होटल में एक कमरा, सात मेहमान – छुट्टियों की रात का बवाल!
होटल की रिसेप्शन डेस्क पर काम करना वैसे ही आसान नहीं होता, ऊपर से अगर छुट्टियों की भीड़ और रात के 11 बज रहे हों, तो सोचिए क्या हाल होता होगा! आज की कहानी भी ऐसी ही एक झमेले से भरी है, जिसमें एक परिवार अपने पूरे खानदान को एक ही कमरे में फिट करने की जुगाड़ में लग गया। अब हमारे देसी पाठक सोचेंगे – “अरे, हमारे यहाँ तो बरात में एक कमरे में दस लोग सो जाते हैं!” लेकिन जनाब, विदेशों में नियम-कायदे कुछ अलग हैं।
तो बात कुछ यूं शुरू होती है – रात के 10:55 बज रहे हैं, रिसेप्शन पर एक सज्जन आते हैं। हमारे जैसे होटल कर्मचारियों के लिए तो मानो किस्मत ही फूटी है! जनाब से आईडी और क्रेडिट कार्ड मांगा गया। वो बोले, “मेरी पत्नी ने मेरे कार्ड से बुकिंग की है।” समझाया गया कि, “साहब, बुकिंग उनकी आईडी पर है और कार्ड हमारे पास नहीं, वो तीसरे पक्ष (जैसे WebBeds) के पास है, तो अगर कुछ नुकसान हुआ तो...?”
इसी बीच, पत्नी और सारे बच्चे ऐन मौके पर आ धमकते हैं। पति, पत्नी से बोले, “इनको आईडी और कार्ड दे दो।” पत्नी बोली, “क्यों? मैंने तो पहले ही पैसे दे दिए हैं।” फिर वही सवाल-जवाब, वही घिसे-पिटे तर्क-वितर्क, और आखिरकार चाबी पकड़ा दी गई।
अब असली ड्रामा यहीं से शुरू होता है। कमरे में दो ही क्वीन साइज बेड थे। पत्नी बोलीं, “सिर्फ दो बेड? हम तो सात लोग हैं! बुकिंग में तो एक्स्ट्रा बेड यानी रोल-अवे की बात थी।” रिसेप्शनिस्ट ने बड़ी विनम्रता से समझाया, “मैडम, आज छुट्टी का दिन है, सारे अतिरिक्त बेड पहले ही बुक हो चुके हैं। चाहें तो दूसरा कमरा ले सकती हैं।”
पति बोले, “चलो, देखते हैं कैसे एडजस्ट कर सकते हैं।” रिसेप्शनिस्ट ने भी समझाया, “अगर दिक्कत हो तो बता देना, दूसरा कमरा अभी खाली है।”
अब सोचिए, सात लोग – दो बड़े और पाँच बच्चे (या शायद रिश्तेदार भी शामिल हों) – दो बेड में कैसे समाएँगे? हमारे यहाँ शादी-ब्याह में तो लोग फर्श पर चादर बिछा लेते हैं, पर वहाँ के होटल नियम सख्त होते हैं। एक कमेंट करने वाले ने लिखा, “क्या सात लोगों का एक कमरे में रहना वहाँ कानूनी है?” किसी ने मजाक में कहा, “मैंने तो एक बार 11 लोगों के साथ एक कमरे में रात बिताई थी, पर अब तो अकेले रहना ही अच्छा लगता है!”
दूसरे यूजर ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से समझाया, “अगर आग लग जाए या कोई आपदा आ जाए, तो फायर डिपार्टमेंट को पता ही नहीं चलेगा कि सात लोग कमरे में हैं। इसलिए होटल की लिमिट होती है कि एक कमरे में कितने लोग रह सकते हैं।”
एक और मजेदार कमेंट था – “भाईसाहब, सात लोग? वो भी दो बेड में? रोल-अवे से क्या होगा! जरा सोचिए, पाँच बच्चे भी हों तो मेला लगेगा।”
दरअसल, समस्या की जड़ थी – ऑनलाइन थर्ड पार्टी वेबसाइट्स (जैसे WebBeds) से बुकिंग करना। अक्सर ऐसे प्लेटफॉर्म पर बारीक जानकारी छूट जाती है – जैसे कितने लोग ठहरेंगे, एक्स्ट्रा बेड चाहिए या नहीं, आदि। एक कमेंट में बताया गया, “इन वेबसाइट्स से बुकिंग करने वाले मेहमान हमेशा शिकायत करते हैं, और असली होटल वाले की कोई सुनता ही नहीं!”
हमारे यहाँ भी शादियों में कितने ही लोग बिना गिनती के एक कमरे में ठूंस दिए जाते हैं, लेकिन वहाँ इस पर फाइन भी लग सकता है या आपको दूसरा कमरा लेना ही पड़ेगा। और यही हुआ – जब परिवार ने देखा कि सात लोग दो बेड में नहीं समा सकते, तो आखिरकार दूसरा कमरा होटल से ही बुक कर लिया। दिलचस्प बात ये रही कि थर्ड पार्टी बुकिंग साइट ने उनसे होटल के असली रेट से करीब 50 डॉलर ज्यादा वसूले थे!
एक और कमेंट में सलाह दी गई – “अरे भाई, जब इतने सारे लोग हैं तो दो जुड़े हुए (adjoining) कमरे क्यों नहीं बुक कर लेते? सबको चैन की नींद भी मिलती, और होटल वाले को भी सरदर्द नहीं होता!”
इस पूरे मामले से दो बातें सीखने लायक हैं –
पहली, ऑनलाइन बुकिंग करते समय हमेशा यह देख लें कि कितने लोगों के लिए बुकिंग हो रही है, और क्या होटल की वेबसाइट पर सीधे बुकिंग करना सस्ता व आसान रहेगा।
दूसरी, विदेशी होटल में नियम-कायदे हमारे देसी अंदाज से अलग होते हैं – वहाँ सुरक्षा, आराम और होटल की जिम्मेदारी सबसे ऊपर मानी जाती है।
और हाँ, अगली बार जब आप परिवार के साथ छुट्टी मनाने निकलें, तो कमरे की गिनती और लोगों की गिनती बराबर रखना न भूलें, नहीं तो रात को कोई बच्चा बेड के नीचे ही न सो जाए!
निष्कर्ष:
तो भाइयों-बहनों, अगली बार होटल में बुकिंग करें तो फालतू जुगाड़ में न पड़ें। सारा सच-झूठ सामने आ ही जाता है, और आखिर में आपको ही नुकसान उठाना पड़ता है। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा होटल वाला बवाल हुआ है? अपने अनुभव नीचे कमेंट में जरूर शेयर करें – क्योंकि हर परिवार की एक होटल-यात्रा कहानी जरूर होती है!
मूल रेडिट पोस्ट: Okay But The hotel didnt tell you that someone from WebBeds did and they did not call here to confirm