विषय पर बढ़ें

होटल की रिसेप्शन डेस्क पर तीसरे हफ्ते में ही आया असली टेस्ट!

एक युवा कर्मचारी एक मोटेल में अकेले ड्यूटी के दौरान मुस्कुराते हुए, मेहमाननवाज़ माहौल को दर्शाते हुए।
अकेले ड्यूटी का अनुभव अपनाते हुए, यह जीवंत छवि एक सहायक मोटेल माहौल में काम करने की खुशी को दर्शाती है। लचीले समय और बेहतरीन सहकर्मियों के साथ, मैं अपने करियर के इस नए अध्याय के लिए उत्साहित हूँ!

कहते हैं, "हर नौकरी में अपना मज़ा और अपनी मुश्किलें होती हैं!" लेकिन होटल की रिसेप्शन डेस्क पर बैठकर जो जिंदगी देखने को मिलती है, वह किसी मसालेदार हिन्दी सीरियल से कम नहीं. खासकर जब आपकी पहली नौकरी हो, और तीसरे ही हफ्ते में आपको अकेले ड्यूटी संभालनी पड़े!
आज मैं आपको एक ऐसे ही नए रिसेप्शनिस्ट की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसे नौकरी लगे बस तीन हफ्ते हुए थे और काम के नाम पर जैसे 'मिर्च-मसाला' ही मिल गया.

होटल की दुनिया: बाहर से चमक, अंदर से झटका!

हमारे नायक को कैलिफ़ोर्निया के एक पुराने मोटेल में नौकरी लगी. यहाँ सबकुछ बड़ा सीधा-सादा लगा—न कोई बॉस का रौब, न सहकर्मियों की राजनीति. सब अपने-अपने काम में मस्त. पहले दो हफ्ते ट्रेनिंग में निकल गए और फिर तीसरे हफ्ते उन्होंने 'स्विंग शिफ्ट' यानि बीच की शिफ्ट अकेले संभालनी शुरू कर दी.
शुरुआत में तो लगा, "वाह! सब आसान है." लेकिन असली फिल्म तो अब शुरू हुई.

मेहमान या 'जुगाड़ू', कौन जाने!

यहाँ के मेहमानों की अदा ही अलग थी. कई महिलाएँ होटल में आतीं, लेकिन खुद कमरा बुक नहीं करतीं. थोड़ी देर में कोई सज्जन आते, पैसे देते, और दोनों कमरे में घुस जाते. एक घंटे बाद वही महिलाएँ हल्ला मचातीं—"कमरे में तिलचट्टे (cockroach) थे, हमें रिफंड चाहिए!"
अब बेचारा रिसेप्शनिस्ट क्या करे! जब कमरे की जांच की, तो वहाँ बिस्तर बिखरे, तौलिए इधर-उधर, और साफ दिख रहा था कि 'काम' जल्दी में निपटाया गया है.
एक अनुभवी कमेंट करने वाले ने बड़े ही देसी अंदाज में सलाह दी—"भैया, रिफंड देना तुम्हारा काम नहीं. माफी मांगो, कमरा बदल दो, पर रिफंड का फैसला मालिक को छोड़ दो."
एक और सलाह आई—"अगर शक हो कि कोई अवैध काम कर रहा है, तो कमरा देने से मना कर दो. रात में अकेले ड्यूटी करते हो, तो होटल तुम्हारा किला है!"

होटल का फैमिली ड्रामा: हर किरदार लाजवाब!

हर होटल में एक-दो 'स्थायी निवासी' जरूर मिलते हैं, जिनका रंग-ढंग बाकी सबसे अलग होता है. यहाँ एक बूढ़ी महिला थीं, जो कभी हंसती, कभी अचानक गुस्से से चीख पड़तीं. कभी कहतीं—"तुमने मेरा पोस्ट चोरी किया!" तो कभी पूछतीं—"डेस्क पर कुत्ते क्यों घुसने देते हो?"
वो बार-बार फोन कर के गप्प मारने लग जातीं. एक अनुभवी रिसेप्शनिस्ट ने अपनी जुगाड़ बताई—"अगर कोई गेस्ट बहुत देर तक बोर करता है, तो खुद फोन घुमा कर होटल का नंबर मिलाओ, और खुद ही कॉल रिसीव कर के बुकिंग का बहाना बना लो. कभी-कभी मैनेजर भी कैमरे से देखकर खुद मदद को फोन कर देते हैं!"

पुरानी इमारत, पुराने झमेले

अब होटल के कमरे पुराने, बदबूदार और टीवी भी जैसे चांद पर देख रहे हों—इतना डार्क! मेहमान हर वक्त शिकायतें—"रूम बदल दो, रिफंड दे दो, टीवी चलता नहीं!"
रिसेप्शनिस्ट सोचता, "सत्रह डॉलर की तनख्वाह में इतनी झिकझिक कौन झेले?" एक कमेंट में किसी ने मज़ाक में लिखा, "अगर ऐसे ही रिफंड देते गए, तो होटल बंद हो जाएगा और तुम भी बेरोजगार!"

होटल की नौकरी: 'सोल' बेचने जैसा

होटल में हर तरह के लोग आते हैं—कोई मजबूरी में, कोई मौज-मस्ती में, कोई 'जुगाड़' के लिए. एक कमेंट में किसी ने लिखा, "हमें सेक्स वर्कर्स से कोई दिक्कत नहीं, जब तक वो बच्चों को डराते नहीं. पर झूठे और धोखेबाजों से बचना जरूरी है."
यहाँ रिसेप्शनिस्ट को सिखाया गया—"कभी भी गेस्ट का आईडी और क्रेडिट कार्ड मिलाओ, चिप रीडर से स्वाइप करो ताकि रिकॉर्ड रहे. और कोई ज्यादा हंगामा करे तो सीधा पुलिस को फोन कर दो!"

मैनेजर और सहकर्मी: अपनी-अपनी दुनिया

सामान्य दफ्तरों में बॉस हर वक्त सिर पर सवार रहता है. लेकिन यहाँ जैसे ही मैनेजर छुट्टी पर गया, उसका फोन बंद! बेचारा नया लड़का अकेले सब झमेले झेलता रहा. बाकी नए सहकर्मी भी जैसे 'गुमसुम हिरण'—कुछ समझ ही नहीं आ रहा.

अंत में—हर नौकरी का अपना 'मसाला'

होटल की रिसेप्शन डेस्क पर पहली बार ड्यूटी करना किसी बॉलीवुड ड्रामे से कम नहीं. हर दिन नई चुनौती, अजीबो-गरीब लोग, और झूठ-सच की जंग. लेकिन जैसा एक अनुभवी ने कहा—"अपने दिल की सुनो, गलत लगे तो मना कर दो. और हाँ, अपनी सुरक्षा सबसे पहले!"

अगर आपने भी कभी होटल, हॉस्टल या गेस्ट हाउस में काम किया है या कोई मजेदार किस्सा है, तो नीचे कमेंट में जरूर बताइए. आपकी कहानी भी पढ़ना चाहेंगे!


मूल रेडिट पोस्ट: Lol third week into the job, solo shifts now.