होटल की रिसेप्शन पर क्रिसमस की छुट्टियों का बवाल: मेहमानों के नखरे और हंसी के फव्वारे
क्रिसमस का मौसम – पश्चिमी दुनिया में जश्न और खुशियों का समय, लेकिन होटल वाले भाई-बहनों के लिए? बस पूछिए मत! जैसे ही बर्फ गिरने लगती है और सर्द हवाएं चलती हैं, होटल के रिसेप्शन पर मानो ‘रामलीला’ शुरू हो जाती है। बाहर भले ही ‘शांति’ और ‘स्नेह’ का वातावरण हो, लेकिन भीतर ‘आतिथ्य नरक’ का रंगीन मैदान सज जाता है।
सोचिए, लोग छुट्टियां मनाने आते हैं, लेकिन उनके साथ आती हैं – शिकायतें, फरमाइशें और कभी-कभी तो ऐसे किस्से कि सुनकर आपकी हंसी छूट जाए! आपने कभी सुना है कि कोई मेहमान 10:45 रात को कहता है – “हीटर नहीं चल रहा, मैं कहीं नहीं जाऊंगा, चार घंटे में चेकआउट है, पूरा पैसा वापस चाहिए, अगली बार भी फ्री रहना है... और हां, सत्तर करोड़ भी चाहिए!” अरे भैया, ये होटल है या कौन बनेगा करोड़पति?
अब जरा उन मेहमानों को देखिए, जिन्हें बर्फ कम या ज़्यादा दोनों ही बर्दाश्त नहीं! एक साहब तो बोले – “आपका पार्किंग एरिया साफ नहीं है, फिसल गया! हर इंच पर फावड़ा चलाओ, वो भी चौबीस घंटे!” और दूसरी तरफ, कोई शिकायत करता है – “कहीं बर्फ ही नहीं है! क्रिसमस है और बर्फ नहीं? अब मैं यहां कभी नहीं रुकूंगा, बड़ी बेरुखी है!” जैसे हमारे यहां दिवाली पर मिठाई ना मिले तो लोग परेशान हो जाएं, वैसे ही क्रिसमस पर बर्फ न मिले तो मेहमानों की शान में बट्टा लग जाता है।
रिसेप्शन पर काम करने वालों के लिए ये समय ‘शांति’ का नहीं, बल्कि ‘महान युद्ध’ का होता है। एक टिप्पणीकार ने बड़े मज़ेदार अंदाज में लिखा – “मेरे साथी तो बर्फ साफ करने के नाम पर पूरा नमक दरवाज़े के आगे डाल देते हैं, फिर पूरी रात मुझे फर्श पोछना, कालीन धोना और मेहमानों की कॉफी का जूस उठाना पड़ता है!” मतलब, होटल की लॉबी किसी रेलवे स्टेशन से कम नहीं लगती।
किस्सों की कोई कमी नहीं – एक महिला आईं और कहने लगीं, “मुझे तो रिवर व्यू वाला कमरा बुक किया था, देखो यहां लिखा है!” जब बताया गया कि सभी रिवर व्यू कमरे बुक हो चुके हैं, तो गुस्से में कलम फेंक मारी। भई, ये ग्राहक सेवा है या अखाड़ा?
कुछ मेहमान तो इतने ‘फ्री’ होते हैं कि कहते हैं – “क्रिसमस है! कम से कम मुझे और मेरे बीस दोस्तों को फ्री कमरा तो दे ही सकते हो, साथ में नाश्ता और चेकआउट अप्रैल 30 तक कर दो!” अब बताइए, ये मांग है या सपना?
अगर आपको लगता है कि होटल में ही ऐसे नखरे होते हैं, तो खुदरा दुकानों (रिटेल) में भी हाल बुरा है। एक साथी ने लिखा – “कोई कहता है, आपकी दुकान के आगे जिसने भी गाड़ी पार्क की है उसे हटाओ, मैं दो घंटे गाड़ी चलाकर आया हूं!” और एक बार तो एक ग्राहक बोले – “मैं यहूदी हूं, तो दुकान बंद नहीं कर सकते, मुझे शॉपिंग करनी है, क्रिसमस मेरा त्योहार नहीं है!” अब इनसे कौन तर्क करे?
कुछ तो ऐसे भी हैं, जिन्हें लगता है क्रिसमस का नाम लेकर किसी भी नियम-कायदे को माफ़ी मिल जाएगी। एक किस्सा है – एक आदमी को ब्रेकफास्ट रूम में गलत काम करते हुए पकड़ा गया, उसने कहा – “मैंने कोई क्रैक नहीं किया, वो तो मेथ था, और वो भी पूल में!” जैसे हमारे यहां पुलिस को देखकर लोग कहते हैं – “भैया, होली है, जाने दो!” वैसे ही वहां ‘क्रिसमस है!’ कहकर हर गलती को छुपाने की कोशिश होती है।
लेकिन, होटल की डेस्क पर काम करने वाले भी कम नहीं। एक ने लिखा, “भले ही बाहर जंग छिड़ी हो, लेकिन जब कोई पुराना ग्राहक घर का बना मिठाई का डिब्बा लाकर कहता है – ‘मेरी क्रिसमस, यहां आकर अच्छा लगता है’, तो सारी थकान उतर जाती है।” भई, यही तो है असली तसल्ली, वरना बाकी तो ‘शुगर कोमा’ ही है!
होटल, रिटेल या कोई भी सर्विस सेक्टर हो, क्रिसमस जैसे त्यौहारों के समय ग्राहकों के व्यवहार में एक अजीब सी ‘विशेषता’ आ जाती है। कोई दया दिखाता है, कोई बवाल करता है, कोई तो अपनी जेब से ही बोनस बांटता है – जैसे एक पुराने मैनेजर की कहानी आई, जो अपने कर्मचारियों के लिए खुद आउटिंग, स्पोर्ट्स टिकट और छुट्टियां देता था। ऐसे लोग आज भी याद किए जाते हैं, जैसे हमारे यहां कोई अच्छा मालिक अपने स्टाफ को त्योहार पर मिठाई और बोनस बांट दे, तो साल भर उसका नाम जपते हैं।
तो अगली बार जब आप होटल या दुकान पर जाएं, और आपको लगे कि स्टाफ आपकी फरमाइशों से परेशान है, तो थोड़ा मुस्कुरा लीजिए, एक ‘शुक्रिया’ बोल दीजिए। क्योंकि त्यौहार उनके लिए भी उतना ही खास है जितना आपके लिए। और जैसे एक टिप्पणीकार ने मज़ाक में कहा – “अगर बर्फ नहीं है, तो पास के फार्म में जाकर चरनी देख लो!”
आखिर, होटल वाले भी इंसान हैं, और क्रिसमस की रातें उनके लिए किसी बॉलीवुड कॉमेडी से कम नहीं।
आपका क्या अनुभव रहा है, कभी किसी होटल में ऐसे अजीबोगरीब मेहमान मिले हैं? कमेंट में जरूर बताइए और अगर पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए।
शुभकामनाएं – अगली बार जब भी आप होटल जाएं, वहां की काउंटर पर थोड़ा हंसी-मजाक जरूर छोड़ आइए, क्योंकि उनके लिए वही असली ‘मेरी क्रिसमस’ है!
मूल रेडिट पोस्ट: Upgrading OTA's