होटल के स्वागत काउंटर पर गुस्से में तौलिया महाराज: 'मुझे सब याद है!
कहते हैं, “अतिथि देवो भवः” — पर कभी-कभी अतिथि देवता नहीं, सीधे-सीधे परेशानी का पिटारा बन जाते हैं। होटल वाले भैया-बहन तो रोज़ ही किसी न किसी किस्से का हिस्सा बनते हैं, लेकिन आज जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं, वो 'तौलियों' से शुरू होकर 'तर्कशास्त्र' के मैदान तक पहुंच गई!
गर्मी का मौसम और तौलिया युद्ध
सोचिए, आपने अभी-अभी अपनी दो हफ्ते की छुट्टी ख़त्म की है, फ्रेश-फ्रेश ऑफिस (यहाँ होटल रिसेप्शन) आए हैं, घड़ी में सिर्फ़ पाँच मिनट हुए हैं और सामने से एक साहब ग़ुस्से में आग-बबूला होकर काउंटर पर आ धमके। “बीस मिनट हो गए, मैंने तौलिया माँगा था, अभी तक आया ही नहीं!”, साहब गरजते हैं।
अब रिसेप्शनिस्ट (हमारे कहानी के नायक) थे तो बड़े शांति वाले, बोले, “माफ़ करिएगा, सर। क्या आप चाहेंगे कि मैं आपको तौलिया यहीं दे दूँ या आपके कमरे में भिजवा दूँ?” मज़ेदार बात ये कि साहब अपना ग़ुस्सा थोड़ा भी कम नहीं करते! जवाब देना तो दूर, दनादन सुनाने लगते हैं – “तुम्हें अपनी नौकरी अच्छे से करनी चाहिए! हर बार बहाना सुनने को मिलता है!”
अब हमारे भैया फिर से विनम्रता का परिचय देते हुए बोले, “सर, मेरी अभी शिफ्ट शुरू हुई है, मुझे जानकारी नहीं थी। मैं तुरंत तौलिया दे सकता हूँ, या आपके कमरे में भिजवा सकता हूँ।” लेकिन साहब को तो बक-बक करनी थी। कभी कहते हैं, “तुम हमेशा बहाने बनाते हो!” कभी कहते हैं, “पिछले तीन दिन से तुम्हें देख रहा हूँ, तुम ही हो जिसने मेरी कोई मदद नहीं की।”
जब अतिथि की याददाश्त रिसेप्शनिस्ट की छुट्टियों से भी तेज़ निकली
यहाँ कहानी में ट्विस्ट आता है। रिसेप्शनिस्ट साहब बड़े प्यार से बताते हैं, “सर, मैं तो पिछले दो हफ्तों से छुट्टी पर था, आज ही लौटा हूँ। आपसे पहली बार मिल रहा हूँ।” अब ज़रा सोचिए, हमारे यहाँ भी कई बार मोहल्ले का पानवाला छुट्टी पर चला जाए तो लोग अगले दिन नए लड़के से “अरे, कल वाले पैसे रख लेना” कह देते हैं।
लेकिन मेहमान साहब मानने को तैयार ही नहीं! बोले, “तुम झूठ बोल रहे हो, मैं तुम्हें पिछले तीन दिन से देख रहा हूँ!” यहाँ तो हाल वही हो गया — “ना माया मिली, ना राम!”
कमेंट्स का मज़ा: होटल वालों की दुनिया का असली रंग
रेडिट के इस किस्से पर कम्युनिटी के लोगों ने खूब चटपटे और दिलचस्प कमेंट्स किए। एक यूज़र ने मज़ाक में लिखा, “सर, आपको तर्क समझ नहीं आ रहा, क्या एंबुलेंस बुलाऊं?” किसी ने कहा, “भाई, मेहमान को हर घंटे तौलिया भेजते रहो, कहीं बेचारे को फिर से तरस ना जाए!” और एक ने तो होटल के कर्मचारियों के दर्द को यूँ बताया, “इन अतिथियों के लिए हम सब एक जैसे हैं, सब पर ‘FRONT DESK’ लिखा दिखता है, बस इंसान नहीं दिखता!”
यही होता है, जब कोई ग्राहक बार-बार उसी कर्मचारी को दोष देता है, जिसे उसने कभी देखा ही नहीं! हमारे यहाँ भी तो अक्सर दुकानदार लोग कहते हैं, “साहब, वो वाला लड़का कल आया ही नहीं था, आप किसी और को समझ रहे हैं।”
एक और कमेंट में किसी ने कहा, “अगर वो मेहमान तय नहीं कर पा रहे कि तौलिया खुद लेना है या कमरे में मंगवाना है, तो मान लेना चाहिए कि उनका मसला हल हो गया!” अब आप ही बताइए, हमारे यहाँ सरकारी दफ्तरों में भी कई बार लोग फॉर्म भरने जाएं तो क्लर्क पूछता है – “खुद जमा करोगे या पोस्ट से भेज दूं?” और जनता बस शिकायतों की लिस्ट पकड़ाकर निकल लेती है!
होटल का असली जीवन: हर मेहमान का चेहरा एक जैसा?
होटल इंडस्ट्री में ऐसा अक्सर होता है — मेहमान सोचते हैं कि हर रिसेप्शनिस्ट, हर हाउसकीपिंग वाला, सब एक ही हैं। कोई शक्ल नहीं पहचानता, बस यूनिफॉर्म देख कर “ये वही है!” मान लेते हैं। एक कमेंट में मज़ेदार तंज था — “तुम सब एक जैसे क्यों लगते हो? वैसे ही जैसे हर ग्राहक भी एक जैसे लगते हैं!”
हमारे यहाँ भी अगर किसी सरकारी दफ्तर में बार-बार जाना पड़े, तो कभी-कभी बाबू लोग भी पहचान नहीं पाते कि पिछली बार कौन आया था। फिर भी, शिकायतें वही रहती हैं — “आपने पिछली बार भी फाइल अटका दी थी!”
क्या सीख मिली? ग्राहक राजा है... पर रिसेप्शनिस्ट भी इंसान है!
आखिर में, इस कहानी से यही सीख मिलती है — ग्राहक को भगवान मानना अच्छी बात है, लेकिन भगवान भी कभी-कभी इंसान की गलती मान लेते हैं, ग्राहक तो फिर भी ग्राहक है! और रिसेप्शनिस्ट? वो तो बस अपनी दो हफ्ते की छुट्टी से लौटकर, सुबह-सुबह तौलिया, तर्क और ताने – सबकी बारिश झेलने को तैयार रहता है।
तो अगली बार जब आप होटल जाएं, तो रिसेप्शन पर खड़े उस मुस्कुराते चेहरे को इंसान समझिए, भगवान नहीं! और हाँ, तौलिया समय पर मिल जाए, तो “धन्यवाद” कहना मत भूलिएगा।
आपकी राय
क्या आपके साथ कभी ऐसा कोई मज़ेदार या अजीब किस्सा हुआ है – चाहे होटल में, बैंक में या किसी सरकारी दफ्तर में? कमेंट में ज़रूर बताइए। ऐसी कहानियाँ पढ़ना-सुनना हमेशा मज़ेदार रहता है, और शायद अगली बार कोई रिसेप्शनिस्ट आपकी कहानी भी यहाँ सुना दे!
मूल रेडिट पोस्ट: I know it was you!!