होटल के शोरगुल वाले पड़ोसियों को मिली ‘फ्री ब्रेकफास्ट’ वाली मीठी सज़ा!
किसी भी भारतीय परिवार के लिए छोटा सा हॉलिडे होटल में बिताना मतलब, थोड़ी मस्ती, ढेर सारी नींद और शांति की उम्मीद। पर सोचिए, जब ऊपर वाले कमरे में कोई “भैंसों का झुंड” बस जाए, तो क्या होगा? हमारी आज की कहानी इसी अनोखी स्थिति और उससे मिली ‘पेटी रिवेंज’ (Petty Revenge) पर आधारित है, जिसमें थोड़ा सा मसाला, थोड़ी सी चालाकी और ढेर सारी हंसी है।
जब होटल का सपना टूटा – “ऊपर वाले” वाले अंदाज़ में
बात कुछ हफ्ते पुरानी है। एक परिवार छुट्टियां मनाने होटल रिसॉर्ट पहुंचा — सोचिए, जैसे हम लोग परिवार के साथ ऋषिकेश या मसूरी जाते हैं, शांति की आस लिए। पर जैसे ही बच्चों को सुलाने की बारी आई, ऊपर से किसी शादी-बरात की तरह धमा-चौकड़ी सुनाई देने लगी। खुद को समझाया – “बच्चे हैं, थोड़ा बहुत चलता है।” पर ये तो जैसे पूरी रात का कीर्तन था!
जहाँ हमारे मुख्य किरदार (रेडिट पर gwinerreniwg नाम से) अपने बच्चों को “शांत रहो, दूसरों का भी ख्याल रखो” सिखा रहे थे, ऊपर वाले परिवार (या कहें, भैंसों का झुंड!) दरवाज़े पटकना, सामान गिराना और रात भर धमाचौकड़ी मचाना बंद ही नहीं कर रहे थे।
अब पत्नी की भौंहें तन गईं, और हमारे भाई साहब का खून उबाल खाने लगा। कहते हैं, “घर में सुकून नहीं तो चैन नहीं”— यही हालत थी।
सुबह का बदला – ‘फ्री ब्रेकफास्ट’ की झांकी
अब आते हैं असली ट्विस्ट पर। हमारे नायक को नींद कम चाहिए, घड़ी के पाँच बजते ही आँख खुल गई। बदले की आग ठंडी न हुई थी, तो उन्होंने सोचा, “अब इन शोरगुल वालों को भी मज़ा चखाया जाए।”
होटल के कॉरिडोर में जाकर हाउस फोन से ऊपर वाले कमरे में कॉल मिलाया – पहली बार किसी ने उठाया नहीं। पर हार कहाँ माननी थी! फिर कॉल किया, इस बार एक महिला की नींद खुली, आवाज़ में आलस्य घुला हुआ – “हेल्लो...?”
अब शुरू हुआ असली खेल – आवाज़ में मिठास भरकर बोले, “गुड मॉर्निंग! यह फ्रंट डेस्क से आपकी वेकअप कॉल है। आज खास मेहमानों के लिए फ्री ब्रेकफास्ट और वॉटरपार्क की फ्री एंट्री है, लेकिन 30 मिनट में काउंटर पर आना ज़रूरी है!” सामने से कन्फ्यूज़न वाली हल्की सी ‘हूँ’ आई। भाई साहब ने धन्यवाद कहकर फोन रख दिया।
अब मज़ा देखिए – हमारे नायक लॉबी में बैठ गए, और 20 मिनट बाद ही ऊपर वाले कमरे से नींद में डूबे, आधे-अधूरे कपड़ों में, पूरे खानदान को घसीटते हुए नीचे आते देख लिया। उनकी आँखों में उम्मीद और झुंझलाहट का मिश्रण था। जैसे ही काउंटर पर पहुँचे, वहां गर्मागर्म बहस शुरू – मैनेजर से शिकायत, मैनेजर सफाई दे रहा कि ऐसा कोई ऑफर नहीं है। पाँच मिनट में उन्हें समझ आया कि ये कोई मज़ेदार शरारत थी, और फिर सब मायूस होकर वापस चले गए।
कम्युनिटी की राय – बदला या बेकसूरों की शामत?
अब बात करते हैं, इस किस्से पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की। रेडिट पर बहुत लोगों ने इस ‘बदले’ को बड़ा मज़ेदार बताया। एक मज़ाकिया यूज़र ने लिखा, “कमाल कर दिया, लेकिन रिसेप्शन वाले कर्मचारी के लिए थोड़ा दुख हुआ।”
खुद पोस्ट लिखने वाले ने भी माना, “सुबह-सुबह मैनेजर की नींद उड़ा दी, थोड़ा पछतावा हुआ। मेरे बदले की बलि में कुछ बेगुनाह भी फँस गए।” एक और सुझाव आया, “अगर किसी काल्पनिक रेस्टोरेंट का नाम लेते तो कम से कम होटल स्टाफ बच जाते!”
कुछ लोगों ने भारतीय अंदाज़ में ताना मारा – “भाई, अगर परेशानी थी, तो होटल रिसेप्शन को फोन कर देते, वे खुद शोरगुल वाले परिवार को समझा देते। फ्रंट डेस्क वालों को बेवजह बीच में क्यों घसीटा?” एक अनुभवी होटल कर्मचारी बोले, “रात की शिफ्ट में सिर्फ एक ही रिसेप्शनिस्ट होता है, वो भी कभी-कभी डर के मारे ऊपर नहीं जाता। असली शांति तो तब मिलती है जब कोई बड़ा सिक्योरिटी गार्ड आकर सबको डरा दे!”
एक और मज़ाकिया कमेंट था, “शोर करने वालों को सुबह-सुबह उठाने का मज़ा ही अलग है – जैसे किसी शादी के बाद घर में सुबह-सुबह ढोल बज जाए।”
क्या सीख मिली? भारतीय नजरिए से समापन
इस किस्से से क्या सीखें? अगर होटल में कोई शोर मचा रहा हो, सबसे पहले रिसेप्शन को बताएं – ये उनका काम है। अगर वे अनसुनी कर दें, तो थोड़ा ‘जुगाड़’ चलता है, लेकिन ध्यान रहे कि बेगुनाहों को परेशान न किया जाए।
हमारे ही देश में भी, मोहल्लों की कहानियाँ भरी पड़ी हैं – “पिछली रात किसी ने डीजे बजाया, तो अगले दिन सुबह-सुबह कोई भजन मंडली ले आया!” असली बात है – बदला भी सोच-समझकर, मज़े के साथ, पर दूसरे मासूम लोगों की मुश्किलें बढ़ाए बिना लेना सबसे बेहतर है।
तो अगली बार होटल या गेस्ट हाउस में कोई “भैंसों का झुंड” पड़ोसी मिले, तो हल्के-फुल्के अंदाज़ में, लेकिन जिम्मेदारी के साथ निपटें। और हाँ, कभी-कभी शरारती बदले भी मीठी मुस्कान दे जाते हैं – बस अपनी ‘ब्लास्ट रेडियस’ का ध्यान रखें!
आपकी क्या राय है ऐसे पेटी रिवेंज पर? अगर आपके साथ कभी ऐसा हुआ हो, तो हमें कमेंट में ज़रूर बताएं – हो सकता है आपकी कहानी अगली बार यहाँ छप जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: Free Breakfast for a Limited Time This Morning for Loud Hotel Neighbors