होटल की वो रात: जब सेंट पैट्रिक्स डे ने ऑडिटर की कमर तोड़ दी
होटल में काम करने का अपना ही मजा है — कभी मेहमानों की मुस्कान से दिन बन जाता है तो कभी उनकी हरकतों से रातें उजड़ जाती हैं। लेकिन अगर आप सोचते हैं कि होटल में नाइट ड्यूटी कुछ आसान और सुकून भरी होती है, तो जनाब, आज की कहानी पढ़ने के बाद आपका भ्रम टूट जाएगा!
आज आपको सुनाते हैं एक ऐसे नाइट ऑडिटर की आपबीती, जो सेंट पैट्रिक्स डे की रात होटल के मोर्चे पर अकेला खड़ा था—सामने थे नशे में धुत्त मेहमान, बेपरवाह सुरक्षा गार्ड और ऊपर से लापरवाह मैनेजमेंट। सच कहें तो, ऐसी रातें तो हमारे यहां सिर्फ टीवी के सस्पेंस सीरियल में ही देखने को मिलती हैं!
होटल का रणक्षेत्र: जब नशे में धुत्त मेहमानों का सैलाब आया
सोचिए, एक आलीशान होटल, जहां आसपास पांच-पांच बार और क्लब हैं, और सेंट पैट्रिक्स डे की रात है — यानी शराब की नदियां बह रही हैं! जैसे ही घड़ी रात के दो बजाती है, सारे क्लब बंद होते ही नशे में टल्ली लोग होटल के लॉबी में घुस आते हैं। कोई उबर का इंतजार कर रहा, कोई टॉयलेट की तलाश में, तो कोई स्नैक बार को घूरता रह जाता है।
अब होटल के नियम तो यही कहते हैं कि बिना रूम कार्ड के कोई अंदर नहीं आ सकता, लेकिन जब असली मेहमान आते हैं और दरवाजा खोलते हैं, तो उनके पीछे-पीछे दर्जनों बाहरी लोग भी घुस पड़ते हैं। नाइट ऑडिटर बेचारा अकेला — एक तरफ ‘सर, प्लीज बाहर जाइए’ की गुहार, तो दूसरी तरफ नशे में धुत्त लड़कियां ‘बस एक बार वॉशरूम यूज कर लूं’ की मिन्नतें।
यहां एक कमेंट करने वाले पाठक ने खूब लिखा — "भाई, शुक्र है हमारा होटल किसी बार के पास नहीं है!" जिस पर खुद ऑडिटर ने जवाब दिया, "यह तो सच में नरक है!" और क्या खूब कहा — होटल की वो रात किसी युद्ध क्षेत्र से कम नहीं थी।
सुरक्षा गार्ड या शोपीस? जब भरोसा भी जवाब दे जाए
अब होटल में सुरक्षा गार्ड तो होते ही हैं कि मुसीबत के वक्त मदद करें। लेकिन यहां तो गार्ड साहब खुद मोबाइल में उलझे बैठे थे। लॉबी में घुसा कोई भी, चेक करने की जिम्मेदारी ऑडिटर पर! ऊपर से जब लड़ाई-झगड़े की आवाजें आतीं, तो ऑडिटर ही हॉल में जाकर देखता कि हो क्या रहा है।
एक बार तो गार्ड ने खुद पूछा, "क्या मुझे तीसरी मंजिल पर लड़ रहे लोगों को रोकना चाहिए?" सोचिए, अगर सिक्योरिटी गार्ड ही पूछे कि ‘अब मैं क्या करूं’, तो भगवान ही मालिक है! एक पाठक ने तो कमेंट किया — "आजकल के प्राइवेट सिक्योरिटी वाले बस नाम के होते हैं, असली काम तो खुद ही करना पड़ता है।"
और होटल मैनेजमेंट? महीनों से ऑडिटर कह रहा था कि गार्ड बदलो, मेरी सुरक्षा खतरे में है, लेकिन मैनेजमेंट को कोई फर्क नहीं! "तुम्हारी बातों पर यकीन नहीं होता," यही जवाब मिलता रहा। एक पाठक ने लिखा, "हमारे यहां भी नए मालिक आए तो सबसे पहले सिक्योरिटी हटाकर कैमरा लगा दिए। जब तक दो ऑडिटर धमकी खाकर नौकरी नहीं छोड़ गए, तब तक किसी को फर्क नहीं पड़ा।"
नशेबाज मेहमान और मैनेजमेंट की बेरुख़ी: किससे लड़ें, किससे बचें?
रात की सबसे बड़ी आफत तब आई जब एक गुस्सैल आदमी ने इलेक्ट्रॉनिक दरवाजे को जबरन खोल दिया और ऊपर चला गया। उसी वक्त एक जोड़ा आया, जो दावा कर रहा था कि उनकी बुकिंग आज की है, जबकि सिस्टम के मुताबिक उनकी बुकिंग अगले दिन के लिए थी। "आधी रात के बाद तो आज ही है ना!" — बहस पर बहस, और जब ऑडिटर ने सच्चाई बताई तो गालियां, धमकियां और सिक्योरिटी गार्ड के साथ हाथापाई तक की नौबत आ गई।
ऑडिटर खुद को ऑफिस में बंद करके पुलिस को फोन करता है — लेकिन पुलिस भी नहीं आती! मैनेजर को बुलाना पड़ता है, तब जाकर कुछ राहत मिलती है। मैनेजर खुद देखकर हैरान, "हमें तो यकीन ही नहीं था कि हालात इतने खराब हैं।" उस वक्त ऑडिटर को पहली बार लगा कि उसकी बातों को अहमियत मिली।
एक पाठक ने बड़े मजाकिया अंदाज़ में लिखा, "ये तो वैसा है जैसे वेस्ली क्रशर स्टार ट्रेक में अकेले ही जहाज संभाल रहा हो, जबकि सब अधिकारी बार में जाम टिका रहे हों!"
आखिरकार, उजली सुबह और एक नई शुरुआत
उस रात के बाद ऑडिटर ने दो महीने और वहां काम किया, फिर एक दूसरे होटल की मैनेजर ने उसे वहां से निकाल लिया — और मजेदार बात, वो भी पुराने जेनरल मैनेजर से नफरत करती थी! अब भले ही नई जगह भी अपनी परेशानियां हों, लेकिन कम से कम हर हफ्ते नशेबाजों को संभालना, धमकियां सुनना, और बेसबॉल बैट से डरना नहीं पड़ता।
इस कहानी में एक सीख छुपी है — चाहे कोई भी नौकरी हो, अगर सुरक्षा और सम्मान ना मिले, तो वहां टिके रहना खुद के साथ नाइंसाफी है। और हां, होटल लाइन में काम करने वालों के लिए, कभी-कभी कॉमेडी और ट्रैजेडी एक ही रात में देखने को मिलती हैं!
आप क्या सोचते हैं?
क्या आपके साथ भी कभी ऐसी कोई घटना हुई है, जब मैनेजमेंट की लापरवाही और सुरक्षा की कमी ने आपको मुश्किल में डाला हो? अपनी कहानी नीचे कमेंट में जरूर साझा करें। और अगर अगली बार होटल में कोई नाइट ऑडिटर आपको थका-हारा दिखे, तो एक मुस्कान और धन्यवाद जरूर दीजिए — शायद वो भी अंदर ही अंदर किसी ‘सेंट पैट्रिक्स डे’ से लड़ रहा हो!
मूल रेडिट पोस्ट: The St. Patrick’s Day That Broke The Auditor’s Back