होटल पार्किंग की रामकहानी: जब गाड़ियाँ लाइन में नहीं आतीं!
होटल में काम करने वालों की ज़िंदगी बाहर से देखने पर बड़ी चमक-दमक वाली लग सकती है, पर पर्दे के पीछे की असलियत कुछ और ही है। खासकर तब, जब बात आती है होटल की पार्किंग की! सोचिए, 100 कमरे, 100 पार्किंग स्पेस – सुनने में सीधा-सपाट लगता है, है ना? लेकिन हक़ीक़त में मामला इतना सरल नहीं।
हर रोज़ नए-नए मेहमान आते हैं – कोई किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ, कोई मूवर्स 16 फुट के ट्रेलर में, और कुछ ऐसे लोग जो अपनी छोटी कार को भी ऐसे खड़ी करते हैं जैसे रोड पर उनकी ही जागीर हो! होटल स्टाफ के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द यही है – ‘लोग गाड़ी पार्क करना क्यों नहीं सीखते?’
होटल पार्किंग: मैदान-ए-जंग
अब आप सोच रहे होंगे, “भई, 100 कमरे हैं तो 100 पार्किंग स्पेस काफी हैं!” लेकिन ज़रा सोचिए, जब कोई एक ट्रकवाला आठ जगह घेर ले और उसकी बड़ी सी ट्रेलर पार्किंग में ऐसे पसरी रहे जैसे शादी-ब्याह का टेंट, तो बाकी बेचारे मेहमान कहाँ जाएं? होटल वालों ने बगल की सड़क भी अपने नाम कर रखी है, ताकि बड़े ट्रक वहीं खड़े हो जाएं। लेकिन मेहमान हैं कि बिना परमिट लगाए, धड़ल्ले से अपनी गाड़ी पार्किंग में पटक देते हैं।
एक दिन होटल स्टाफ को सुबह-सुबह पता चला कि किसी ने अपनी छोटी सी कार इलेक्ट्रिक व्हीकल की जगह पर ऐसे टेढ़ी-मेढ़ी खड़ी कर दी कि असली इलेक्ट्रिक कार वाला बेचारा बाहर ही रह गया। अब बताइए, इतनी बेसिर-पैर की पार्किंग करने वालों को क्या कहें? “भैया, लाइन के अंदर तो पार्क कर लो, भगवान का वास्ता!”
मेहमानों की अदा: “मेरा गाड़ी, मेरी मर्जी!”
एक कमेंट करने वाले ने बड़ी गज़ब की बात कही – “मेहमानों को एक बार कॉल करो, समझा दो, उसके बाद अगर ना माने तो सीधा पुलिस को बुलाओ और टिकट कटवा दो!” है ना देसी जुगाड़! वैसे कुछ लोग ये भी कह रहे थे कि मैनजमेंट को ही परवाह नहीं, तो स्टाफ क्यों परेशान हो? किसी ने तो यहां तक कह डाला, “भाई, अगली बार कोई शिकायत करे, तो बोल दो – मैनजमेंट से बात करो, हमारा क्या!”
कई बड़े शहरों में तो गाड़ी गलत पार्क की, और पुलिस ने सीधा चालान काट दिया। एक सज्जन इंग्लैंड का किस्सा सुना रहे थे – बीस मिनट के लिए कार पार्क की, और दो हफ्ते बाद घर पर 130 पाउंड का जुर्माना! हमारे यहाँ तो इतनी देर में चाय भी नहीं बनती।
टिकटिंग या माफी? होटल वालों की दुविधा
अब असली दुविधा यह है – क्या मेहमानों के गलत पार्किंग पर पुलिस को बुला कर टिकट कटवा देना चाहिए? होटल स्टाफ का कहना है – “टिकटिंग का ऑफर बड़ा लुभावना है, पर डर है कि मेहमान नाराज होकर होटल को ही कोसने लगेंगे, रिव्यू में बुराई करेंगे, और ऊपर से रिफंड भी मांगेंगे!”
एक अनुभवी कमेंटकर्ता ने बढ़िया सुझाव दिया – “मेहमान को 60 सेकंड की चेतावनी दो, यदि फिर भी ना माने तो पुलिस को कॉल कर दो। और जब टिकट कटे, तो बड़ी मासूमियत से कह दो ‘माफ करिए, ये तो पुलिस का नियम है, होटल की कोई जिम्मेदारी नहीं।’”
कुछ लोग कहते हैं, “बड़ी-बड़ी चेतावनी वाली तख्तियाँ लगा दो – ‘एक कमरा, एक गाड़ी, गलत पार्किंग तो सीधा चालान!’” पर सच बताऊँ, अपने देश में लोग तख्ती पढ़ने की बजाय उसपर पान थूक जाते हैं, तो यहाँ भी शायद असर कम ही पड़ेगा!
देसी नजरिया: पार्किंग में भी है संस्कार
हमारे यहाँ अक्सर देखा गया है – लोग अपनी गाड़ी ऐसे पार्क करते हैं जैसे मोहल्ले की चौपाल हो। लाइन के अंदर कार आ जाए, तो समझो चमत्कार हो गया!
कई बार तो लोग छोटी-छोटी कारें भी ऐसे टेढ़ी-मेढ़ी घुसा देते हैं कि बगल वाले को निकलना ही मुहाल हो जाए। किसी ने सही लिखा – “तुम लाइन के अंदर खड़े हो, तो बाकी सब भी खड़े हो सकते हैं! दुनिया में और भी लोग हैं, अकेले तुम नहीं!”
होटल स्टाफ का दिल से तो यही है – “काश हम टिकटिंग शुरू कर पाते, ताकि लोग सबक सीखें – बेवकूफी से पार्क करोगे, तो बेवकूफी ही मिलेगी!”
निष्कर्ष: अगली बार होटल में गाड़ी पार्क करें, तो याद रखें...
आखिर में, होटल वालों की बस एक ही गुजारिश है – “भाई, गाड़ी पार्क करते समय जरा लाइन देख लें, बाकी सब आपके हवाले!” वरना कभी न कभी पुलिस का टिकट, होटल की झिड़की और बगल वाले की दुआ – सब मिल सकती है!
और हाँ, अगली बार होटल में चेक-इन करें, तो पार्किंग की जानकारी अच्छे से सुन लें, और अपनी गाड़ी को इतना प्यार दें कि वह लाइन के अंदर मुस्कान के साथ खड़ी रहे।
क्या आपके साथ भी कुछ ऐसा पार्किंग का किस्सा हुआ है? या कोई देसी जुगाड़ अपनाया है? नीचे कमेंट में जरूर बताएं – आपकी कहानी अगले ब्लॉग में शामिल हो सकती है!
मूल रेडिट पोस्ट: People can't park