होटल का रिसेप्शन, अजनबी और 'लायल' की तलाश – आज का सबसे कंफ्यूजिंग किस्सा!
कभी-कभी ऑफिस या दुकान पर बैठे-बैठे सोचते हैं कि आज का दिन बड़ा शांत गुज़रेगा, लेकिन किस्मत को तो बस हँसी आती है! होटल के रिसेप्शन पर काम करने वाले लोगों की ज़िंदगी वैसे भी रोज़ नए-नए ड्रामों से भरपूर रहती है। लेकिन आज की ये कहानी, जिसमें एक अजनबी ने आकर 'लायल' की तलाश शुरू कर दी, सच में हद से ज़्यादा अजीब हो गई।
सोचिए, आप सुबह-सुबह बड़े आराम से अपनी डेस्क पर बैठे हैं, चाय की चुस्की ले रहे हैं, तभी एक नया चेहरा सामने आकर पूछता है—"क्या आपने लायल को देखा है?" अब भला बताइए, न लायल को जानते हैं, न अजनबी को, तो जवाब क्या दें!
लायल कौन? रिसेप्शनिस्ट भी परेशान, पाठक भी हैरान!
कहानी कुछ यूँ शुरू होती है: हमारे होटल के रिसेप्शन पर एक आउटरीच वर्कर (OW) आते हैं। हिंदी में कहें तो कोई समाजसेवा से जुड़े भाईसाहब। आते ही पूछ बैठते हैं, "क्या आपने लायल को देखा है?" रिसेप्शनिस्ट बोले, "माफ़ कीजिए, मुझे नहीं पता आप किसके बारे में बात कर रहे हैं।"
इतना सुनते ही OW साहब बोले, "आपके पास उसकी कोई तस्वीर है?" अब ये सुनते ही रिसेप्शनिस्ट का माथा ठनका—"भाई, जब मुझे पता ही नहीं लायल कौन है, तो तस्वीर कहाँ से लाऊँ?" मगर OW साहब तो जैसे मिशन पर आए थे, बोले—"आज इतने रूखे क्यों हो?" और फिर बिना उत्तर सुने चले भी गए।
अब बेचारे रिसेप्शनिस्ट सोच रहे हैं, "मुझसे उम्मीद की जा रही है कि मैं किसी अनजान इंसान की तस्वीर जेब में लेकर घूमूं!"
होटल है या लायल स्टोर?
इस घटना पर Reddit कम्युनिटी खूब हँसी। एक सदस्य ने लिखा, "मैडम, ये होटल है, लायल की दुकान नहीं!" सच कहें तो, भारत में भी जब बैंकों या सरकारी दफ्तरों में अजीबोगरीब फरमाइशें आती हैं, तो कर्मचारी बस सिर पकड़ लेते हैं। सोचिए, कोई बैंक में आकर बोले—"क्या आपके पास मनीष की फोटो है? मैं पहचान लूँगा।" यही हाल यहाँ हुआ।
एक और सदस्य ने मजाक में लिखा, "क्या आपके पास उसकी तस्वीर है, ताकि मैं पहचान सकूं?"—यानि उल्टा चोर पुलिस को डाँटे! और सबसे मजेदार कमेंट—"हमारे पास हर तरह के लायल हैं, छोटे, बड़े, मोटे, पतले, खुश, दुखी, आपकी सास आए तो उसके लिए भी लायल है!" यही तो भारतीय दुकानों में भी दिखता है—"भैया, वो वाली चीज़ है?" "कौन सी?" "अरे वही...!" और दुकानदार को समझो झेलना पड़ता है।
ग्राहक हमेशा सही? या कभी-कभी ग़लत भी हो सकते हैं?
होटल या किसी सर्विस इंडस्ट्री में अक्सर यह जुमला सुनने को मिलता है—"ग्राहक भगवान होता है।" लेकिन कई बार ग्राहक भी ऐसे-ऐसे सवाल पूछते हैं कि भगवान भी सोच में पड़ जाए। जैसा कि एक और कमेंट में कहा गया, "अगर आपको लायल चाहिए, तो उसकी फोटो साथ लाते, रिसेप्शनिस्ट से क्यों उम्मीद?" और सच में, सुरक्षा और गोपनीयता के लिहाज से भी कर्मचारी किसी अनजान आदमी को किसी मेहमान की जानकारी नहीं दे सकते। यहाँ तक कि भारत के बड़े-बड़े होटलों में भी बिना आईडी किसी को अंदर जाने नहीं दिया जाता।
एक और कहानी याद आ गई—एक सज्जन बिना पहचान-पत्र के होटल में दाखिल होना चाह रहे थे, और दलील दे रहे थे—"मेरे परिवार वाले अंदर हैं, आप मुझे जाने दीजिए!" जब सुरक्षा कर्मी ने नियम बताए, तो साहब का जवाब, "भाई, गलती मेरी है, पर इतना क्या बड़ा मुद्दा बना दिया?" ऐसे में कर्मचारी भी सोचते हैं, 'हमें भी भगवान थोड़ा धैर्य दे!'
क्या ऑफिस की सुबहें ऐसे ही होती रहेंगी?
कई बार ऑफिस में दिन की शुरुआत ही ऐसी उलझनों से होती है कि बाद में बाकी दिन खुद-ब-खुद 'फनी' बन जाता है। Reddit पर एक सदस्य ने लिखा, "आज आपका दिन अजीब लोगों से भरपूर रहने वाला है, शुभकामनाएँ!" और सच पूछिए तो, भारतीय दफ्तरों में भी सुबह-सुबह कोई क्लाइंट या ग्राहक आकर बेवजह बहस छेड़ दे, तो दिन भर का मूड बन जाता है। लोग कहते हैं—"भइया, आज तो बड़ा जोर का झटका लगा!"
लेकिन इसी में मज़ा है: हर दिन नया, हर दिन कुछ अलग। कभी 'लायल' की तलाश, कभी 'गुप्ता जी' की शिकायत, तो कभी कोई 'रजनीकांत' बनकर दफ्तर में धमक जाता है।
निष्कर्ष: ऐसे किस्सों से ही तो ऑफिस में जान आती है!
हम सबने कभी न कभी ऐसे विचित्र सवालों या मांगों का सामना किया है, चाहे वो होटल हो, बैंक, स्कूल, दुकान या कोई सरकारी दफ्तर। कभी-कभी हमें भी लगता है—"आज तो बुद्धि का दीवाला निकल गया!" लेकिन यही छोटे-छोटे किस्से हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हँसी, यादें और किस्सागोई की वजह बन जाते हैं।
आपका क्या अनुभव रहा है? क्या कभी किसी ने आपसे अजीब सवाल पूछे हैं? या आपको भी 'लायल' जैसे किसी अनजान की तलाश करनी पड़ी है? नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें—शायद आपकी कहानी भी अगली बार पढ़ने को मिले!
चलते-चलते, होटल वाले भैया को हमारी तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएँ—क्या पता अगली बार 'लायल' खुद आकर फोटो खिंचवा जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: I dont know anymore