होटल के स्वागत काउंटर पर आई 'महारानी' और उसके दो शाही कुत्ते: एक हास्यपूर्ण किस्सा
अगर आप कभी होटल में रुके हैं तो आपको भी शायद वो एक-दो मेहमान ज़रूर याद होंगे, जिनके नखरे आसमान छूते हैं। होटल कर्मचारी चाहें जितनी कोशिश कर लें, ऐसे 'विशेष' मेहमानों को खुश करना किसी पहेली से कम नहीं। आज की कहानी ऐसी ही एक 'स्वघोषित महारानी' की है, जो अपने दो शाही कुत्तों के साथ होटल पहुँची और वहां के स्टाफ को उनकी परीक्षा ले डाली।
तीसरे पक्ष से बुकिंग और दो कुत्तों के साथ 'शाही' एंट्री
सोचिए, आपकी ड्यूटी का समय है शाम 3 से रात 11 तक, और तभी होटल में एक महिला आती है—दो कुत्तों के साथ। उसने होटल की बुकिंग किसी 'तीसरे पक्ष' वेबसाइट (यानी ओटीए, जैसे कि हमारे यहाँ 'मकान डॉट कॉम' या 'यात्रा डॉट कॉम' टाइप साइट्स) से की है, और आते ही बवाल शुरू!
जैसे ही रिसेप्शनिस्ट ने बताया कि हर कुत्ते के लिए ₹15 प्रति रात की फीस लगेगी, महारानी जी भड़क उठीं। "ये क्या बात हुई! मुझे तो फ्री में सुइट रूम में अपग्रेड कर देना चाहिए," उनका फरमान सुनते ही रिसेप्शनिस्ट के चेहरे पर वही मुस्कान आ गई, जो दिल्ली मेट्रो में सीट मांगने वाली आंटी को मना करने पर आती है।
रिसेप्शनिस्ट ने भी पूरी शालीनता से जवाब दिया, "माफ़ करिएगा मैडम, हमारे होटल में फ्री अपग्रेड केवल सबसे बड़े लॉयल्टी मेंबर्स को ही मिलता है। आपको अपग्रेड चाहिए तो ₹50 अतिरिक्त देने होंगे—वो भी अगर उपलब्ध हुआ तो।"
'महारानी' का दूसरा मोर्चा: पति से सलाह-मशविरा!
अब महारानी जी बोलीं, "मैं अपने पति से बात करती हूँ, फिर तय करेंगे कि यहाँ रुकना है या नहीं।" ज़्यादातर पाठक समझ गए होंगे—पति साहब गाड़ी में ही बैठे हैं, शायद इसलिए कि रोज़-रोज़ की बहस से बच सकें! एक कमेंट में किसी ने बड़े मज़ाकिया अंदाज में लिखा, "पति अभी भी कार में ही हैं ताकि उनकी बीवी की बकवास ना सुननी पड़े। यकीन मानिए, हर जगह यही करती होंगी।"
खैर, रिसेप्शनिस्ट ने भी एकदम बॉलीवुड के 'सावधान' अंदाज में कह दिया, "आप रहें या जाएँ, आपका कमरा नॉन-रिफंडेबल है, पैसा तो देना ही पड़ेगा!" यानी अगर वो किसी और होटल में भी जाएँ, फिर भी यहाँ का पैसा डूबना तय है।
'तीसरे पक्ष' बुकिंग का झंझट: होटल और मेहमान दोनों परेशान
होटल इंडस्ट्री में 'तीसरे पक्ष' (third party) बुकिंग एक अलग ही सिरदर्द है। कई बार ऐसे प्लेटफार्म होटल की असली सुविधाएँ बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं—जैसे 'हॉट टब', 'किचनेट', या कोई और लुभावना झांसा। बाद में जब मेहमान होटल पहुँचते हैं और सच्चाई सामने आती है, तो शुरू होता है होटल स्टाफ और मेहमान के बीच 'कौन पैसा लौटाएगा' वाला खेल।
एक और कमेंट में किसी ने लिखा, "अब मैं सीधा होटल से बुक करता हूँ, कभी कोई दिक्कत नहीं आती। तीसरे पक्ष से बुकिंग में हमेशा धोखा मिलता है।" एक होटल कर्मचारी का दर्द भी झलकता है, "तीसरे पक्ष वाले खुद को हमारा होटल बताकर झूठ बोलते हैं, कॉल सेंटर वाले भी सीधा झूठ बोल देते हैं। कैसे-कैसे लोग मिलते हैं!"
कुत्तों की फीस और सफाई का झंझट: 'पद्मिनी एक्सप्रेस' के यात्रियों से भी आगे!
आप सोच रहे होंगे, ₹15 प्रति कुत्ता प्रति रात ज्यादा है? एक कमेंट पढ़िए—"हमारे यहाँ तो ₹75 प्रति कुत्ता चार्ज है, वो भी नॉन-रिफंडेबल! और कई होटल में तो ₹150 तक चला जाता है।" असल में, पालतू जानवरों के साथ सफाई का खर्चा होटल वालों के लिए बड़ा सिरदर्द है। कई मेहमान अपने कुत्तों की 'पी पैड' (जिन्हें घर का टॉयलेट समझिए) होटल के कमरे में छोड़कर चले जाते हैं। जैसे किसी ने लिखा, "मेहमान पी पैड पर गंदगी छोड़ जाते हैं, सफाई वाले का क्या हाल होता है सोचो!"
कुछ सज्जन मेहमान भी होते हैं, जो अपने कुत्तों की सफाई खुद करते हैं, लेकिन ऐसे लोग उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। बाकी तो "ग्राहक हमेशा सही है" की तर्ज़ पर मुफ्त सुविधाएँ मांगने आ जाते हैं।
'ग्राहक हमेशा सही है'—कहानी के पीछे का सच
एक कमेंट में बड़ी मजेदार बात लिखी थी, "इस स्लोगन का असली मतलब था—ग्राहक स्वाद के मामले में हमेशा सही है, न कि हर बात में।" यानी अगर आपको मीठा पसंद है तो वही सही, लेकिन होटल के नियम-कानून में दखल देना आपका अधिकार नहीं!
कुछ मेहमान तो ऐसे होते हैं, जैसे बड़े हो गए लेकिन आदतें 'टॉडलर' की तरह—हर बात पर मनवाने की जिद! होटल वाले भी अब समझ चुके हैं, "तीसरे पक्ष की बुकिंग है, तो माफी मांग लो, और कह दो—कोई बदलाव संभव नहीं।"
निष्कर्ष: होटल में नखरे, मजा और सीख
इस कहानी से दो बातें तय हैं—एक, होटल में काम करना किसी फैमिली ड्रामा से कम नहीं; और दो, अगर आप वाकई बेहतरीन अनुभव चाहते हैं तो सीधा होटल से बुकिंग करें, न कि किसी 'शॉर्टकट' वेबसाइट से!
तो अगली बार जब आप होटल जाएँ, अपने कुत्ते-बिल्ली या 'महारानी' वाली फरमाइशें साथ लेकर जा रहे हों, तो होटल के स्टाफ का भी ख्याल रखें। आखिरकार, हर कहानी के दो पहलू होते हैं—एक मेहमान का और एक वो, जो काउंटर के इस पार खड़ा है।
आपके होटल के अनुभव कैसे रहे? क्या कभी किसी 'महारानी' जैसी अतिथि से सामना हुआ है? कमेंट में जरूर बताएँ—आपकी कहानी भी किसी को मुस्कुरा सकती है!
मूल रेडिट पोस्ट: self entitled prepaid third party guest.