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होटल में कर्मचारियों की बदतमीज़ी: क्या आप भी ऐसे गेस्ट को बर्दाश्त करेंगे?

होटल में फ्रंट डेस्क सुपरवाइजर पहचान पत्र और भुगतान नीतियों की समीक्षा करते हुए।
एक सिनेमाई क्षण में, एक फ्रंट डेस्क सुपरवाइजर सख्त होटल नीतियों का सामना कर रहा है, यह सोचते हुए कि मेहमानों के साथ बातचीत में संवेदनशीलता कैसे बरती जाए। अगर आप उनकी जगह होते, तो क्या करते?

भई, होटल की रिसेप्शन डेस्क पर अगर आप कभी बैठे हों तो आपको पता होगा कि वहाँ हर दिन कोई न कोई नया तमाशा देखने को मिलता है। लेकिन जब मेहमान खुद किसी और होटल का कर्मचारी हो और फिर भी बदतमीज़ी करे—तो मामला थोड़ा अलग हो जाता है। ठीक वैसा ही हुआ एक होटल के फ्रंट डेस्क सुपरवाइज़र के साथ, जिसकी कहानी इन दिनों इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रही है।

होटल की रिसेप्शन पर 'पुता' का तमाशा

कहानी कुछ यूँ है—एक होटल में रिसेप्शन की जिम्मेदारी संभाल रहे सुपरवाइज़र (मान लीजिए उनका नाम 'राहुल' है) रोज़ की तरह अपने ड्यूटी पर थे। तभी एक दूसरी होटल की कर्मचारी (जो अंग्रेज़ी भी नहीं जानती थीं) आईं और बिना दुआ-सलाम के मोबाइल फोन उनके मुँह के सामने लाकर घुमा दिया। उस वक्त राहुल फोन पर एक गेस्ट से बात कर रहे थे, तो उन्होंने शांति से कहा, "एक मिनट रुकिए।"

इतने में महिला कुछ बड़बड़ाई, जो राहुल को समझ नहीं आया, लेकिन उन्होंने उसे नजरअंदाज किया। जब राहुल फोन से फ्री हुए, महिला फिरसे फोन उनकी नाक के नीचे ले आई। राहुल ने नियम के अनुसार फिज़िकल आईडी माँगी, क्योंकि होटल में फोटो या स्कैन आईडी मान्य नहीं होती। इस पर महिला ने आँखें घुमा के, साफ़-साफ़ गुस्से में 'पुता' कहा। अब भले ही राहुल स्पैनिश न जानते हों, लेकिन ये शब्द तो बॉलीवुड फिल्मों और दिल्ली की सड़कों पर सबने सुना है—मतलब सीधा गाली!

राहुल ने बहुत प्रोफेशनली अपने ट्रांसलेटर ऐप से महिला को बताया कि फिज़िकल आईडी जरूरी है, नहीं तो चेक-इन नहीं होगा। लेकिन महिला ने दोबारा वही गाली दोहराई। इस पर राहुल ने भी ठान लिया—"अब तो ऊपर तक बात जाएगी!" उन्होंने ट्रांसलेटर में लिखकर महिला को मना कर दिया और कहा कि उनके जीएम से शिकायत की जाएगी।

महिला अब मासूम बनकर कहने लगी, "मैंने आपको क्या कहा?" राहुल ने सीधे बता दिया कि गाली सुन ली है। महिला ने बहाना बनाया कि वो अपने ट्रांसलेटर से बात कर रही थी, मगर ट्रांसलेटर तो बंद था!

नियम सबके लिए बराबर—कर्मचारी हो या आम मेहमान

अब यहाँ सवाल उठता है, क्या राहुल ने ज्यादा सेंसिटिविटी दिखाई? या फिर ये सख्ती ज़रूरी थी?

होटल इंडस्ट्री में नियम-कायदे कोई मजाक नहीं होते। खासकर जब बात आईडी और पेमेंट की हो। एक कमेंट करने वाले ने बिल्कुल सही कहा—"कर्मचारी जब दूसरे होटल में स्टे करने आते हैं तो उनसे और ज्यादा सख्ती बरती जाती है।" कारण साफ है—कई बार कर्मचारी रियायती रेट पर बुकिंग कराके किसी और को कमरा दे देते हैं, या फर्जीवाड़ा भी होता है। इसलिए फिज़िकल आईडी और कार्ड की जांच ज़रूरी है।

एक और यूज़र ने लिखा, "अगर वो डिस्काउंट का फायदा उठाना चाहती हैं, तो होटल के नियम मानना ही पड़ेगा। डिस्काउंट कोई जन्मसिद्ध अधिकार नहीं, बल्कि प्रोफेशनल बिहेवियर के बदले मिलता है।" भारतीय दफ्तरों में भी अक्सर यही देखा जाता है—जब कोई कर्मचारी छुट्टी या सुविधा चाहता है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वो नियमों का पालन करे और बदतमीज़ी न करे।

गाली देना—भाषा की समस्या या संस्कार की कमी?

कुछ पाठकों ने ये भी कहा कि स्पैनिश में 'पुता' कभी-कभी गुस्से या निराशा में बोला जाता है, जरूरी नहीं कि सामने वाले को गाली दी जा रही हो। जैसे हमारे यहाँ 'साला' या 'अबे यार' कभी-कभी गुस्से में निकल जाता है। मगर होटल की रिसेप्शन पर, वो भी कर्मचारी डिस्काउंट लेते हुए, अगर कोई ऐसी भाषा का इस्तेमाल करे, तो क्या ये जायज़ है?

एक कॉमेंट में किसी ने लिखा—"हमारे यहाँ भी अगर कोई मेहमान खुल्लमखुल्ला गाली दे, तो उसे बाहर का रास्ता दिखाते हैं।" यानी होटल में सिर्फ गेस्ट ही नहीं, बल्कि वहाँ का माहौल भी सम्मानजनक होना चाहिए। राहुल का प्रोफेशनल रवैया काबिल-ए-तारीफ था, क्योंकि उन्होंने न तो गुस्से में जवाब दिया, न ही बहस की—सिर्फ नियम का पालन किया और मामला ऊपर तक पहुँचाने का फैसला लिया।

सैलरी, नियम और इज़्ज़त—तीनों की अहमियत

होटल इंडस्ट्री, या कोई भी सर्विस इंडस्ट्री हो, उसमें नौकरी करने वालों से अक्सर उम्मीद की जाती है कि वे हर हाल में पेशेवर बने रहें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी गेस्ट, चाहे वो आम हो या खुद कर्मचारी, रिसेप्शनिस्ट या सुपरवाइज़र को गाली दे। एक पाठक ने बड़ी अच्छी बात कही, "अगर राहुल नियम न मानते, और बाद में कुछ गड़बड़ होती, तो उनकी सैलरी कौन भरता?"

यही हाल भारतीय दफ्तरों का भी है—अगर कोई कर्मचारी नियम तोड़ता है, तो उसकी जवाबदेही खुद पर होती है, न कि उस पर जो नियम लागू कर रहा है। इसीलिए, राहुल ने जो किया, वो पूरी तरह सही था। अनुशासन और इज़्ज़त दोनों साथ-साथ चलते हैं, और होटल का माहौल तभी अच्छा रहता है जब सबका व्यवहार मर्यादित रहे।

निष्कर्ष: आपका क्या कहना है?

तो भैया, इस कहानी से साफ है कि चाहे कोई भी हो, होटल के नियम सबके लिए बराबर हैं। गाली-गलौज, चाहे किसी भी भाषा में हो, बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए—खासकर जब सामने वाला भी उसी इंडस्ट्री का हिस्सा हो। राहुल ने जो किया, वही सही था।

अब आपकी बारी—अगर आप राहुल की जगह होते, तो क्या करते? क्या ऐसे गेस्ट को माफ़ कर देते, या सख्ती से नियम लागू करते? अपने अनुभव या राय नीचे कमेंट में ज़रूर बाँटें। होटल की ऐसी और अनोखी कहानियाँ पढ़ने के लिए जुड़े रहें!


मूल रेडिट पोस्ट: Am I being too sensitive? What would you guys do?