होटल के बाहर 'ग्रैंड थेफ्ट ऑटो' – जब मेहमान की लापरवाही पर हो गई कार चोरी

ग्रैंड थेफ्ट ऑटो-थीम वाले ब्लॉग पोस्ट के लिए होटल में देर रात की कार आगमन का एनीमे-शैली चित्रण।
ग्रैंड थेफ्ट ऑटो की रोमांचक दुनिया में प्रवेश करें इस आकर्षक एनीमे चित्रण के साथ, जो एक रहस्यमय देर रात चेक-इन को दर्शाता है। पहिए के पीछे कौन से रहस्य छिपे हैं?

भैया, दुनिया में न जाने कौन-कौन सी अजीब घटनाएँ होती रहती हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसी कहानी सुनने को मिलती है कि दिमाग चकरा जाता है – "क्या सच में कोई इतना भोला हो सकता है?" तो चलिए, आज आपको होटल के बाहर घटी एक ऐसी घटना सुनाते हैं, जिसे सुनकर आप भी कहेंगे – "भैया, ये तो हद है!"

तो बात है एक पश्चिमी देश के होटल की, जहाँ एक ग्राहक सुबह-सुबह लगभग साढ़े तीन बजे अपनी कार लेकर पहुँचा। अब हमारे यहाँ तो इतने बजे होटल में कोई चाय पीने भी नहीं जाता, लेकिन वहाँ साहबजी आए थे चेक-इन करने। उन्होंने अपनी कार होटल के मुख्य दरवाजे के सामने पार्क की, इंजन चालू छोड़ा, और चाबी भी अंदर ही छोड़ दी। सोचिए, ये तो वैसा ही हुआ जैसे आप समोसे की दुकान पर जाकर पर्स खुले में छोड़ दें और दुकान वाले से बोलें – "भैया, दो प्लेट दे देना!"

अब जैसे ही वो मेहमान अंदर आए और नाइट ऑडिटर से चेक-इन करने लगे, बाहर किसी की बुरी नज़र उनकी कार पर पड़ गई। होटल के आसपास मंडराता एक शातिर, जो शायद मौका ही तलाश रहा था, फौरन लपका, सीधे कार में बैठा और गाड़ी लेकर हवा हो गया! जब हमारे साहब चेक-इन के बाद बाहर अपना सामान लेने गए, तो कार गायब! अब तो आँखें फटी की फटी रह गईं।

खैर, शुक्र मनाइए कि वो गाड़ी किराए की थी, वरना अपनी खुद की गाड़ी जाती तो दिल का दौरा ही पड़ जाता! लेकिन सोचिए, वो सारा लगेज, कपड़े, शायद पासपोर्ट, बटुआ – सब अंदर ही था। अब नया शहर, होटल के कमरे में बंद, न पैसा, न आईडी, और वापस घर कैसे जाएँ – ये तो वही जाने!

इस किस्से को जब होटल के कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर साझा किया, तो वहाँ भी लोगों की प्रतिक्रियाएँ कमाल की थीं। एक ने लिखा – "भैया, ये तो 'बुद्धू-टैक्स' दे आए!" यानी, इतनी बड़ी लापरवाही की कीमत तो चुकानी ही थी। दूसरे ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा – "लगता है, घर पर भी ऐसे ही दरवाजा खुला छोड़कर सोते होंगे, और स्टोव ऑन छोड़कर खिड़की खोल देते होंगे!" सच में, ये तो वही हाल है – "चोर-चोर मौसेरे भाई, और लापरवाही के आगे कोई दवाई नहीं।"

कुछ ने गंभीर बात भी कही – "इंश्योरेंस भी तभी मदद करेगा जब साबित कर पाओगे कि चाबी अंदर नहीं छोड़ी थी। आजकल की गाड़ियों में तो कार खुद ही चिल्ला उठती है अगर चाबी अंदर रह जाए!" और भाई, अगर आपकी किस्मत भी ऐसी हो कि चोर के साथ-साथ इंश्योरेंस कंपनी भी आपको लापरवाह मान ले, तो फिर तो भगवान ही मालिक है।

होटल स्टाफ को भी डर था कि अब कहीं ये साहब होटल की बुराई वाली रिव्यू तो नहीं लिख देंगे। जैसे हमारे यहाँ ग्राहक अपनी गलती पर भी दुकानदार को ही कोसते हैं – "भैया, आपकी दुकान पर ही तो पर्स चोरी हुआ!" वैसे ही यहाँ भी डर था कि कहीं किसी और की गलती होटल के सिर न आ जाए।

एक और मज़ेदार कमेंट था – "हमारे अखबार वाले के साथ भी यही हुआ था। वो हर सुबह कार चालू छोड़ अखबार देने जाता था, एक दिन किसी ने गाड़ी उड़ाई और सीधा एयरपोर्ट पार्किंग में छोड़ आया। पता चला, चोर को बस लिफ्ट चाहिए थी!" भाई, दुनिया में लोग न जाने कितने जुगाड़ू होते हैं।

वैसे तो हमारे देश में लोग अपनी गाड़ियों को ताले, हैंडल लॉक, स्टीयरिंग लॉक और पता नहीं क्या-क्या लगाकर रखते हैं, पर इस कहानी से एक सीख तो मिलती ही है – चाहे आप कहीं भी हों, लापरवाही की कीमत हमेशा चुकानी पड़ती है। और भैया, अगर किराए की गाड़ी हो, तो और भी सावधानी ज़रूरी है, क्योंकि सामान, आईडी और पैसे की कीमत तो कोई इंश्योरेंस नहीं चुका सकता।

तो अगली बार जब आप होटल जाएँ, चाहे वो दिल्ली का पाँच सितारा हो या गाँव का छोटा गेस्टहाउस, अपनी गाड़ी की चाबी जेब में रखें और दरवाजा लॉक करना न भूलें। वरना कहीं ऐसा न हो कि आपकी कहानी भी इंटरनेट पर वायरल हो जाए – और लोग हँसते-हँसते कहें, "ये तो हद है!"

आपकी क्या राय है? क्या आपने या आपके किसी जानने वाले ने कभी ऐसी भूल की है? नीचे कमेंट में लिखिए और दूसरों को भी सतर्क रहने की सीख दीजिए। भूलिए मत, "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी!"


मूल रेडिट पोस्ट: Grand Theft Auto