होटल का रेस्टोरेंट बंद है साब, लेकिन ग्राहक का जुनून खुला है!
अगर आप कभी होटल में रुके हैं, तो शायद आपको भी ऐसे पल का सामना करना पड़ा हो, जब भूख लगी हो और होटल का रेस्टोरेंट ताला डाले बैठा हो। सोचिए, सुबह-सुबह नाश्ता करके निकले, दोपहर होते-होते पेट में चूहे दौड़ने लगें और तभी पता चले कि होटल का रेस्टोरेंट दोपहर में ही बंद है! अब ऐसे में भारतीय ग्राहक तो पूरा होटल सिर पर उठा लेता, लेकिन ये कहानी है अमरीका के एक होटल की, जहां एक साहब अपनी ही धुन में थे।
ग्राहक की जिद और रेस्टोरेंट की मजबूरी
होता यूं है कि एक सोमवार को होटल के रेस्टोरेंट के अजीबोगरीब टाइमिंग (सुबह 5 से 11 बजे तक और फिर शाम 3 बजे से) से परेशान एक सज्जन दोपहर के ठीक 12 बजे फ्रंट डेस्क पर पहुंच जाते हैं। अब आप सोचिए, दरवाजे पर बड़ा सा बोर्ड लगा है - "रेस्टोरेंट बंद है", फिर भी पूछ रहे हैं, "रेस्टोरेंट खुला है?"
फ्रंट डेस्क वाला भी मन ही मन सोचे, "भैया! सामने बोर्ड है, दरवाजा भी बंद है, फिर भी पूछ रहे हो?" खैर, वह साहबियत से जवाब देता है - "नहीं सर, रेस्टोरेंट तीन बजे खुलेगा।"
अब साहब का अगला सवाल, "मैं अपने भाई के लिए लंच का गिफ्ट सर्टिफिकेट लेना चाहता हूं, क्या आप रेस्टोरेंट खोलकर दे सकते हैं, या यहीं से मिल जाएगा?"
फ्रंट डेस्क वाला फिर से politely जवाब देता है - "माफ कीजिए, मेरे पास न तो रेस्टोरेंट की चाबी है, न ही सर्टिफिकेट। सिर्फ रेस्टोरेंट से ही मिलेगा।"
"पक्का?"
"जी हां, पक्का।"
ये सवाल-जवाब पूरे पाँच मिनट तक चलते रहे। आखिर में, फ्रंट डेस्क वाले ने सुझाया कि वह जब रेस्टोरेंट खुले, तब फोन करके बता देगा, पर जनाब को ये भी मंजूर नहीं।
"अब किसी और से पूछ लेते हैं..."
अब साहब ने नया तरीका अपनाया। लॉबी में सफाई कर रही महिला से वो ही सवाल दोहराया। अब भारत में तो ये आम बात है - ग्राहक सोचता है, "शायद अगला कर्मचारी मेरी बात मान जाए!" पर लॉबी वाली ने भी वही जवाब दिया, "माफ कीजिए, मैं बस सफाई करती हूं, रेस्टोरेंट नहीं खोल सकती।"
फिर साहब बोले - "मैनेजर से बात कराओ।" अब होटल का मैनेजर भी नहीं था, तो शिकायत दर्ज करवाकर साहब बाहर निकल गए। जाते-जाते बोले, "अब मैं Subway चला जाता हूं, मुझे इंतजार पसंद नहीं।"
तीन घंटे बाद और अगली रात की कोशिश
तीन घंटे बाद रेस्टोरेंट मैनेजर आते हैं, सारी कहानी सुनते हैं। अगले दिन पता चलता है कि वही साहब रात 11 बजे फिर आ गए - जब रेस्टोरेंट बंद हो चुका था - और फिर सर्टिफिकेट मांगने लगे!
एक Reddit यूज़र ने कमाल की बात कही - "लोग कभी-कभी ऐसी हरकतें कर जाते हैं कि हैरानी होती है!" किसी और ने लिखा, "मुझे अपने एक्स-हस्बैंड की याद आ गई, वो भी एक ही सवाल बार-बार अलग तरीके से पूछता था, शायद उम्मीद रहती थी कि जवाब बदल जाएगा!"
होटल इंडस्ट्री के कुछ गहरे राज़
अब सवाल उठता है, आखिर होटल का रेस्टोरेंट लंच टाइम में ही क्यों बंद रहता है? भारत में तो होटल 24x7 खुले दिखते हैं, लेकिन अमेरिका और कई दूसरे देशों में होटल मालिक खर्च बचाने के लिए या स्टाफ की कमी के कारण ऐसे अजीब टाइमिंग रखते हैं।
कई Reddit यूज़र्स ने बताया कि टूरिस्ट शहरों में अक्सर दोपहर में होटल में कम ही लोग होते हैं, क्योंकि सब घूमने जाते हैं। ऐसे में रेस्टोरेंट खोलने का खर्चा बचा लिया जाता है। किसी ने तो यहाँ तक कह दिया, "लंच टाइम सबसे सुस्त रहता है, न चेक-इन का समय, न चेक-आउट का।"
ग्राहक का नजरिया vs. कर्मचारी की मजबूरी
होटल इंडस्ट्री में काम करने वाले अच्छे से जानते हैं - "ग्राहक भगवान है", मगर भगवान भी कभी-कभी तर्क से बाहर चले जाते हैं! जैसे हमारे साहब बार-बार एक ही सवाल अलग-अलग लोगों से पूछते रहे, शायद उन्हें उम्मीद थी कि कोई तो उनकी बात मान ही लेगा।
रेडिट की OP (मूल लेखक) ने भी लिखा, "कभी-कभी लगता है, मैं जितना भी समझा दूं, ग्राहक को सिर्फ वही सुनना है, जो वो सुनना चाहता है!"
निष्कर्ष: ग्राहक हमेशा सही...लेकिन हर बार नहीं!
इस किस्से से एक बात साफ है - होटल में काम करना आसान नहीं। ग्राहक की उम्मीदें, रेस्टोरेंट के अजीब टाइमिंग और कर्मचारियों की सीमाएँ - सबकुछ एक साथ झेलना पड़ता है।
दोस्तों, अगली बार जब आप होटल जाएं और रेस्टोरेंट बंद मिले, तो फ्रंट डेस्क वाले पर गुस्सा मत निकालिए - हो सकता है उनकी भी मजबूरी हो!
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा कुछ हुआ है? नीचे कमेंट में जरूर बताएं, और इस पोस्ट को शेयर करना न भूलें।
शुक्रिया, और अगली बार दोपहर में भूख लगे तो Subway तैयार है!
मूल रेडिट पोस्ट: We know the business better than you!