होटल की लॉबी में डेनमार्क के दंपति और स्कैंडेनेवियन गैस बम का कमाल
कभी-कभी जिंदगी में ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिनका ज़िक्र करते हुए भी हंसी रोकना मुश्किल हो जाता है। होटल की लॉबी में चाय या कॉफी पीते समय कई बार गेस्ट्स का अजीब व्यवहार देखने को मिलता है, लेकिन जो वाकया जर्मनी के एक होटल में हुआ, उसे सुनकर आपकी भी हंसी छूट जायेगी।
आमतौर पर हम भारतीय लोग मानते हैं कि पश्चिमी देश के लोग बहुत सभ्य और शिष्ट होते हैं, लेकिन भाईसाहब, गैस तो सबके पेट में बनती है! अब ज़रा सोचिए, होटल की लॉबी में एक बुजुर्ग दंपति आता है और फिर जो होता है, वो शायद ही आपने कभी देखा या सुना हो!
होटल की लॉबी में 'गैस बम' – क्या था पूरा माजरा?
तो जनाब, कहानी शुरू होती है एक सुंदर से जर्मन शहर के होटल से, जहां एक अनुभवी रिसेप्शनिस्ट (जिन्होंने करीब दो दशक होटल में काम किया है) अपनी ड्यूटी कर रहे थे। दोपहर का वक्त था, होटल में चहल-पहल थी और अचानक डेनमार्क से आए एक बुजुर्ग दंपति ने चेक-इन किया। उम्र रही होगी करीब साठ के आसपास, चेहरे पर मुस्कान और व्यवहार में शालीनता।
सब कुछ सामान्य था, जब तक कि आधे घंटे बाद अचानक रिसेप्शन के पास एक अजीब सी आवाज़ सुनाई दी—'पुट-पुट'! रिसेप्शनिस्ट ने ऊपर देखा, सामने वही डेनिश सज्जन और उनकी पत्नी। रिसेप्शनिस्ट मन ही मन सोचने लगे—'क्या सच में ये वही सोच रहा हूँ जो हुआ या मेरे कान बज रहे हैं?'
लेकिन भाईसाहब, बुजुर्ग सज्जन ने तो जैसे ठान ही लिया था। अगला कदम रखते हुए फिर से लंबा और सुनियोजित 'गैस बम' छोड़ा। इस बार उन्होंने बाकायदा अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए, ताकि 'फ्लो' बढ़िया रहे! उनकी पत्नी ने आंखों से घूरा और हल्के से हाथ पर मुक्का मार दिया, जैसे कि कह रही हों—"अब बस भी करो!" लेकिन साहब, दोनों आराम से लॉबी में बैठ गए, मानो कुछ हुआ ही न हो।
कम्युनिटी की राय: 'ये तो रोज़ की बात है!'
इस किस्से ने Reddit पर भी धूम मचा दी। एक कमेंट में किसी ने लिखा, "मेरे जीवन की सबसे खतरनाक गैस एक एशियाई दादी मां ने छोड़ी थी। दीवारें हिल गईं, दुर्गंध ऐसी कि मानो बिल्ला मर गया हो और कुत्ते ने उस पर...!" अब सोचिए, ऐसी घटनाएं तो हर जगह होती हैं, बस फर्क इतना है कि कोई खुलकर करता है, तो कोई चुपचाप।
एक और पाठक ने लिखा, "कई लोग तो जान-बूझकर दूसरों को चौंकाने के लिए ऐसे करते हैं। उन्हें दूसरों की प्रतिक्रियाओं से मज़ा आता है।" वैसे, हमारे यहां भी गांव के बुजुर्ग या शादी-ब्याह में कुछ लोग मज़े के लिए ऐसे कारनामे कर बैठते हैं—कभी-कभी तो पूरा पंडाल सुन्न हो जाता है!
एक और मजेदार कमेंट आया—"दो दशक होटल में काम किया और अब तक किसी ने ऐसे नहीं किया? कितने खुशकिस्मत हो! हमारे यहां तो बस टिकट लेकर ही लोग 'रिलैक्स' हो जाते हैं।"
पश्चिमी सभ्यता और भारतीय नज़रिए में फर्क
हमारे भारतीय समाज में सार्वजनिक जगहों पर इस तरह की हरकतें शर्मनाक मानी जाती हैं। मां, दादी या पत्नी तुरंत डांट देती हैं—"घर आकर कर लेना, यहां क्या तमाशा है?" वैसे, गांव के मेलों में या पुराने जमाने के सिनेमाघरों में कई बार लोग ऐसी 'छोटी-मोटी दुर्घटनाएं' कर ही देते थे, लेकिन शहरों में आजकल लोग काफी सजग हो गए हैं।
पश्चिमी देशों में, खासकर नॉर्डिक या स्कैंडेनेवियन देशों के लोग आमतौर पर खुले मिज़ाज के होते हैं, लेकिन रिसेप्शनिस्ट का अनुभव बताता है कि वहां भी सार्वजनिक जगहों पर ऐसी हरकतें आम नहीं हैं। शायद उस बुजुर्ग का अपना ही 'स्टाइल' था—या फिर लॉबी में हवा 'ताजा' करने की कोई अनोखी कोशिश!
हास्य भी, हैरानी भी – क्या सीख मिलती है?
कहानी पढ़कर साफ है कि इंसान कहीं भी रहे, पेट की गैस को रोकना मुश्किल है। पर सबसे मजेदार बात ये रही कि डेनिश सज्जन ने किसी की परवाह किए बिना 'मिशन कंप्लीट' किया और फिर आराम से जिन-टॉनिक मंगा कर बैठ गए। उनकी पत्नी का रिएक्शन देख कर साफ लग रहा था, कि वो इनकी आदत से अच्छी तरह वाकिफ हैं!
कई बार जिंदगी में ऐसे हल्के-फुल्के वाकये भी हो जाते हैं, जो बेशक शर्मिंदगी का कारण बनें, लेकिन बाद में याद करके चेहरे पर मुस्कान जरूर ला देते हैं। आखिरकार, 'हंसी तो फंसी'—और क्या पता अगली बार जब आप होटल की लॉबी में जाएं, तो वहां की हवा में कुछ 'अलग' सा महसूस हो!
आपकी राय?
क्या आपके साथ कभी कोई ऐसी मजेदार या अजीब घटना घटी है? नीचे कमेंट में जरूर बताएं। और हां, अगली बार होटल जाएं तो सावधान रहें—कहीं कोई 'स्कैंडेनेवियन गैस बम' आपके पीछे न छूट जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: The scandinavian fart fly by