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होटल की वेबसाइट पर सब लिखा है, पर मेहमानों को दिखता ही नहीं!

रखरखाव के कारण बंद स्विमिंग पूल का दृश्य, जिस पर लिखा है
इस शांतिपूर्ण दृश्य के बावजूद, हमारा प्यारा पूल रखरखाव के लिए बंद है। साइन में सब कुछ लिखा है—पार्ट्स का इंतज़ार इस गर्मी की ओएसिस को एक शांत विश्राम स्थल में बदल चुका है। आइए हम अपनी निराशाएँ और इस अप्रत्याशित इंतज़ार पर नवीनतम जानकारी साझा करें!

क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आप किसी होटल में बड़ी उम्मीदों के साथ पहुंचे, और वहां पहुंचकर पता चला कि जो सुविधा आप चाहते थे, वो उपलब्ध ही नहीं है? अब सोचिए, अगर होटल ने साफ-साफ अपनी वेबसाइट पर लिख रखा हो कि पूल और हॉट टब बंद है, फिर भी मेहमान शिकायत करते रहें – "कहीं लिखा ही नहीं था!" तो होटल वाले बेचारे क्या करें?

ऑनलाइन जानकारी और भारतीय मेहमान – भरोसा करें या न करें?

हम भारतीयों की एक आदत है – किसी भी चीज़ के लिए जुगाड़ निकालना। होटल बुकिंग में भी यही हाल है। ज़्यादातर लोग सस्ते दाम की तलाश में तीसरे-चौथे नंबर की वेबसाइट्स पर जाकर बुकिंग कर लेते हैं, बिना यह देखे कि असली जानकारी कहां है। जैसे कि Reddit के लेखक NathanDavis74 के होटल में हुआ – उनके पूल के बंद होने की सूचना महीनों से वेबसाइट के पहले पन्ने पर लगी है। फिर भी मेहमान आते ही शिकायतों का पुलिंदा खोल देते हैं – "अगर पता होता, तो बुक ही नहीं करते!"

भारतीय परिवेश में भी यह कोई नई बात नहीं। अक्सर शादी-ब्याह के सीजन में भी लोग गेस्टहाउस या होटल बुक करते हैं, और फिर वहाँ पहुँचकर कहते हैं, "भाईसाहब, साइट पर तो लिखा था AC रूम, यह तो कूलर है!" अब बताइए, होटल वाला क्या हर वेबसाइट खुद अपडेट करेगा?

सुविधा की उम्मीद और सच्चाई की दीवार

Reddit पर एक कमेंट पढ़कर हंसी आ गई – "हमारे यहाँ पार्किंग की भी यही समस्या है। वेबसाइट पर लिखा है लिमिटेड पार्किंग, लेकिन मेहमान पूछते रहते हैं – गारंटी है न?" एक और भाई साहब ने तो सुझाव ही दे दिया, "Home Depot से किडी पूल खरीद लो, और पूछने पर उसी की ओर इशारा कर दो – यही है हमारा पूल, तैरना हो तो स्वागत है!"

यानी, चाहे अमेरिका हो या भारत, मेहमानों की उम्मीदें आसमान छूती हैं, और सच्चाई की दीवार से टकराते ही सब्र जवाब दे जाता है। कोई कहता है – "अगर वेबसाइट पर नहीं लिखा तो आपको डिस्काउंट देना पड़ेगा!" अब होटल वाला समझाए कि भाई, तीसरी पार्टी की साइट्स उनकी मर्जी से कब अपडेट करेंगी, इस पर हमारा बस थोड़े ही चलता है।

वेबसाइट देखना और खुद जानकारी लेना – क्यों है ज़रूरी?

एक और कमेंट में लिखा था – "ज़्यादातर झंझट तो तब होता है जब लोग सीधे होटल की वेबसाइट या फोन नंबर नहीं ढूंढते।" भारत में भी यही होता है – लोग Google में होटल का नाम डालकर जो पहला लिंक दिखा, उससे बुक कर लेते हैं। कोई यह नहीं देखता कि वह असली वेबसाइट है या किसी एजेंट की। होटल के असली नंबर पर फोन करने की जहमत कौन उठाए?

एक बार किसी ने शानदार तर्क दिया – "अगर किसी सुविधा की जानकारी नहीं है, तो मान लीजिए कि वह नहीं मिलेगी।" जैसे – "अगर लिस्ट में लिफ्ट नहीं है, तो समझ जाइए लिफ्ट नहीं होगी।" लेकिन मेहमानों की उम्मीदें तो अलग ही स्तर की होती हैं – "साइट पर नहीं लिखा मतलब जरूर होगी!"

होटल वालों के लिए भी है यह जंग

कोई मेहमान अगर शांति से अपनी बात रखे, तो होटल वाले भी उनकी मदद करने को तैयार रहते हैं। Reddit के एक कमेंट में लिखा था – "अगर कोई बिना बदतमीज़ी के अपनी नाराज़गी जताता है, तो मैं कोशिश करता हूँ कि जितना हो सके उसकी मदद कर दूँ।" पर ज़्यादातर लोग तो पहली ही सांस में कहते हैं – "यह तो धोखा है, मैनेजर को बुलाओ, डिस्काउंट चाहिए!"

एक बार एक सज्जन ने तो यहां तक कह दिया – "मुझे आपकी वेबसाइट पढ़ने का टाइम नहीं था, मुझे क्या पता था कि पूल बंद है!" अब सोचिए, पढ़ना-लिखना छोड़कर लोग शिकायत करने में जितनी मेहनत लगाते हैं, उतनी अगर बुकिंग से पहले होटल की वेबसाइट देख लेते, तो शायद ऐसी नौबत ही ना आती।

निष्कर्ष – जानकारी लो, शांति से रहो, खुश रहो

तो भाइयों और बहनों, अगली बार जब आप कहीं होटल बुक करें, तो एक बार उनकी असली वेबसाइट जरूर पढ़ लें, और अगर कोई सुविधा आपके लिए बहुत मायने रखती है (जैसे पूल, ब्रेकफास्ट, पार्किंग या लिफ्ट), तो होटल को सीधे फोन करके कन्फर्म कर लें। तीसरी-चौथी पार्टी की वेबसाइट्स पर हमेशा भरोसा करना वैसे ही है, जैसे पड़ोसी शर्मा जी के मुंह से सुनी बात को सच मान लेना!

और हां, अगर कभी कोई सुविधा वाकई बंद मिले, तो होटल वाले से विनम्रता से बात करें – शायद आपको कोई अच्छा समाधान मिल जाए। आखिर, "मनुष्यता" की कीमत हर जगह मानी जाती है – होटल के रिसेप्शन पर भी!

आपकी क्या राय है – क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है? अपनी कहानी हमारे साथ जरूर साझा करें, ताकि अगली बार कोई और इस झंझट से बच सके!


मूल रेडिट पोस्ट: It’s Says Nothing Online! (Yes It Does)