होटल के ‘भूतिया मेहमान’ और मालिक की जिद: जब मैनेजर का धैर्य टूटा
कहते हैं, “जहाँ सस्ता कमरा, वहाँ हज़ारों समस्याएं!” अब सोचिए, अगर आप किसी छोटे से होटल के मैनेजर हैं, और ऊपर से आपके मालिक को झगड़े-झंझट में ही मज़ा आता हो, तो आपकी हालत क्या होगी? जी हाँ, यही हाल है दक्षिण न्यू मैक्सिको के एक छोटे से बुटीक होटल के मैनेजर का, जिनकी कहानी Reddit पर खूब वायरल हुई।
तीन साल से होटल संभाल रहे इस मैनेजर की ज़िंदगी वैसे ही आसान नहीं थी – 34 कमरे, 3 बाहर की प्रॉपर्टी, और चार इमारतों का झंझट! ऊपर से शहर में अजीब-अजीब लोग, कोई “हीलर” बनने आया तो कोई बस सिर छुपाने। होटल के मालिक 82 साल के हैं और हर किसी की दुखभरी कहानी सुनकर पिघल जाते हैं। अब बताइए, ऐसे में होटल का ‘अतिथि देवो भव’ वाला संस्कार कब तक निभाया जाए?
‘मरिसा’ – होटल की सबसे बड़ी सिरदर्दी
हर होटल में एक-आध ‘भूतिया मेहमान’ तो आपको मिल ही जाएगा, जो स्टाफ के लिए मुसीबत बन जाता है। यहाँ की ‘मरिसा’ ऐसी ही एक ‘बॉस लेवल’ मेहमान थी – कभी शांत, कभी गुस्से में पागल, हर समय रिकॉर्डिंग करती और चिल्लाती रहती। उनके लिए हाउसकीपिंग का स्टाफ नौकर नहीं, बल्कि उनके निजी सेवक थे – “मेरे कमरे की सफाई 9:30 पर होनी चाहिए, नहीं तो होटल की शामत आ जाएगी!”
सोचिए, कर्मचारी 9:30 पर काम शुरू करते हैं, पर मोहतरमा को 9:31 पर भी सफाई चाहिए। एक बार तो मरिसा ने स्टाफ को अपने 20 बक्से एक कमरे से दूसरे कमरे में उठवाने के लिए कहा। अब भाईसाहब, होटलवाले सफाई करने आए हैं या ‘गृह प्रवेश’ का काम करने?
मरिसा की नौटंकी यहीं नहीं रुकी। स्टाफ मीटिंग के बीच में घुसकर ऐसे हुक्म चलातीं जैसे खुद होटल मालिक हों। और हर बार, जब भी उनके मन मुताबिक काम नहीं हुआ, सीधे मालिक को फोन – “मुझे इग्नोर किया जा रहा है, होटल की हालत खराब है!” हद तो तब हो गई जब एक बार सिर्फ रिमोट की बैटरी खत्म होने पर पूरी होटल में हंगामा मचा दिया।
मालिक की ज़िद और स्टाफ की परेशानी
अब मालिक साहब का दिल इतना बड़ा कि, चाहे जितनी शिकायतें मिलें, मरिसा को बार-बार होटल में बुला लेते। “पैसा चाहिए, कमरे खाली हैं, बुला लो!” भले ही बाकी स्टाफ की बिलकुल न सुनी जाए। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस बात पर खूब तंज कसा – “अगर मालिक को ऐसा ही शौक है, तो अपना मोबाइल नंबर मत दो, और खुद ही इन मेहमानों का सामना करो।”
एक कमेंट में तो किसी ने साफ कह दिया, “अगर मरिसा फिर आई, तो होटल के रिसेप्शन पर वही बैठे, हम तो चल दिए!” कई लोगों को ये हालात अपने ऑफिस या दुकान की याद दिला गए – “हमारे यहाँ भी ऐसे ग्राहक आते हैं, लेकिन क्या करें, रोज़गार चलाना है।”
क्या सच में ‘पैसे’ ही सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं?
यहाँ सबसे बड़ा सवाल यही उठता है – क्या हर ग्राहक को सिर्फ पैसों की वजह से बर्दाश्त किया जाए? Reddit के कई यूज़र्स ने यह मुद्दा उठाया कि, “अगर एक खराब ग्राहक की वजह से बाकी ग्राहक और स्टाफ परेशान हो जाए, तो फायदा क्या?” एक यूज़र ने सलाह दी, “अगर मालिक नहीं बदलना चाहता, तो स्टाफ को अपनी मानसिक शांति के लिए नौकरी छोड़ देनी चाहिए।”
मजेदार बात यह कि खुद मैनेजर ने भी माना – “कई बार तो मालिक को खुद ही सबक सिखाने देता हूँ, ताकि उसे समझ आए कि कुछ ग्राहक सिर्फ मुसीबत हैं, कमाई नहीं!” और वैसे भी, छोटे शहरों में ‘सीधी-सादी नौकरी’ मिलना आसान नहीं, इसलिए कभी-कभी ये तमाशा भी झेलना पड़ता है।
समाधान या नई मुसीबत?
कहानी का ट्विस्ट तब आया जब मरिसा को आखिरकार होटल से बैन कर दिया गया – कुछ समय की शांति आई। लेकिन फिर मालिक की वही पुरानी आदत – “पैसे चाहिए, छूट पर बुला लो।” अब मैनेजर ने साफ कह दिया – “अगर मरिसा आई, तो उसकी सारी शिकायतें सिर्फ मालिक के पास जाएँगी। हम स्टाफ को अब उसकी बत्तमीज़ी नहीं झेलने देंगे।”
कई पाठकों ने मैनेजर की इस हिम्मत की तारीफ की – “अब आप सही कर रहे हैं, मालिक को खुद ही भुगतने दीजिए!” एक ने तो सुझाव दिया, “अगर मरिसा इतनी ही प्यारी है, तो मालिक उसे अपने घर बुला लें, होटल में क्यों परेशान हो रहे हैं!”
निष्कर्ष: होटल या धारावाहिक का सेट?
कुल मिलाकर, इस कहानी में हर उस छोटे होटल, गेस्टहाउस या दुकान की झलक है, जहाँ ग्राहक भगवान तो हैं, लेकिन कभी-कभी ‘राक्षस’ भी बन जाते हैं! ऐसे में स्टाफ और मालिक के बीच संतुलन बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा अनुभव हुआ है? क्या आप भी किसी ‘मरिसा’ जैसे ग्राहक से दो-चार हुए हैं? अपनी राय या किस्सा हमारे साथ ज़रूर साझा करें – शायद आपकी कहानी भी किसी को हँसा दे या सीख दे जाए!
मूल रेडिट पोस्ट: The Owner Keeps Inviting the Motel Goblins Back (and I’m Losing My Sanity)