होटल की रिसेप्शन पर आई मौत की दस्तक: एक रात, दो मेहमान और रहस्यमयी कहानी
होटल में रात की शिफ्ट लगाना वैसे ही कम रोमांचक नहीं होता। अलग-अलग किस्म के मेहमान, उनकी अजीब-सी मांगें और कभी-कभी तो ऐसा लगता है जैसे कोई फिल्मी सीन चल रहा है। पर सोचिए, अगर कोई मेहमान आपके सामने आकर बड़े आराम से बोले— “हम आज मरने आए हैं।” ऐसे में आपकी हालत क्या होगी? आज मैं आपको सुनाने जा रही हूँ एक ऐसी ही सच्ची घटना, जिसने होटल की उस रात को हमेशा के लिए यादगार बना दिया।
जब मेहमान बोले— "हम आज मरने आए हैं"
यह कोई बॉलीवुड हॉरर फिल्म का सीन नहीं था, बल्कि एक बड़े शहर के व्यस्त होटल में घटी सच्ची घटना थी। होटल की रिसेप्शन पर काम करते हुए, मुझे तरह-तरह के लोग देखने की आदत थी। उस रात एक अधेड़ उम्र का आदमी और एक औरत, दोनों काफी अस्त-व्यस्त और गंदे कपड़ों में आए। पहली नज़र में ही लग गया कि ये शायद बेघर हैं। मैंने सोचा, शायद पैसे नहीं होंगे, इसलिए सीधा बोल दिया— “सिर्फ क्रेडिट कार्ड से बुकिंग होती है।”
पर जनाब! उस आदमी ने झट से क्रेडिट कार्ड निकाल लिया। फिर थोड़ी देर बैग में हाथ डालकर आईडी भी निकाल दी, जो कार्ड से मैच कर रही थी। अब मैं उलझन में थी— क्या इनको कमरा दिया जाए? खैर, प्रोफेशनलिज़्म दिखाते हुए कमरा बुक कर दिया।
कमरे तक छोड़ते वक्त यूं ही बातचीत में मैंने पूछा, “किसी खास काम से आए हैं?” तो फौरन जवाब मिला— “हम यहां मरने आए हैं।” कानों पर यकीन ही नहीं हुआ! मैंने भी अजीब-सी मुस्कान में कह दिया— “अरे, अच्छा…” (दिल में डर अलग था!)
होटल में मौत का प्लान या नशे का असर?
शाम को दोनों रिसेप्शन पर केतली मांगने आए और बड़ी दोस्ती से पेश आए। मेरा कौतूहल बढ़ गया। मैंने सीधा पूछ लिया— “आपने सच में कहा था कि आप मरने आए हैं?” औरत ने बड़ी खुशी से जवाब दिया— “हां, सोचा होटल में मरना बेहतर रहेगा।” आदमी बोला— “कभी-कभी बस पता चल जाता है।”
अब दिमाग में हलचल मच गई— क्या ये सचमुच आत्महत्या करने वाले हैं? या फिर किसी नशे में हैं? कई पाठकों ने Reddit पर कमेंट किया कि ऐसी स्थिति में पुलिस या हेल्पलाइन को फोन करना चाहिए था। एक ने लिखा— “अगर होटल स्टाफ हर अजीब बात पर पुलिस बुलाए तो पुलिस होटल में ही डेरा जमा ले!” वहीं किसी ने गंभीरता से कहा— “अगर कुछ हो जाता तो रिसेप्शनिस्ट पर बोझ आ जाता।”
OP (मूल लेखक) ने बाद में बताया कि उन्हें भी समझ नहीं आया कि सच मानें या नशे की बात मानें। “इन लोगों ने खुद कहा कि वे सड़क पर रहते हैं और यहां सुरक्षित जगह पर मरना चाहते हैं। मैंने मैनेजर को बताया, लेकिन उसने भी बस यही कहा— उम्मीद है मजाक कर रहे होंगे।”
सुबह की राहत और होटल में मिले 'सबूत'
अगली सुबह मेरी ड्यूटी फिर थी। रात की शिफ्ट वाले से पूछा— “कोई गड़बड़ तो नहीं हुई?” उसने कहा— “सब सामान्य था।” लेकिन दिल में बेचैनी थी, क्या सचमुच सब ठीक है? 11 बजे दोनों नीचे आए, तो राहत की सांस ली। मगर तभी आदमी रिसेप्शन पर आकर गुस्से में मुठ्ठियां दिखाने लगा— “मैं तुझे देख लूंगा!” और औरत बोली— “सावधान रहना!” मैंने बस बार-बार कहा— “आपको अब जाना होगा।” शुक्र है, वे चले गए।
कमरे में जाकर देखा तो बेड बिल्कुल साफ था— जैसे इस्तेमाल ही न हुआ हो। बस एक डिब्बा बेकिंग सोडा और कुछ टिनफॉइल पड़ा था। अब यहां Reddit कम्युनिटी की कमेंट्स गोल्ड हैं! एक ने चुटकी ली— “बेकिंग सोडा” (यानि नशे का सामान)। दूसरे ने समझाया— “बेकिंग सोडा और टिनफॉइल से कोकीन को क्रैक में बदला जाता है, जिससे उसे स्मोक किया जा सके।”
यानी साहब, यहां मौत से ज्यादा नशा चल रहा था! एक और ने लिखा— “केतली भी फेंक दो, उसमें नशा पकाया गया है।” और किसी ने तो मजाक में रिव्यू दे डाला— “0/5 स्टार, स्टाफ ने चेक ही नहीं किया कि हमारी मौत कैसे चल रही है, केतली भी छोटी थी!”
होटल की ड्यूटी: फिल्मी सीन या रोज़ की हकीकत?
होटल का काम बाहर से जितना चमकदार दिखता है, अंदर से उतना ही चुनौतीपूर्ण है। कई बार रिसेप्शनिस्ट को इंसान की नीयत और मन की पढ़ाई करनी पड़ती है— किसे कमरा देना है, किसे नहीं। एक कमेंट में एक अनुभवी होटल कर्मचारी ने लिखा— “हमारी जिम्मेदारी है कि होटल और बाकी मेहमान सुरक्षित रहें, इसलिए शक होने पर कमरा न देना ही बेहतर है।” लेकिन हर बार फैसला लेना आसान नहीं होता, खासकर जब सामने कोई बेघर हो, या अजीब व्यवहार कर रहा हो।
यहां भारतीय संदर्भ में सोचिए— हमारे यहां भी रेलवे स्टेशन, धर्मशाला या सस्ते लॉज में ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं। कई बार होटल कर्मचारी को पुलिस, समाजसेवी या मनोवैज्ञानिक सब बनना पड़ता है। लेकिन हर सिचुएशन का हल तुरंत मिल जाए, ये जरूरी नहीं।
क्या सीख मिली इस कहानी से?
इस घटना के बाद OP ने लिखा— “मैंने ऐसे लोग पहले भी देखे हैं, अब तो मोहल्ले में पास के किराना स्टोर के बाहर तंबू लगाकर रहने लगे हैं। मैं अब उस दरवाजे से निकलने से बचती हूँ!” यह कोई अकेली घटना नहीं। होटल, अस्पताल, रेलवे स्टेशन— हर जगह ऐसी अजीब-अजीब कहानियां छुपी होती हैं।
इस किस्से में डर, हैरानी, इंसानियत और व्यावसायिकता— सब कुछ था। कभी-कभी जो बाहर से दिखता है, असलियत उससे बिल्कुल अलग होती है। और हां, अगली बार होटल में केतली इस्तेमाल करने से पहले ज़रा सोच लीजिएगा!
अंत में सवाल आपसे
अगर आपके सामने कोई इस तरह ‘आखिरी रात’ बिताने आए तो आप क्या करेंगे? क्या होटल स्टाफ को पुलिस बुलानी चाहिए थी, या फिर हर किसी की मर्जी में दखल देना सही है? अपने विचार जरूर साझा करें— और ऐसी और किस्सों के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ!
मूल रेडिट पोस्ट: Guest told me they were here to die