होटल मार्केटिंग की सबसे बड़ी गलती: जब बारटेंडर बने स्ट्रिपर!
अगर आपको लगता है कि हमारे देश में ही शादी-ब्याह, त्योहार या ऑफ-सीजन में होटल वाले अजीबोगरीब स्कीमें निकालते हैं, तो ज़रा ठहरिए! विदेशों में भी मार्केटिंग के नाम पर ऐसी-ऐसी कलाबाजियाँ होती हैं, जिन्हें सुनकर आप अपनी हँसी रोक नहीं पाएंगे। आज की कहानी है एक अमेरिकी होटल की, जहाँ 'डियर हंटिंग सीज़न' में महिलाओं के लिए ऐसा प्रोग्राम रखा गया, कि आख़िर में बारटेंडरों को ही स्ट्रिपर बनने की सलाह मिल गई!
शिकारी पति और 'डियर विडो' पार्टी की जुगत
उत्तर भारत में जैसे सावन में महिलाएँ तीज-त्योहार मनाती हैं और पति-पत्नी का मिलन या दूरी एक बड़ा मुद्दा बन जाता है, वैसे ही अमेरिका के कुछ इलाकों में 'डियर हंटिंग सीज़न' होता है। इस मौके पर मर्द अपने दोस्तों के साथ शिकार पर निकल जाते हैं और महिलाएँ घर पर अकेले रह जाती हैं। वहाँ इस स्थिति को मज़ाक में 'डियर विडो' कहा जाता है—यानि हिरन की विधवा!
छोटे कस्बों के बार (शराबख़ाने) इन 'डियर विडो' महिलाओं को लुभाने के लिए खास पार्टी, बढ़िया डांस, ड्रिंक्स और कभी-कभी मेल स्ट्रिपर्स तक बुला लेते हैं। हमारे होटल की सेल्स डायरेक्टर (DoS) को लगा कि जब 500 की आबादी वाले गाँव में सौ महिलाएँ जुट सकती हैं, तो हमारे 130 कमरों के बड़े होटल में तो दोगुना धमाल हो जाएगा! बस, इसी सोच के साथ उन्होंने "डियर विडो वीकेंड" पैकेज लॉन्च कर डाला—दो रातें, ग्रैंड डिनर, ड्रिंक्स और 100 मील दूर से आए स्ट्रिपर्स का शो!
मार्केटिंग के पुराने ज़माने और उम्मीदों का फुस्स गुब्बारा
अब ये 90 के दशक की बात है, जब मार्केटिंग का मतलब था—अखबार में विज्ञापन, पेम्फलेट्स और फ्रंट डेस्क वालों को बोल दो, 'पैकेज बेचो'। लेकिन ऑफ-सीजन के उस वीकेंड में फ्रंट डेस्क पर जैसे सन्नाटा था। न बुकिंग हो रही थी, न पूछताछ! ज़्यादातर ग्राहक परिवार वाले थे, जो रिश्तेदारों से मिलने आए थे या बच्चों के साथ स्विमिंग पूल में मस्ती करना चाहते थे। किसी का इरादा स्ट्रिपर्स देखने का तो बिल्कुल नहीं था।
जैसे-जैसे वीकेंड नज़दीक आया, सेल्स डिपार्टमेंट की बेचैनी बढ़ती गई—"कितनी बुकिंग आई? कितने कॉल्स आए?" जवाब था—"बहुत कम, शायद ही कोई।" रेस्टोरेंट से भी यही जवाब मिला। आख़िरकार, शनिवार आया और पूरे होटल में बारह महिलाएँ 'डियर विडो' बनकर आईं। उनके जोश में कोई कमी नहीं थी—खूब हँसी-ठहाके, ड्रिंक्स, और स्ट्रिपर्स का बेसब्री से इंतज़ार!
जब शो हुआ कैंसिल, और बारटेंडरों पर आई आफ़त
अब असली ट्विस्ट आया। जिन स्ट्रिपर्स को 100 मील दूर से आना था, उनकी वैन रास्ते में ही खराब हो गई। शो रद्द! होटल स्टाफ़ के होश उड़ गए—अब क्या किया जाए? महिलाएँ तो ड्रिंक्स पर ड्रिंक्स पी रही थीं, और माहौल में हल्का-फुल्का नशा भी था।
सेल्स डायरेक्टर और असिस्टेंट फ्रंट ऑफिस मैनेजर ने अचानक आइडिया फेंका—"हमारे पास तीन बारटेंडर हैं, क्यों न दो को बार के ऊपर नचवा दें?" असिस्टेंट बोला—"पर उन्हें कपड़े भी उतारने पड़ेंगे!" थोड़ी देर दोनों सोच में पड़ गए... फिर बोले, "नहीं, रहने दो।" लेकिन अब 'समस्या किसी और की' थी, सो वे साहस बटोरकर महिलाओं के सामने गए।
जुगाड़ और जज़्बे की जीत, कर्मचारी बने हीरो
यहाँ पर असली भारतीय जुगाड़ का रंग देखने को मिला—डायरेक्टर महोदया ने बेमिसाल सेल्स स्किल दिखाई। उन्होंने फौरन समाधान निकाला: सभी महिलाओं को टैक्सी से शहर के कसीनो भेज दिया, जहाँ उन्हें खेलने के लिए 20-20 डॉलर होटल की ओर से मिले। महिलाएँ भी इतनी खुश हो गईं कि न कोई हंगामा, न रिफंड की माँग।
बारटेंडर? एक तो शायद वैसे भी बर्तन धोता रहता, दूसरा 'मगनम पीआई' जैसी स्टाइल में था, शायद कर भी लेता, और तीसरा तो नया-नवेला बच्चा था, उसे तो खूब चढ़ानी पड़ती तब कहीं हिम्मत जुटाता!
दोहरे मापदंड, हँसी-मज़ाक और सीख
एक पाठक ने बड़ा मज़ेदार सवाल उठाया—अगर यही शो पुरुषों के लिए होता और महिला स्टाफ़ को स्ट्रिपर बनने को कहा जाता, तो बवाल मच जाता! लेकिन जब बात पुरुषों की आई, तो 'चलो, पैसे के लिए कपड़े उतार लो' वाला मज़ाक भी चल गया। इस पर भी सबकी अलग-अलग राय थी—कोई हँसा, कोई चौंका, तो किसी को अपने पुराने कॉलेज के बार याद आ गए, जहाँ टॉपलेस बारटेंडर लड़कियाँ टिप्स के लिए मशहूर थीं।
किसी ने अपने शहर के ऐसे बार का किस्सा सुनाया, जहाँ बुज़ुर्ग दादी-दादी बार चलाती थीं, बारटेंडर टॉपलेस रहते थे, और खाना भी लाजवाब मिलता था। लोग बोले—"हमारे यहाँ तो टैलेंटेड लोग बस ड्राई डे पर ही दिखते हैं!"
अंत में–मार्केटिंग से सबक
तो दोस्तों, इस किस्से से यही सीख मिलती है कि जोश-जोश में कभी-कभी होटल या रेस्टोरेंट वाले ऐसे ऑफर निकाल देते हैं, जिनके नतीजे बिल्कुल उलट पड़ सकते हैं। मार्केटिंग का मज़ा तभी है, जब ज़मीन से जुड़ी समझदारी और सही टारगेटिंग हो, वरना बारटेंडर को नचाने की नौबत आ जाती है!
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मूल रेडिट पोस्ट: Great Moments In Marketing History: 'Stripping Bartenders'