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होटल के रिसेप्शन पर एक रात: बुखार, बारात और बेहूदगी का तूफ़ान

भीड़भाड़ वाले होटल के प्रवेश द्वार का सिनेमाई दृश्य, जहां पार्टी करने वाले और कचरे के डिब्बे हैं।
इस सिनेमाई दृश्य में होटल के बाहर एक अनपेक्षित भीड़ इकट्ठा होती है, जो चुनौतीपूर्ण बदलाव का माहौल बनाती है। अव्यवस्था को संभालने से लेकर बीमारी का सामना करने तक, यह क्षण दबाव में काम करने की कठिनाइयों को दर्शाता है।

रात के दो बजे का समय, बाहर हल्की-हल्की ठंड, और आप बुखार से तप रहे हैं—ऐसे में अगर आपको होटल की रिसेप्शन डेस्क संभालने भेज दिया जाए, तो क्या हाल होगा? सोचिए, आप ऑफिस में बैठकर चाय की चुस्की लेना चाहते हैं, मगर किस्मत आपको होटल की उस ड्यूटी पर ले आई जहाँ हर मोड़ पर एक नया तमाशा आपका इंतजार कर रहा है।

आज की कहानी एक ऐसे ही होटल रिसेप्शनिस्ट की है, जिसने एक रात में जो झेला, वो शायद आपके-हमारे लिए किसी मसालेदार फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं।

बुखार में ड्यूटी और बाहर का मेला

कहानी शुरू होती है एक बीमार रिसेप्शनिस्ट से, जिसे शायद फ्लू हो गया है। लेकिन ऑफिस की मजबूरी है—शिफ्ट बदलना मुश्किल, ऊपर से नाइट ऑडिट की जिम्मेदारी! जैसे-तैसे होटल पहुँचे तो देखा, बाहर कोई शादी का जश्न चल रहा है, करीब तीस लोग गेट के पास जाम छलका रहे हैं। हमारे देश में भी तो शादियों के बाद बरातियों का हुड़दंग मशहूर है, पर यहाँ तो हद ही हो गई—डस्टबिन भर गए, लोग बेशर्मी से झाड़ियों में 'जरूरत' पूरी कर रहे हैं।

रिसेप्शन पर आते ही एक मेहमान शिकायत करता है—"भाई, बाहर के लोग झाड़ियों में पेशाब कर रहे हैं!" अब बताइए, ऐसे में रिसेप्शनिस्ट का क्या हाल होगा? फिर भी, हिम्मत दिखाई, बाहर जाकर सबको समझाया—"भैया, आवाज धीमी करो और बाहर पेशाब मत करो।" लेकिन नशे में चूर लोग भला कहाँ सुनने वाले!

बारातियों का धमाल और होटल की आफत

आधा घंटे बाद दो शटल बसें आती हैं, नशे में टल्ली बाराती उतरते हैं और होटल के स्टोर पर धावा बोल देते हैं। "खाने को क्या मिलेगा?"—ऐसे सवाल गूंजने लगते हैं। कुछ लोग लॉबी में बैठकर हल्ला करते हैं, जैसे बारात का मंडप यहीं लगा हो! शुक्र है, बीस मिनट के बाद ज्यादातर लोग अपने-अपने कमरे में चले गए, वरना रिसेप्शनिस्ट का तो 'राम नाम सत्य' ही हो जाता।

इसी बीच, एक रेगुलर गेस्ट आ जाता है—हर हफ्ते आने वाला। लेकिन इस बार उसका रिजर्वेशन गलत दिन के लिए था, फिर भी उसके पास अपने मेल का प्रूफ था कि उसे आज ही कमरा मिलेगा। बेचारा गुस्से में फूट पड़ा, गालियाँ दीं, और बाकी मेहमानों के सामने माहौल गर्म कर दिया। रिसेप्शनिस्ट ने जैसे-तैसे पास के होटल में उसके लिए कमरा ढूँढा और वादा किया कि आज की रात का पैसा रिफंड हो जाएगा। बाकी की बात सुबह की शिफ्ट के जिम्मे कर दी।

बुजुर्ग मेहमान की मुसीबत और भड़के मेहमान की बदजुबानी

जैसे ही ये मामला निपटा, एक बुजुर्ग महिला का फोन आया—वो गिर गई थीं, शायद पैर में फ्रैक्चर हो गया। उनके पति ने किसी तरह उन्हें सँभाला, रिसेप्शनिस्ट ने तुरंत एम्बुलेंस बुलवाई। इस तरह के हालात में इंसानियत ही सबसे बड़ी चीज़ होती है, और यहाँ रिसेप्शनिस्ट ने वही किया।

अभी एम्बुलेंस आई भी नहीं थी कि एक और नशे में धुत बाराती अपने ऑनलाइन खाने की डिलीवरी ढूंढने आ गया। डिलीवरी कहीं और पहुँच गई थी, लेकिन साहब ने होटल, शहर और यहाँ तक कि रिसेप्शनिस्ट की लैंगिक पहचान पर भी बेहूदा बातें कहना शुरू कर दिया। ऐसे में कई बार हमारे देश में भी, होटल स्टाफ को झेलना पड़ता है—'मेहमान भगवान है' की अवधारणा कभी-कभी बड़ी भारी पड़ जाती है! मगर यहाँ रिसेप्शनिस्ट ने अपनी समझदारी और संयम से मामला निपटा लिया—अंदर ही अंदर सोचा, चलो तुम्हारा खाना किसी और होटल की लॉबी में पड़ा है!

कम्युनिटी की प्रतिक्रियाएँ: सहानुभूति, सलाह और हल्की-फुल्की हंसी

रेडिट पर इस पोस्ट को पढ़कर लोगों ने जमकर सहानुभूति जताई। एक पाठक ने लिखा, "बेचारे! इतनी सारी मुसीबतें एक साथ झेलनी पड़ीं, वो भी बीमार हालत में।" एक अन्य ने मजाकिया अंदाज में कहा, "कम से कम तुम्हारे कीटाणु उस बदतमीज मेहमान तक पहुँच गए होंगे!"—कुछ-कुछ हमारे 'जैसे को तैसा' वाले मुहावरे की याद दिला गया।

एक अनुभवी पाठक ने सलाह दी, "ऐसे हालात में खुद बाहर जाकर मत जाओ, पुलिस को फोन कर लो। नशे में लोग कब क्या कर दें, कोई भरोसा नहीं।" भारत में भी कई बार होटल या बार में सिक्योरिटी बाउंसर रखे जाते हैं, ताकि स्टाफ को ऐसी झंझटों में न पड़ना पड़े।

किसी ने लिखा, "तुमने तो जैसे नरक का वर्णन कर दिया। उम्मीद है तुम घर जाकर दो दिन चैन की नींद सोओगे!" और खुद कहानी के लेखक ने जवाब में कहा, "बस एक रात और—फिर कई दिन की छुट्टी है।"

सबक: हर रात असाधारण नहीं, पर कभी-कभी यादगार जरूर बन जाती है

इस कहानी से एक बात तो साफ है—होटल रिसेप्शन पर काम करना जितना ग्लैमरस लगता है, असल में उतना ही चुनौतीपूर्ण है। कई बार मेहमानों की बदतमीजी, कभी बारातियों का हंगामा, कभी इमरजेंसी—सब एक ही रात में आ जाए तो यादगार बन जाती है, भले ही बुखार और थकान में इंसान टूट जाए।

तो अगली बार जब आप किसी होटल में रिसेप्शन पर जाएँ और वहाँ बैठा कर्मचारी मुस्कराता मिले, तो उसके पीछे छुपी इन जद्दोजहद भरी कहानियों को जरूर याद करें। क्या पता, पिछली रात उसने भी ऐसी ही कोई 'एडवेंचर' फेस किया हो!

अगर आपके साथ भी कभी ऐसी कोई मजेदार या अजीब घटना हुई हो, तो कमेंट में जरूर बताइए। कौन जानता, अगला किस्सा आपका ही हो!


मूल रेडिट पोस्ट: This is definitely in my top 10 worst shifts