लिखने वाले OP (u/matthew_anthony) ने बताया कि लिफ्ट खराब होते ही उन्होंने कई बार रिपेयर वालों को फोन किया, सीनियर मैनेजमेंट तक बात पहुंचाई, लेकिन सबने बहाने बना दिए। होटल स्टाफ के पास खुद लिफ्ट सुधारने की कोई जादुई छड़ी तो होती नहीं! आखिरकार, दो हफ्ते तक मेहमानों को इंतजार करना पड़ा और स्टाफ को रोज़-रोज़ शिकायतें सुननी पड़ीं।
एक मजेदार कमेंट में किसी ने लिखा—"लोग सोचते हैं कि जैसे ही लिफ्ट खराब हुई, होटल वाले आराम से बैठे रहे और दो हफ्ते बाद बोले—'चलो अब ठीक करवा लेते हैं!'" हद तो तब हो गई जब हर शिकायत पर स्टाफ को मुफ्त में कॉफी, नाश्ता या डिस्काउंट देना पड़ा। एक कमेंट में लिखा गया, "मेहमान कॉफी खत्म होने पर भी कुछ बोले बिना नेगेटिव रिव्यू छोड़ जाते हैं!"
मेहमानों की नाराज़गी: जायज़ या नाजायज़?
अब सवाल ये उठता है कि क्या मेहमानों का गुस्सा जायज़ था? एक तरफ़ देखा जाए तो, जब कोई अच्छी-खासी रकम देकर होटल में ठहरता है, तो बेसिक सुविधाएं मिलनी ही चाहिए। कोई लिफ्ट न चले और 20 मिनट तक इंतजार करना पड़े, वो भी छुट्टियों के वीकेंड पर—किसी का भी दिमाग खराब हो सकता है। एक कमेंट में लिखा गया, "अगर मैं लाठी के सहारे चल रहा होता और मेरा कमरा ऊपर होता, तो बिना रिफंड के होटल से निकल जाता!"
वहीं कुछ लोग मानते हैं कि गुस्सा अपनी जगह ठीक है, लेकिन होटल स्टाफ या मैनेजमेंट हर बार तुरंत कुछ कर सके, ये ज़रूरी नहीं। एक और कमेंट था—"लिफ्ट के पार्ट्स अमेज़न से नहीं मंगाए जा सकते, कई बार पुरानी लिफ्ट के लिए कस्टम पार्ट्स बनवाने पड़ते हैं और एक्सपर्ट भी कम ही होते हैं।" एक और कहानी में किसी ने बताया कि उनके होटल में लिफ्ट की मरम्मत में छह महीने और 40 लाख रुपये लगे!
शिकायतें और रिव्यूज़: भारतीय होटल कल्चर से तुलना
हमारे यहां भी ऑनलाइन रिव्यूज़ का ट्रेंड बढ़ गया है। लोग छोटी-छोटी बात पर Google या Tripadvisor पर लंबा-चौड़ा शिकायती लेख डाल देते हैं। जैसे एक कमेंट में लिखा गया, "कुछ लोग सीधे सामने आकर बोलने की जगह बस ऑनलाइन गुस्सा निकाल देते हैं।" ये बिलकुल वैसा है जैसे पड़ोसन को शिकायत करनी हो तो वो कॉलोनी के WhatsApp ग्रुप में लिख दे, सीधा मुँह पे न बोले!
लेकिन, होटल की गलती क्या सच में है? कई बार होटल की अपनी मजबूरी होती है—पुरानी बिल्डिंग, लिमिटेड लिफ्ट, बाहर से आने वाले रिपेयर वाले का इंतजार। एक अनुभवी कमेंटेटर ने लिखा, "अगर होटल मालिक प्राइवेट अस्पताल की तरह एक्स्ट्रा पैसे देकर इमरजेंसी रिपेयर करवाए, तो शायद जल्दी हो सकता है, लेकिन हर जगह ये मुमकिन नहीं।"
सीख: मेहमान और होटल, दोनों को समझने की ज़रूरत
इस पूरी घटना से यही समझ आता है कि होटल स्टाफ और मेहमान, दोनों अपनी-अपनी जगह फंसे होते हैं। मेहमानों को जानकारी पहले से देना (जैसे वेबसाइट या बुकिंग के समय नोटिस), स्टाफ को खुले दिल से बात समझाना, और कभी-कभी सीढ़ियों पर चढ़ना भी सीखना चाहिए! वैसे, कुछ लोग तो लिफ्ट का इंतजार छोड़कर एक्सरसाइज के बहाने सीढ़ी चढ़ना शुरू कर देते हैं—ये भी एक पॉजिटिव साइड है!
तो अगली बार जब होटल में कोई सुविधा न मिले, तो थोड़ा धैर्य रखें, स्टाफ से बात करें, और ऑनलाइन रिव्यू लिखने से पहले उनकी मजबूरी भी समझें। और होटलवालों से गुज़ारिश—अगर कुछ बड़ा खराब हो, तो मेहमानों को पहले ही बता दें, ताकि दोनों ओर शांति बनी रहे।
निष्कर्ष: आपकी राय क्या है?
क्या आपको भी कभी ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ा है? क्या आपने कभी होटल स्टाफ की मजबूरी समझी है या सीधा ऑनलाइन रिव्यू में गुस्सा उतार दिया? अपने अनुभव नीचे कमेंट में ज़रूर शेयर करें!
आखिरकार, होटल में लिफ्ट की खराबी एक आम समस्या हो सकती है, लेकिन थोड़ा सा आपसी समझदारी, मज़ाकिया अंदाज़ और धैर्य—यही है असली 'अतिथि देवो भव:' का राज़!
मूल रेडिट पोस्ट: In this hotel, we purposefully have our lifts broken because that’s what we think is fun