होटल के बाहर क्रैक पीने वाले मेहमान ने मचाया बवाल – ऐसी घटना आपने कभी नहीं सुनी होगी!
होटल रिसेप्शन का काम वैसे भी आसान नहीं होता – दिनभर आते-जाते मेहमान, बच्चों की शरारतें, और ऊपर से गुस्सैल माता-पिता। लेकिन कभी-कभी ऐसी घटनाएं घट जाती हैं, जिनका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता। आज मैं आपको एक ऐसे ही किस्से के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिसे सुनकर आपके चेहरे पर हंसी तो ज़रूर आ जाएगी, पर सोचने पर भी मजबूर हो जाएंगे कि “भाई, होटल में तो सबकुछ संभव है!”
शुक्रवार की वो थकी-हारी ड्यूटी और 'आफ्टर शिफ्ट' की पार्टी
सोचिए, शुक्रवार की रात – होटल का रिसेप्शन, बच्चे चीख रहे हैं, माता-पिता को कोई परवाह नहीं। जैसे हमारे यहाँ शादी-ब्याह में छोटे बच्चे स्टेज पर दौड़ते रहते हैं और बड़े लोग गप्पें मारते हैं, वैसे ही वहाँ की भी हालत! हमारे कहानी के नायक और उनकी सहयोगी (जो शाम 3 बजे से 11 बजे तक की शिफ्ट पर थे) का दिन काफी सिरदर्द वाला रहा।
शिफ्ट खत्म होते ही दोनों ने मन बनाया – चलो, सामने वाले देसी बार में जाकर थोड़ा मन बहला लेते हैं। जैसे भारत में लोग ऑफिस से निकलकर गोलगप्पे खाने चले जाते हैं या चाय की टपरी पर बैठ जाते हैं, वैसा ही कुछ! वहाँ जाकर उन्होंने खाना भी खाया, थोड़ा गप्पें मारीं और सहयोगी का बॉयफ्रेंड भी मिल गया। बातों-बातों में टाइम कब निकल गया, पता ही नहीं चला। करीब 12:30-1:00 बजे के बीच वे लोग वापस होटल लौटे – बस वॉशरूम यूज़ करना था, फिर घर निकलना था।
होटल लौटते ही सस्पेंस की शुरुआत
अब असली फिल्मी सीन शुरू होता है! होटल के लॉबी में घुसते वक्त सहयोगी के बॉयफ्रेंड ने फुसफुसाकर बताया – “अरे, बाहर जो आदमी बैठा है, उसके पास क्रैक पाइप थी!” (क्रैक पाइप यानी एक तरह की नशीली चीज़ पीने का पाइप)। सुनते ही सबके होश उड़ गए – मन में वही सवाल, “भाई, यहाँ भी ये सब होने लगा?”
जैसे हिंदी फिल्मों में हीरो-हीरोइन चोर को रंगे हाथ पकड़ने के लिए प्लान बनाते हैं, वैसे ही उन्होंने नाइट ऑडिट (होटल का रात का स्टाफ) से बात की। ऑडिट ने तुरंत पुलिस को फोन किया। सब लोग इंतजार करने लगे – जैसे मोहल्ले में चोरी हो जाए तो सब छतों पर चढ़कर तमाशा देखने लगते हैं, वैसा माहौल!
पुलिस आई, पर ‘गब्बर’ गायब!
अब क्लाइमेक्स देखिए – पुलिस आई, सब लोग बाहर देखने लगे। तभी, वो ‘क्रैक वाला’ साहब धीरे-धीरे लॉबी में आकर आंखों के सामने से गायब हो गए। मानो कोई जादूगर हो! होटल के ऑटोमैटिक दरवाजे लॉक करना भूल गए थे, वरना मामला वहीं सुलझ जाता। अब सबके मन में पछतावा – “काश, दरवाजा लॉक कर लेते तो ये गड़बड़ न होती।”
पाठक समुदाय की सलाह और मज़ेदार टिप्पणियां
इस पोस्ट पर एक पाठक ने बढ़िया बात कही – “अरे भाई, ऐसी गैरकानूनी और खतरनाक हरकत देखकर इंतजार मत करो, फौरन पुलिस को फोन करो! अब एक बार हो गया, अगली बार बिना सोचे-समझे तुरंत एक्शन लेना।” ये बात वैसे तो सब जानते हैं, जैसे हमारे यहाँ भी मोहल्ले में कोई संदिग्ध दिखे तो सीधा पुलिस को खबर करते हैं – “मुहल्ले का मामला है, चुप नहीं बैठ सकते!”
दूसरे पाठकों ने हंसी-मजाक में कहा – “होटल में इतना कुछ होता है, पर क्रैक वाला सीन पहली बार सुना!” किसी ने तो कह डाला – “साहब, होटल की नौकरी और रेलवे स्टेशन की चौकीदारी – दोनों में कभी बोरियत नहीं आती!”
भारतीय नजरिए से सीख
अब अगर यही किस्सा हमारे देश में होता तो? सोचिए, किसी लॉज या धर्मशाला के बाहर कोई ऐसी हरकत करता, तो आस-पास के लोग तुरंत घेर लेते, चायवाले से लेकर चौकीदार तक सबकी नजर उसी पर टिकी होती। पुलिस के आने से पहले ही ‘जनता दरबार’ लग जाता! लेकिन एक बात पक्की है – ऐसे वाकयों से सीख यही है कि सतर्क रहना बहुत ज़रूरी है, चाहे आप किसी भी देश या शहर में हों।
निष्कर्ष – होटल में ड्यूटी, मज़ा और हैरानी
तो दोस्तों, होटल की रिसेप्शन डेस्क पर काम करने वालों की ज़िंदगी में हर दिन नई फिल्म चलती है – कभी बच्चों की शरारत, कभी मेहमानों के नखरे, और कभी-कभी ऐसा ‘क्रैक’ वाला सीन! हमें चाहिए कि ऐसी अजीब घटनाओं में हिम्मत से काम लें, सतर्क रहें, और मज़ाकिया अंदाज में भी सीखना न भूलें।
अगर आपके साथ भी कभी होटल, धर्मशाला या ऑफिस में कोई अजीब घटना घटी हो, तो कमेंट में जरूर बताएं। और हाँ, अगली बार होटल जाएं तो बाहर क्या हो रहा है, एक बार नजर जरूर घुमा लें – क्या पता, कोई और ‘फिल्म’ शुरू होने वाली हो!
आपके किस्सों का इंतजार रहेगा!
मूल रेडिट पोस्ट: Hey... So maybe don't do crack outside the front entrance?