होटल की रात: जब बुज़ुर्ग अतिथि ने मचाया बवाल और रिसेप्शनिस्ट को पड़ा घूंसा!
हमारे देश में होटल में काम करना वैसे ही कोई आसान बात नहीं है, ऊपर से अगर आपकी ड्यूटी रात की हो—बस फिर तो भगवान ही मालिक! ऐसी ही एक रात की कहानी आपके लिए लाया हूँ, जिसमें होटल के रिसेप्शनिस्ट को न सिर्फ मानसिक परीक्षा से गुजरना पड़ा, बल्कि एक बुज़ुर्ग अतिथि के हाथों घूंसा भी खाना पड़ा। अब सोचिए, जब पूरी बिल्डिंग चैन की नींद सो रही थी, तब होटल के चौथे माले पर क्या बवाल मचा!
जब रात की शांति टूटी: "कमरा ठंडा है, आवाज़ आ रही है!"
अब आप सोच रहे होंगे, ऐसी क्या आफत आ गई थी? दरअसल, होटल में एक बुज़ुर्ग महिला हर महीने के आखिर में आती थीं। उम्रदराज थीं, रिटायर्ड थीं, पर उनका मूड... बस पूछिए मत! रिसेप्शनिस्ट भाई साहब (जो खुद पाँच साल से इस लाइन में हैं) बताते हैं कि ज़्यादातर रातें शांति से गुजरती थीं, पर जब ये महिला जाग जाती थीं, तो भगवान बचाए!
रात के तीन बजे उनका फोन आया—"मेरा कमरा बिलकुल ठंडा है, और कहीं से अजीब सी आवाज़ आ रही है!" रिसेप्शनिस्ट समझ गए कि ये कोई आम शिकायत नहीं, कुछ तो गड़बड़ है। असल में, होटल में सेंट्रल हीटिंग है, और महिला का कमरा हीटर के बिल्कुल पास था। अंदर से इतना गर्म होता है कि अगर थोड़ा और चला दो तो 'रोटियाँ सेंक लो' वाली हालत हो जाए! वह आवाज़ जो उन्हें सुनाई दे रही थी, असल में मशीन की हल्की-सी भनभन थी, जो पूरे फ्लोर में किसी को परेशान नहीं करती।
बुज़ुर्ग अतिथि Vs रिसेप्शनिस्ट: घूंसे, चिल्लाहट और पुलिस
रिसेप्शनिस्ट जी, अपने फर्ज़ से मजबूर, ऊपर पहुंचे। क्या देखते हैं—महिला दरवाजे के बाहर गुस्से में खड़ी! उन्होंने हीटर चेक किया, सब सही था, कमरे में घुसकर तापमान भी देखा—कमरा तो तंदूर बना हुआ था। पर जैसे ही उन्होंने महिला को समझाने की कोशिश की, "देखिए, हीटर चल रहा है, गर्मी यहीं से आ रही है,"—बस, महिला का पारा सातवें आसमान पर! उन्होंने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया, और अचानक रिसेप्शनिस्ट पर हाथ उठा दिया!
अब ज़रा सोचिए, हमारे यहाँ तो कहते हैं 'अतिथि देवो भव', लेकिन जब अतिथि ही देवता को घूंसा मार दे? बेचारे रिसेप्शनिस्ट को समझ ही नहीं आया कि बाहर भागें या पुलिस बुलाएँ। उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन किया, पर मालिक साहब को पैसे प्यारे थे—महिला को निकालने की बजाय सब चुप्पी साध गए। हद है भाई!
कम्युनिटी की राय: "काम की जगह है होटल, वृद्धाश्रम नहीं!"
इस वाकये पर बहुत से लोगों ने अपनी राय दी। एक कमेंट में किसी ने लिखा, "अगर किसी ने आपको मारा है, तो पुलिस जरूर बुलाएँ, चाहे सामने वाला कितना भी बूढ़ा क्यों न हो। ये आपकी सुरक्षा का सवाल है।" और एक दूसरे सज्जन ने तो यहाँ तक कह दिया, "होटल कोई वृद्धाश्रम नहीं है! अगर अतिथि की मानसिक हालत ठीक नहीं, तो उसे इलाज की जरूरत है, होटल में रहने की नहीं।"
कुछ ने सलाह दी कि कभी भी किसी गेस्ट के कमरे में अकेले मत घुसो, खासकर रात के समय। हमारे देश में भी होटल स्टाफ को अकसर ऐसे खतरे झेलने पड़ते हैं, पर अफसोस, मैनेजमेंट ज्यादातर कमाई के आगे सब भूल जाता है।
एक और कमेंट में 'संडाउनिंग' के बारे में बताया गया—ये एक ऐसी अवस्था है जिसमें बुज़ुर्गों की याददाश्त या दिमागी हालत शाम होते-होते और बिगड़ जाती है। ऐसे में वे भ्रम, डर या गुस्से का शिकार हो सकते हैं। हमारे यहाँ भी अक्सर घरों में दादा-दादी की ऐसी हालत देखने को मिलती है, और परिवार वाले बड़ी मुश्किल से संभालते हैं।
सबक: होटल में रात की ड्यूटी—नाम बड़ा, तकलीफें अनगिनत
इस कहानी से क्या सीख मिलती है? सबसे अहम बात—कर्मचारी की सुरक्षा सबसे पहले! नौकरी कितनी भी प्यारी हो, अगर जान को खतरा है तो तुरंत आवाज़ उठाइए। और मैनेजमेंट वालों को भी समझना चाहिए कि 'पैसा ही सब कुछ नहीं', कभी-कभी इंसानियत और सुरक्षा भी ज़रूरी है।
कहानी थोड़ी हँसी-मज़ाक वाली लगी हो, पर सच्चाई यही है कि होटल की दुनिया बाहर से जितनी चमकदार दिखती है, अंदर से उतनी ही चुनौतीपूर्ण है। अगली बार जब आप होटल जाएँ, तो रिसेप्शन पर मुस्कराते चेहरे को सलाम जरूर करें—शायद वो भी किसी 'रात की रानी' के बवाल से जूझकर आया हो!
आप क्या सोचते हैं?
क्या आपको भी कभी ऐसे अजीबोगरीब गेस्ट या ऑफिस की किसी घटना का सामना करना पड़ा है? अपनी राय और अनुभव जरूर साझा कीजिएगा—शायद आपकी कहानी भी किसी की मुश्किल आसान कर दे!
मूल रेडिट पोस्ट: My room is freezing cold and there is a weird noise from somwhere!