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होटल के रिसेप्शन पर बवाल: 'ये तो आपकी माँ के साथ होना चाहिए था!

होटल के फ्रंट डेस्क पर बाथरूम समस्या के बारे में शिकायत करते हुए एक बुजुर्ग महिला की निराशा।
एक वास्तविक क्षण जिसमें एक बुजुर्ग महिला होटल के फ्रंट डेस्क पर अपनी बाथरूम शिकायत साझा करते हुए निराश दिख रही हैं। यह मुठभेड़ ग्राहक सेवा में आने वाली अप्रत्याशित चुनौतियों को उजागर करती है।

होटल में काम करने वाले रिसेप्शनिस्ट की जिंदगी यूं तो रोज़ नई-नई कहानियों से भरी रहती है, लेकिन कुछ किस्से ऐसे होते हैं जो बरसों तक याद रह जाते हैं। सोचिए, आप अपनी ड्यूटी कर रहे हैं और अचानक एक उम्रदराज़ महिला गुस्से में आपके पास आती है, शिकायत करती है और जाते-जाते ऐसी बात कह जाती है कि आप अवाक् रह जाएं! जी हां, आज की कहानी है एक होटल में घटी ऐसी ही एक घटना की, जिसने रिसेप्शनिस्ट की शाम को यादगार बना दिया।

क्या था मामला? होटल के टॉयलेट को लेकर भड़कीं आंटी

होटल के रिसेप्शन पर एक महिला आईं और पहली ही लाइन में बोलीं, "मुझे एक समस्या हुई है, और मैं आपको बताना चाहती हूँ!" रिसेप्शनिस्ट ने बड़े आदर से अपना काम रोककर उनकी बात सुनी। महिला बोलीं कि उन्होंने हाल ही में होटल का एक सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल किया, लेकिन वहां दो पुरुष कर्मचारी दरवाज़े के बिलकुल पास खड़े होकर गपशप कर रहे थे। उन्हें ये बहुत असुविधाजनक लगा।

आंटी ने एक महिला सफाई कर्मचारी को बुलाया और अपनी शिकायत बताई। सफाईकर्मी ने कहा, "जी, दरवाज़े तो अकसर खुले ही रहते हैं," और यही बात रिसेप्शनिस्ट ने भी कन्फर्म कर दी। इस पर महिला का गुस्सा और बढ़ गया—"ये ठीक नहीं है! कोई बदबू भी नहीं है, फिर दरवाज़ा खुला क्यों?" रिसेप्शनिस्ट ने बड़ी विनम्रता से जवाब दिया कि उन्हें वजह नहीं पता, लेकिन शायद सुविधा के लिए ऐसा किया जाता है।

महिला बोलीं, "अगर मुझे किसी पुरुष के पास जाना होता तो मैं सीधा पुरुष टॉयलेट चली जाती! इतने पास खड़े थे, चाहती तो उनके जूते पर ही कर देती!"—यह सुनकर रिसेप्शनिस्ट भी अपनी हंसी रोक न सके, लेकिन फिर भी गंभीरता बनाए रखी।

आंटी का गुस्सा सातवें आसमान पर, रिसेप्शनिस्ट की परीक्षा

महिला ने बताया कि सफाईकर्मी ने उन पुरुष कर्मचारियों को वहां से हटा दिया, लेकिन वो अब भी समझ नहीं पा रही थीं कि आखिर वो लोग वहां खड़े क्यों थे। रिसेप्शनिस्ट ने फिर सिर हिलाते हुए कहा, "मैं आपकी परेशानी समझता हूँ।"

लेकिन आंटी का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। बोलीं, "कुछ तो करना चाहिए! मैं अभी भी नाखुश हूँ!" रिसेप्शनिस्ट ने शांत रहकर फिर समझाया, "मैम, मैं समझता हूँ, लेकिन मेरे हाथ में फिलहाल कुछ नहीं है।"

अब तो महिला और भड़क गईं—"क्या मतलब? क्या आपका कोई सुपरवाइज़र नहीं है? मेरी शिकायत लिखकर दो! समाधान तो हमेशा होता है, बस करने वाला चाहिए!"

यह कहकर वो बड़बड़ाती हुई जाने लगीं, और जाते-जाते पलटकर बोलीं: "ये तो आपकी माँ के साथ होना चाहिए था!" अब रिसेप्शनिस्ट के लिए यह सुनना किसी झटके से कम नहीं था। लेकिन उसने संयम रखते हुए सिर्फ इतना कहा—"आपका दिन शुभ हो, मैम!" आंटी बिना पीछे देखे निकल लीं।

होटल का अनुभव: सार्वजनिक टॉयलेट, खुले दरवाज़े और भारतीय नजरिया

यह सुनकर कई लोगों को लगेगा—अरे, होटल के टॉयलेट में तो हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है! Reddit पर भी एक यूज़र ने बढ़िया तंज कसते हुए लिखा, "अगर आपको टॉयलेट के बाहर कोई नहीं चाहिए, तो अपने कमरे का टॉयलेट इस्तेमाल कीजिए!" (यह महिला खुद होटल की गेस्ट भी नहीं, बल्कि होटल में हो रहे एक इवेंट की मेहमान थीं।)

एक और कमेंट में किसी ने कहा, "सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल करने पर बाहर किसी के खड़े होने की संभावना हमेशा रहती है, ये तो साधारण बात है।"

कई लोग मानते हैं कि ऐसे मामलों में रिसेप्शनिस्ट को शिकायत को वरिष्ठ अधिकारी तक पहुंचाने का आश्वासन देना चाहिए था—"मैं आपकी बात मैनेजर तक पहुंचा दूँगा।" भारत के कई होटलों में भी ऐसा देखा जाता है; ग्राहक को तसल्ली देना आधी समस्या का हल है।

एक मजेदार कमेंट में किसी ने लिखा, "मेरी माँ तो बहुत समझदार हैं!"—मतलब, ऐसी अजीबोगरीब बातें कोई समझदार महिला नहीं कहती। एक और ने चुटकी ली, "अगर दरवाज़ा खुला है तो खुद बंद कर दो, इतना बवाल करने की क्या ज़रूरत!"

भारतीय संदर्भ में: शिकायत, इज्जत और हास्य का तड़का

हमारे देश में भी ऐसे किस्से कम नहीं होते—कभी कोई शादी-ब्याह में खाना ठंडा होने पर बवाल कर देता है, तो कभी ट्रेन के टॉयलेट में ताला न होने पर लोग TTE को कोसते हैं। कई बार शिकायत करना सही भी है, लेकिन कैसे, किस लहजे में, ये भी जरूरी है। जिस तरह महिला ने "ये आपकी माँ के साथ होना चाहिए था" कहा, वो हमारी संस्कृति के लिहाज से बहुत असम्मानजनक है।

वैसे, भारतीय होटलों में भी सार्वजनिक टॉयलेट के दरवाज़े कई बार विकलांग लोगों की सुविधा के लिए खुले रहते हैं। और आमतौर पर, अगर कोई कर्मचारी बाहर खड़ा हो तो लोग खुद ही थोड़ी देर रुक जाते हैं या दरवाज़ा बंद कर लेते हैं। लेकिन कुछ लोग शिकायत करने का मौका ढूंढते रहते हैं—जैसे एक कमेंट में कहा गया, "कुछ लोग तो शिकायत करने में ही खुशी पाते हैं!"

निष्कर्ष: क्या आप भी ऐसी स्थिति में फँस चुके हैं?

इस किस्से से एक बात साफ है—होटल, रेलवे स्टेशन या रेस्टोरेंट, सार्वजनिक जगहों पर हर तरह के लोग आते हैं। कभी-कभी ग्राहक की शिकायत जायज़ भी होती है, लेकिन अपनी भड़ास निकालने के लिए किसी को अपमानित करना कहाँ की समझदारी है? रिसेप्शनिस्ट ने जिस धैर्य और संयम से पेश आया, वो काबिल-ए-तारीफ है।

अब आप बताइए—क्या आप भी कभी ऐसी अजीबोगरीब ग्राहक या मेहमान से मिले हैं? या फिर किसी सार्वजनिक टॉयलेट में आपको भी कोई अजीब अनुभव हुआ हो? नीचे कमेंट सेक्शन में ज़रूर साझा करें, क्योंकि हर कहानी में छुपा है एक नया मज़ा!


मूल रेडिट पोस्ट: 'It should've happened to your mother!'