होटल फ्रंट डेस्क की परदे के पीछे की दुनिया: लॉयल्टी पॉइंट्स का असली खेल!
कभी सोचा है कि जब आप होटल में चेक-इन करते हैं और अपनी लॉयल्टी मेंबरशिप का नंबर बड़े गर्व से फ्रंट डेस्क एजेंट को बताते हैं, तो उनके मन में क्या चलता है? क्या सच में आपके पॉइंट्स का खेल उतना सीधा है, जितना आप समझते हैं? चलिए, आज हम परदे के पीछे की दुनिया में झांकते हैं, और जानते हैं कि होटल फ्रंट डेस्क एजेंट्स किस तरह मेहमानों की उम्मीदों, कंप्यूटर की झंझटों और ब्रांड की टेढ़ी-मेढ़ी नीतियों के बीच फंसे रहते हैं।
होटल लॉयल्टी प्रोग्राम: मेहमानों का सपना, फ्रंट डेस्क की पहेली
लॉयल्टी प्रोग्राम, यानी वो सुनहरा सपना जिसमें हर ठहराव के साथ आपके पॉइंट्स बढ़ते जाते हैं और कभी न कभी ‘फ्री स्टे’ या शानदार अपग्रेड मिलता है। लेकिन असलियत में, जब आप फ्रंट डेस्क पर अपनी मेंबरशिप का नंबर थमाते हैं, तो एजेंट की हालत बिल्कुल वैसे हो जाती है जैसे किसी बैंक के कैशियर को आप नोट बदलने के लिए कह दें – करना तो है, मगर अपनी मरज़ी से नहीं।
Reddit पर एक यूज़र ने पूछा, "क्या कोई होटल का फ्रंट डेस्क एजेंट है जो लॉयल्टी प्रोग्राम के बारे में बता सके?" जवाब में कई कर्मचारियों ने दिल खोलकर अपनी मजबूरी बताई – "हमें तो बस आपका नंबर अटैच करना आता है, असली जादू तो ऑनलाइन या कस्टमर केयर वाले ही करते हैं।"
एक कमेंट में किसी ने लिखा, "हमारे पास तो पॉइंट्स जोड़ने या घटाने का कोई अधिकार नहीं, बस मेंबरशिप जोड़ सकते हैं। बाकी सब ऑनलाइन ही होता है।" दूसरे ने मज़ाकिया अंदाज में कहा, "कभी-कभी लगता है, हम होटल के दरबान हैं या ब्रांड के हाथों की कठपुतली!"
होटल कर्मचारी: पावर कम, जिम्मेदारी ज्यादा
यहाँ भारतीय दफ्तरों की तरह ही बात है – काम तो बहुत, अधिकार बहुत कम! होटल फ्रंट डेस्क एजेंट्स को मेहमानों के सवालों, शिकायतों और उम्मीदों का सामना करना पड़ता है, लेकिन लॉयल्टी पॉइंट्स के मामले में उनके पास लगभग कुछ नहीं होता। एक कमेंट के अनुसार, "अगर कोई पॉइंट्स में गड़बड़ी हो जाए, तो सिर्फ मैनेजमेंट ही थोड़ा-बहुत सुधार कर सकता है, वो भी सीमित दायरे में। बाकी सब ब्रांड के कस्टमर केयर पर ही टिका है।"
सोचिए, जब कोई मेहमान बड़ी उम्मीद से कहता है, "भैया, मेरे पॉइंट्स से आज का कमरा बुक कर दो," और एजेंट को कहना पड़ता है, "माफ कीजिए, ये तो आप ऑनलाइन या सेंट्रल रिजर्वेशन से ही करा सकते हैं," तो चेहरे पर कैसी मुस्कान लानी पड़ती होगी! एक और कमेंट में किसी ने बताया, "हम तो मेहमान को एक पर्ची ही पकड़ा देते हैं, जिसमें नंबर होता है – 'भैया, खुद कॉल कर लो, हम क्या करें!'"
लॉयल्टी पॉइंट्स: कागज़ी खेल या असली फायदा?
अब सवाल उठता है – ये पॉइंट्स असल में कैसे काम करते हैं? एक अनुभवी कर्मचारी ने बताया, "पॉइंट्स आपकी बुकिंग पर निर्भर करते हैं, वो भी तभी मिलते हैं जब आप सीधे ब्रांड से बुक करें, किसी तीसरे एजेंट (जैसे हमारे यहाँ के ट्रैवल एजेंट) से नहीं। हर होटल का रेट और कन्वर्ज़न थोड़ा अलग होता है, और ये भी रोज़ बदल सकता है।"
भारतीय संदर्भ में सोचें तो, ये बिल्कुल वैसे ही है जैसे किराना दुकान में ‘उधारी खाता’ – हर बार खरीदारी पर अंक जुड़ते हैं, मगर हिसाब किताब और इनाम का असली फैसला मालिक ही करता है। कर्मचारी तो बस नाम लिख देता है, बाकी सब ‘ऊपर’ के भरोसे!
मेहमानों की उम्मीदें, कर्मचारियों की मुश्किलें
हमारे यहाँ जुगाड़ और ‘भाई-भतीजावाद’ बहुत चलता है, लेकिन होटल लॉयल्टी प्रोग्राम के मामले में ये बिल्कुल नहीं चलता। एक कमेंट में किसी ने लिखा, "कई बार मेहमान सोचते हैं कि हम उनके पॉइंट्स से कुछ भी कर सकते हैं, पर सच्चाई ये है कि हम उनके खाते के अंदर झांक भी नहीं सकते, जब तक उनका स्टे पूरा न हो जाए।"
कभी-कभी तो ऐसा होता है कि मेहमान नाराज़ होकर कहते हैं, "इतना बड़ा होटल, और आप इतना भी नहीं कर सकते?" उस वक्त एजेंट सोचता है – ‘भैया, हमारी औकात बस चाबी देने की है, बाकी सब ब्रांड की मर्जी!’
क्या करें, जब लॉयल्टी प्रोग्राम में दिक्कत आए?
अगर आपके पॉइंट्स नहीं मिले या कोई गड़बड़ी हो गई, तो सबसे अच्छा तरीका यही है कि सीधे ब्रांड के कस्टमर केयर या ऑनलाइन पोर्टल पर जाएं। फ्रंट डेस्क वाले चाहकर भी ज्यादा मदद नहीं कर सकते। एक अनुभवी कर्मचारी ने सलाह दी – "हम आपको सही नंबर और वेबसाइट दे सकते हैं, बाकी आपकी किस्मत!"
निष्कर्ष: होटल का लॉयल्टी खेल, समझदारी से खेलें!
तो अगली बार जब आप होटल में ठहरें और अपने लॉयल्टी पॉइंट्स का जिक्र करें, तो फ्रंट डेस्क एजेंट को समझें – वो भी आपके साथी हैं, मगर उनकी डोर किसी और के हाथ में है। ज़रा मुस्कुरा कर कहें, "कोई बात नहीं भैया/दीदी, आप तो बस चेक-इन करवा दीजिए, बाकी ब्रांड से निपट लेंगे!"
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मूल रेडिट पोस्ट: Anyone work at the front desk in any hotels? Need to ask something!