होटल का सबसे 'साफ-सुथरा' मेहमान: जब सफाईकर्मी भी रह गए दंग
होटल की दुनिया में वैसे तो हर रोज़ नए-नए रंग-बिरंगे मेहमान आते रहते हैं – कोई हँसमुख, कोई तुनकमिज़ाज, तो कोई बस अपने काम से काम रखने वाला। पर कभी-कभी कोई ऐसा मेहमान भी आता है, जिसकी हरकतें देखकर होटल स्टाफ भी सोच में पड़ जाता है – "भाई, ये क्या चल रहा है!" आज की कहानी एक ऐसे ही 'स्वच्छता प्रेमी' पर है, जिसे देखकर देश के सबसे सख्त सफाईकर्मी भी उसके आगे पानी भरें।
मेहमान या 'साफ-सफाई' का ब्रांड एंबेसडर?
कहानी शुरू होती है एक साधारण से दिन पर, जब होटल के रिसेप्शन पर एक सज्जन आते हैं। उनका अंदाज़ बिल्कुल अलग – दिनभर लॉबी में चहलकदमी, फोन पर लंबी-लंबी बातें और अचानक एक छोटी सी हैटर की फरमाइश। स्टाफ ने जब बताया कि होटल में छोटा हीटर नहीं है, तो जनाब ने सफाई का ऐसा ताना-बाना बुन डाला कि सुनकर रिसेप्शनिस्ट भी हक्का-बक्का रह गया।
असल में उन्हें हीटर चाहिए तो था, पर इस्तेमाल नहीं कर सकते थे – "हीटर से हवा चलेगी, और हवा में कीटाणु घूमेंगे," उनका तर्क था। स्टाफ ने समझाया कि कमरा बदल देते हैं, तो तुरंत बोले – "नहीं-नहीं, इतनी आसानी से कमरा भी नहीं बदल सकते।" वजह पूछी तो जनाब ने अपनी 'जर्म्स प्रूफ' ज़िंदगी का पूरा मैन्युअल सुनाया।
होटल रूम या ऑपरेशन थिएटर?
अब ज़रा उनकी सफाई की तकनीक सुनिए – मेज पर डायरी रखनी है तो सीधे नहीं, टिशू पेपर के ऊपर। अपने तकिए, कम्बल सब घर से लाए, लेकिन बिस्तर पर सोने से पहले पेंटर वाला मोटा तिरपाल बिछाते हैं। कमरे की हर सतह पर प्लास्टिक की शीट, हर दरवाजे के हैंडल पर दस्ताने! नल, टेबल, डेस्क – सब पर कचरे के थैले या पॉलिथीन लपेटी हुई।
साफ-सफाई की इस हद तक जाने वाले मेहमान ने होटल के स्टाफ को भी सोचने पर मजबूर कर दिया – "इतनी मेहनत तो हम भी नहीं करते!" ऊपर से, उन्होंने बड़े प्रेम से अपने घर के 'हाइजीन रूल्स' भी सुनाए – घर में घुसने से पहले सबको जूते पर अल्कोहल स्प्रे, और गाड़ी से उतरते-चढ़ते वक्त पत्नी खुद उन्हें स्प्रे करके 'डिसइंफेक्ट' करती हैं। अब ऐसे नियम सुनकर तो हमारे देश के पुराने 'आँगन में पैर धोकर आओ' वाले घर भी फीके पड़ जाएं।
कम्युनिटी की राय: OCD, डर या बस सफाई का जुनून?
इस Reddit पोस्ट पर लोगों की प्रतिक्रियाएँ भी कम दिलचस्प नहीं थीं। एक यूज़र ने लिखा, "भाई ये तो थेरेपी लेवल का मामला है, बेचारा कितना डर और तनाव में जी रहा है।" किसी ने इसे 'OCD' (ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर) कहा, तो दूसरे ने 'रूपोफोबिया' – यानी कीटाणुओं का डर। एक कमेंट में कहा गया, "हमारे होटल में भी एक सज्जन ऐसे थे, जो अपने साथ तीन परतों में पैक किए हुए कागज़ रखते थे, और हर चीज़ को खुद साफ़ करते थे।"
कई लोगों ने दुख जताया कि ऐसी फोबिया इंसान की ज़िंदगी कितनी मुश्किल बना देती है – न खुद चैन से जी पाते हैं, न परिवार को आराम से रहने देते हैं। एक यूज़र ने मज़ाक में लिखा, "भाई, घर में जूते पहनने देते हो? क्या बात है! हमारे यहाँ तो चप्पल भी बाहर ही उतरवा लेते हैं।" किसी ने ये भी पूछा, "इतना डर है तो होटल में आना ही क्यों?"
सफाईकर्मी की राहत और हैरानी
सबसे मज़ेदार पल तब आया, जब मेहमान ने चेकआउट किया। सफाईकर्मी कमरे में गए, तो वहाँ का नज़ारा देखकर चौंक गए – हर काउंटर पर कचरे की थैली, हर हैंडल पर दस्ताना, बिस्तर पर तिरपाल और हवा में रगड़ते अल्कोहल की तीखी गंध। लेकिन, हैरत की बात ये थी कि कमरा अंदर से एकदम साफ-सुथरा निकला। होटल स्टाफ ने चैन की साँस ली – "चलो, कम से कम किसी को अल्ट्रा-क्लीन कमरा तो मिला!"
सोचने की बात: संतुलन ज़रूरी है
साफ-सफाई अच्छी बात है, ये तो हमारी संस्कृति भी सिखाती है – "स्वच्छता में ही ईश्वर का वास है।" पर जब ये जुनून हद से बढ़ जाए, तो ज़िंदगी परेशानियों का डिब्बा बन जाती है। Reddit पर कई लोगों ने यही कहा – "भाई, ऐसी हालत में थेरेपी ज़रूरी है, वरना ज़िंदगी बोझ बन जाती है।" किसी ने ये भी जोड़ा कि ऐसे लोग दूसरों से कुछ उम्मीद नहीं रखते, अपने तरीके से जीते हैं – और कभी-कभी उनका अपना तरीका बाकियों के लिए राहत भी बन जाता है!
निष्कर्ष: आपके आस-पास भी हैं ऐसे लोग?
तो, अगली बार जब किसी होटल, ऑफिस या अपने घर में कोई सफाई का दीवाना दिख जाए, तो उसे बस हैरानी से मत देखिए – सोचिए, शायद वो किसी अनदेखे डर से लड़ रहा हो। और हाँ, इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें – क्या पता, आपके ग्रुप में भी कोई 'होटल का सबसे साफ मेहमान' छुपा बैठा हो!
आपका क्या अनुभव रहा है ऐसे लोगों के साथ? कमेंट में जरूर बताइए, और अगर आपको ये किस्सा मज़ेदार लगा हो तो शेयर करना मत भूलिए!
मूल रेडिट पोस्ट: Housekeeping’s Favorite