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होटल की लॉबी में दारू, नियम और ‘मर्दानगी’: जब गेस्ट ने स्टाफ को धमकाया

होटल में काम करना, बाहर से जितना चमकदार दिखता है, अंदर से उतना ही सिरदर्दी! खासकर जब बात आती है देर रात की शिफ्ट और 'विदेशी मेहमानों' की शराबी महफिलों की। सोचिए, आप वीकेंड के बाद अपनी नाइट शिफ्ट शुरू करने जा रहे हों और लॉबी में कुछ भाईसाहब फुटबॉल मैच देखते हुए खुलेआम व्हिस्की की बोतल लिए बैठे हों। क्या करेंगे आप?

आज की कहानी एक ऐसे ही होटल के रिसेप्शनिस्ट की है, जिसने लॉबी में शराब पी रहे मेहमानों को नियम समझाने की कोशिश की। मगर फिर जो हुआ, वो किसी बॉलीवुड फिल्म के क्लाइमेक्स से कम नहीं!

होटल की लॉबी: नियम, कानून और ‘अपना-अपना स्टाइल’

हर होटल का अपना एक सेट नियम होता है – और उनमें से सबसे सख्त नियम होता है शराब को लेकर। भारत में तो बार बंद होने के बाद होटल की पब्लिक जगहों पर शराब पीना लगभग नामुमकिन है। कई राज्यों में खुलेआम शराब पीना 'पब्लिक इंटॉक्सिकेशन' यानी सार्वजनिक नशा कहलाता है, जो कानूनन अपराध है।

यहां भी वैसा ही था। होटल की बार बंद हो चुकी थी, लेकिन मेहमानों ने अपनी खुद की व्हिस्की की बोतल लॉबी में टेबल पर रखकर पार्टी चालू कर दी। रिसेप्शनिस्ट ने जब पिछली शिफ्ट की सहकर्मी को बताया कि "लॉबी में लोग पी रहे हैं", तो उन्होंने जाकर मना भी किया – मगर असली खेल तो फिर शुरू हुआ!

‘मैं दो सौ रातें इसी होटल में रहा हूं!’ – अजीब तर्क और धमकियों की बारिश

जैसे ही नई शिफ्ट शुरू हुई, पीने वाले साहब रिसेप्शन पर आए और सीधे सवाल दाग दिया – "क्या आपने ही अपनी साथी को बताया कि हम शराब पी रहे हैं?" रिसेप्शनिस्ट ने ईमानदारी से हां कहा। इसके बाद गेस्ट का घमंड और 'मर्दानगी' का प्रदर्शन शुरू – "मैंने इतने होटल में 200 रातें बिताई हैं, कभी किसी ने नहीं टोका।"

अब भाई, भारत में भी 'जुगाड़' और 'कनेक्शन' का हवाला देकर लोग ट्रैफिक पुलिस से लेकर सोसाइटी गार्ड तक को दबाने की कोशिश करते हैं। होटल में भी यही हुआ – धमकी मिली कि "मैनेजमेंट से बात करूंगा, कॉर्पोरेट को फोन करूंगा!" रिसेप्शनिस्ट ने जवाब दिया, "कोई बात नहीं, मुझे उम्मीद है कि मुझे नियम निभाने के लिए तारीफ ही मिलेगी।"

इस पर मेहमान का पारा और चढ़ गया। खुलेआम पीना तो जारी ही रहा, साथ में रिसेप्शनिस्ट से नाम और सरनेम पूछने की कोशिश। जब सरनेम नहीं मिला, तो और जल-भुन गए!

नियमों की असली वजह: होटल की जिम्मेदारी और कानून का डर

अब सवाल ये है कि आखिर होटल वाले इतने सख्त क्यों रहते हैं? एक कमेंट में किसी ने सही कहा – "खुले बोतलें होटल की जिम्मेदारी होती है। अगर कोई बच्चा गलती से पी ले, या पुलिस आ जाए, तो होटल का लाइसेंस तक रद्द हो सकता है।"

सोचिए, अगर भारत के किसी बड़े होटल में बार बंद होने के बाद किसी ने खुलेआम शराब पी ली, और पुलिस ने छापा मार दिया या कोई हादसा हो गया – फिर होटल का नाम खराब, लाइसेंस गया, और स्टाफ की नौकरी खतरे में!

एक और कमेंट में मजाकिया अंदाज में किसी ने लिखा – "स्कूल के प्रिंसिपल या कॉलोनी के गार्ड की तरह, नियम बताने वाले हमेशा विलन लगते हैं, चाहे वो सही ही क्यों न हों।" भारत में भी कई बार गेस्ट कहते हैं – "अरे, यहां ऐसा कोई नियम नहीं है, हम तो रोज़ पीते हैं!" लेकिन जब बात कानून, होटल की इज्जत और काम की होती है, तो नियम सबसे ऊपर!

‘छुपा के पी लो, डिसिप्लिन नहीं चाहिए?’ – भारतीय जुगाड़ और मेहमानों की शरारत

कई लोगों ने सलाह दी, "अगर पीना ही है तो कप में डालो, बोतल छुपा लो – स्कूल की तरह!" एक कमेंट ने तो मजाक में कहा – "शायद इन्हें कोई डोमिनेट करने वाली चाहिए जो नियमों की क्लास लगाए!"

भारत में भी अक्सर लोग होटल के कमरे में पार्टी करते हैं, बाहर से ऑर्डर करते हैं, मगर खुलेआम लॉबी में बोतल रखना – ये तो सीधी चुनौती है। जैसा एक कमेंट में लिखा – "जो नियम तोड़ना चाहता है, वो छुपकर तोड़े, ताकि सबकी इज्जत बनी रहे।"

मजबूरी में सख्ती: होटल स्टाफ की मुश्किलें

सच कहें तो होटल में रिसेप्शन पर बैठा कोई भी व्यक्ति खुद से लड़ाई करना नहीं चाहता। लेकिन जब नियम-पालन की बात आए, और ऊपर से मैनेजमेंट का डर हो, तो मजबूरी में सख्ती करनी पड़ती है।

हमारे नायक ने भी यही किया – न तो गेस्ट को तुरंत बाहर निकाला, न ही बेवजह बहस बढ़ाई। बस नियम समझाया, और आने वाली समस्या से निपटने के लिए सतर्क रहे।

कई बार, जैसे भारत में भी होता है, सहकर्मी नियमों को हल्के में लेते हैं, जिससे अगले शिफ्ट वाले को मुश्किल झेलनी पड़ती है। यही रिसेप्शनिस्ट के साथ भी हुआ – जब बाकी दिनों में किसी ने कुछ नहीं कहा, तो मेहमान को लगा कि ये नया स्टाफ 'विलेन' है।

निष्कर्ष: नियम हैं तो निभाने चाहिए – और थोड़ा सा समझदारी भी जरूरी!

तो पाठकों, आप क्या सोचते हैं – क्या रिसेप्शनिस्ट गलत था? मेरे हिसाब से तो उसने बिल्कुल सही किया। नियम सबके लिए बराबर हैं, चाहे गेस्ट 200 रातें रुका हो या पहली बार आया हो।

भारत में भी अक्सर होटल स्टाफ को ऐसे 'ब्रांडेड' मेहमान मिलते हैं जो 'कनेक्शन' और 'धमकी' से काम चलाना चाहते हैं। मगर आखिर में जिम्मेदारी होटल और वहां काम कर रहे लोगों की ही बनती है।

आपकी राय क्या है? कभी आपको भी ऐसे 'रूल ब्रेकर' या 'धमकीबाज' गेस्ट से पाला पड़ा है? कमेंट में जरूर बताएं – और अगली बार होटल जाएं, तो लॉबी में पार्टी करने से पहले नियमों का ध्यान जरूर रखें, वरना कहीं कोई रिसेप्शनिस्ट आपके नाम के साथ 'कहानी' ना लिख दे!


मूल रेडिट पोस्ट: Drinking In Lobby