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होटल के रिसेप्शन पर आया अजीब प्रेमी: सुज़ी की खोज और गजब किस्सा

एक अनफिट बूढ़े आदमी का एनीमे चित्र, होटल के फ्रंट डेस्क पर एक महिला
इस आकर्षक एनीमे दृश्य में, एक अनफिट बूढ़ा आदमी फ्रंट डेस्क पर एक रहस्यमयी महिला "सुसी" के बारे में बेचैनी से पूछता है, जो एक अविस्मरणीय मुलाकात का आधार बनाता है।

होटल रिसेप्शन की ड्यूटी वैसे तो बड़ी नीरस और औपचारिक लगती है, लेकिन कभी-कभी ऐसे मेहमान भी आ जाते हैं कि सारा माहौल एकदम फिल्मी बना देते हैं। सोचिए, आप अपनी ड्यूटी पर शांति से बैठे हैं और तभी एक अजनबी बुजुर्ग, जिनकी हालत देखकर लगता है कि सीधे किसी पुरानी हिंदी फिल्म से निकलकर आए हैं, अचानक सामने खड़े हो जाएं और पूछें, "भईया, सुज़ी है क्या यहाँ?"

सुज़ी की तलाश: होटल में आया अजनबी

उस दिन होटल के रिसेप्शन पर सब कुछ सामान्य चल रहा था, तभी एक साठ के पार के, थोड़ा बिखरे-बिखरे बाल वाले, पुराने कपड़ों में एक दादा जी अंदर दाखिल हुए। आते ही बड़े गंभीर स्वर में बोले, "मुझे सुज़ी से मिलना है।"
अब भारत में तो हम जानते हैं कि बिना पूरा नाम बताए किसी को खोज पाना आसान नहीं, और होटल में तो यह सुरक्षा का मामला भी है। रिसेप्शनिस्ट ने भी वही किया, जो कोई भी समझदार करता—थोड़ा सिस्टम में देखा, थोड़ा दिखावा किया, लेकिन असल में ढूँढ़ने की कोई जरूरत ही नहीं समझी। अगर सच में सुज़ी वहाँ होती भी तो इस हालत वाले अजनबी को कोई जानकारी देना रिस्क ही होता!

जब उनसे पूछा गया कि "आपको सुज़ी का पूरा नाम पता है?" तो दादा जी बोले, "नहीं, बस सुज़ी... वही तो है। मुझे यहीं बुलाया है।"
अब रिसेप्शनिस्ट ने विनम्रता से जवाब दिया, "माफ़ कीजिए, इस नाम से यहाँ कोई मेहमान नहीं है।"
दादा जी बोले, "लेकिन मुझे तो मैसेज आया था कि यहाँ मिलना है।"

पुरानी मोहब्बत, नया जुगाड़

बातों-बातों में दादा जी का दिल खुला। उन्होंने बताया कि सुज़ी पहले उनकी 'गर्लफ्रेंड' थी, जब उनकी 'पुरानी बीवी' (old lady) उन्हें छोड़कर चली गई थी। वजह भी सुनिए—दादा जी के मोबाइल पर "किसी और औरत की फोटो" आ गई थी, और उनकी पत्नी रूठकर चली गई!
यहाँ पाठकों को बताना ज़रूरी है कि पश्चिमी देशों में 'booty call' का मतलब होता है किसी पुराने प्रेमी/प्रेमिका से अचानक मिलने की कोशिश, अक्सर रात के समय। हमारे यहाँ इसे मज़ाक में 'पुरानी जलेबी की याद', 'पुराने चावल की खिचड़ी' या 'देर रात की चाय' भी कह सकते हैं!

दादा जी की हालत देखकर रिसेप्शनिस्ट सोच ही रहा था कि "इन्हें तो शायद रात की तन्हाई में किसी की याद सता रही है।"
इसी बीच दादा जी ने सुज़ी का वॉइसमेल सुनवाया, जिसमें किसी दूसरे होटल का नाम आया। रिसेप्शनिस्ट ने भी बड़े तमीज़ से कहा, "दादा जी, वो दूसरा होटल है।"

Reddit कम्युनिटी की मज़ेदार प्रतिक्रियाएँ

इस मजेदार किस्से पर Reddit पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ आईं। एक यूज़र ने बड़े मजाकिया अंदाज में लिखा, "दादा जी, ये होटल है, अड्डा नहीं!"
एक और यूज़र ने सलाह दी कि होटल वालों को दूसरे होटल फोन करके पूछ लेना चाहिए था कि कहीं दादा जी की सुज़ी वहाँ तो नहीं! इस पर खुद पोस्ट लिखने वाले ने हँसते हुए जवाब दिया, "काश! मेरे पास वहाँ का नंबर होता।"
एक अनुभवी होटल कर्मचारी ने तो चुटकी ली, "अगर तुम्हारी अब तक की सबसे अजीब घटना यही है, तो आगे-आगे देखो, क्या-क्या होता है! दस साल इस लाइन में हूँ, ऐसे किस्से तो रोज़ होते हैं। एक डायरी रखो, बाद में पढ़कर खुद हँसोगे।"
सुरक्षा के लिहाज से भी एक कमेंट आया, "भाई, बिना पूरा नाम और रूम नंबर के किसी भी गेस्ट की जानकारी देना मना है। यही नीति है, वरना मेहमानों की सुरक्षा पर सवाल उठ सकता है।"
एक और यूज़र ने मजाकिया अंदाज में कहा, "शायद कोई ऑनलाइन ठगबाज़ी कर रहा है, बेचारे दादा जी को फँसा रहा हो।"

हमारे यहाँ भी होते हैं ऐसे किस्से

अगर आप भारत के किसी छोटे शहर या कस्बे के होटल में काम करते हैं, तो इस किस्से में अपनी झलक जरूर देखेंगे। कभी कोई 'रमेश भैया' बिना बुकिंग के 'सीमा जी' का पता पूछने आ जाते हैं, तो कभी कोई पुराना दोस्त 'राधा दीदी' के नाम पर पूरी रिसेप्शन सिर पर उठा लेता है।
हमारे यहाँ भी गेस्ट की प्राइवेसी और सुरक्षा उतनी ही जरूरी है, जितनी विदेशों में। अक्सर रिसेप्शनिस्ट को मेहमानों के रिश्तों की उलझन समझनी पड़ती है—कभी कोई 'वाइफ' तो कभी 'दोस्त', कभी 'कलीग' तो कभी 'बिजनेस पार्टनर' बनकर जानकारी माँगता है!

क्या सबक मिला?

इस कहानी में सबसे बड़ा सबक यही है—होटल में काम करें या कहीं और, मेहमानों की सुरक्षा और प्राइवेसी हमेशा सबसे ऊपर है। रिसेप्शनिस्ट ने जिस सूझबूझ और विनम्रता से दादा जी को हैंडल किया, वह काबिल-ए-तारीफ है।
दूसरी सीख यह भी है कि जीवन में कभी-कभी ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं, जो बाद में सुनाने पर हँसी और यादों का ख़ज़ाना बन जाती हैं।
और हाँ, कभी-कभी पुराने प्यार की तलाश में इंसान किसी भी हद तक जा सकता है—चाहे वो सुज़ी हो या कोई सीमा जी!

आप बताइए

क्या आपके साथ या आपके किसी जानने वाले के साथ ऐसी कोई मजेदार घटना होटल, ऑफिस या कहीं और हुई है? नीचे कमेंट में जरूर साझा करें।
और अगर आप भी हॉस्पिटैलिटी या रिसेप्शन की नौकरी करते हैं, तो अपनी डायरी जरूर लिखना शुरू करें—कौन जाने, आपकी कहानियाँ भी किसी दिन इंटरनेट पर वायरल हो जाएँ!


मूल रेडिट पोस्ट: My strangest experience so far at the front desk