होटल की लॉबी में ‘बेटा’ बना सिरदर्द: मैनेजमेंट की नीतियों का बुरा हाल
कभी-कभी नौकरी में ऐसे अनुभव मिल जाते हैं, जिन्हें सुनकर न हँसी आती है, न रोना। होटल की रिसेप्शन डेस्क पर बैठने वालों की ज़िंदगी बाहर से भले आसान लगे, मगर अंदर की कहानी कुछ और ही होती है। सोचिए, कोई अजनबी व्यक्ति रोज़ आपकी लॉबी में घुस आए, खुद को आपका बेटा बताने लगे और मैनेजमेंट कहे – “कोई बात नहीं, जब तक वो सो नहीं रहा, रहने दो!” बस, ऐसा ही किस्सा है आज की कहानी में।
होटल की लॉबी में ‘बेटा’ का आतंक
हमारे कहानीकार (‘u/Initial-Joke8194’) ने Reddit पर अपने ताज़ा अनुभव साझा किए। पिछले दिन की घटना की अगली कड़ी में वे बताते हैं कि पुलिस बुलाने के बाद भी होटल मैनेजमेंट का रवैया बिल्कुल ढीला रहा। पुलिस ने उस शख्स को होटल से बाहर तो किया, लेकिन मैनेजमेंट ने साफ कह दिया – “लॉबी और कॉमन एरिया जब खुले हैं (सुबह 6 से रात 11 बजे तक), तब वो आ सकता है, बस सोना मना है!” अब सोचिए, होटल में ठहरे मेहमानों की सुरक्षा कौन देखेगा? कर्मचारी बेचारा हर वक्त डर के साए में काम करे, तो क्या यही ‘अतिथि देवो भव:’ की असली तस्वीर है?
एक कमेंट में किसी ने लिखा, “ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई भी अजनबी पूरे दिन होटल में घूमता रहे? सोचो, जब मेहमान Google Review में लिखेंगे – ‘होटल की लॉबी में दिनभर कोई बेघर आदमी घूमता रहा’, तो रेटिंग का क्या होगा?”
मैनेजमेंट का ढुलमुल रवैया और कर्मचारियों की परेशानी
इस पूरी घटना में सबसे हैरान करने वाली बात थी मैनेजमेंट का बेतुका रवैया। जब रिसेप्शनिस्ट ने कहा कि वह असहज महसूस कर रही है, तब भी मैनेजमेंट ने नियमों की दुहाई दी। यहाँ तक कि एक सहकर्मी तो वॉशरूम तक नहीं जा पाई, क्योंकि वह डर में थी कि कहीं वह आदमी फिर से लॉबी में न घुस आए।
कई Reddit यूज़र्स ने सुझाव दिया – “अगर मैनेजमेंट आपकी नहीं सुनता, तो सोशल मीडिया या Google Review पर गुमनाम शिकायतें डालो। जब वहाँ होटल की बुराई होगी, तब शायद मैनेजमेंट को अक्ल आए!” एक और ने चुटकी ली, “कुछ दोस्तों को बुलाओ, पूरे दिन लॉबी में भर दो, ताकि मेहमानों को परेशानी हो और वे शिकायत करें – देखना, तब मैनेजमेंट दौड़ते-भागते सब ठीक करेगा!”
सुरक्षा बनाम छवि: क्या सोचता है समाज?
कईयों ने सवाल उठाया कि होटल की छवि और कर्मचारियों की सुरक्षा, दोनों ही दांव पर हैं। एक टिप्पणीकार ने लिखा, “अगर पुलिस बार-बार बुलानी पड़ रही है, तो ये साफ है कि मामला गंभीर है। मैनेजमेंट को समझना चाहिए कि इससे न सिर्फ मेहमानों का भरोसा टूटेगा, बल्कि होटल की रेटिंग भी धड़ाम हो जाएगी।”
इसी बहस में किसी ने सुझाव दिया – “अपनी सुरक्षा खुद करो, पेपर स्प्रे साथ रखो या HR/कॉर्पोरेट तक शिकायत पहुँचाओ। जब मैनेजमेंट और पुलिस दोनों नकार दें, तो खुद को बचाना ज़रूरी है।”
एक अन्य टिप्पणी में मज़ाकिया अंदाज़ में कहा गया, “अगर मैनेजर को इतना भरोसा है, तो उस आदमी को अपने घर बुला ले!” ये वही बातें हैं, जो हमारे यहाँ भी अक्सर सुनने को मिलती हैं – ‘जो बोले, वही झेले!’
नौकरी छोड़ना ही रास्ता?
आखिर में कहानीकार ने बताया कि वह नई नौकरी की तलाश में हैं, क्योंकि ऐसी जगह पर काम करना, जहाँ कर्मचारी की सुरक्षा से ज़्यादा नियमों की चिंता हो, वहाँ कोई भी खुद को असुरक्षित महसूस करेगा। Reddit पर भी कई लोगों ने यही सलाह दी – “ऐसी जगह छोड़ दो, जहाँ मैनेजमेंट को अपने ही लोगों की परवाह नहीं।”
निष्कर्ष: कब सुधरेगा हाल?
यह कहानी सिर्फ एक होटल की नहीं, बल्कि हर उस जगह की है, जहाँ कर्मचारियों की आवाज़ को अनसुना कर दिया जाता है। चाहे वह रिसेप्शनिस्ट हो या चौकीदार – उनकी सुरक्षा और सम्मान उतना ही ज़रूरी है, जितना किसी बड़े साहब की।
अगर आपने कभी ऐसा अनुभव किया है, या आपके पास इस स्थिति से निपटने का कोई नायाब तरीका है, तो कमेंट में जरूर बताइए। हो सकता है, आपकी सलाह किसी की मदद कर दे!
अंत में, “मेहमान भगवान हैं” – ये बात सही है, लेकिन कर्मचारी भी इंसान हैं – ये कभी मत भूलिए!
मूल रेडिट पोस्ट: My “son” continues to be a problem