होटल की पुरानी तकनीक और मेहमान का मैसेज: क्या वाकई हम पीछे रह गए हैं?
भई, होटल में रिसेप्शन पर बैठना किसी फिल्मी हीरो का काम नहीं है! यहाँ रोज़ अलग-अलग रंग-रूप, तेवर और उम्मीदों वाले मेहमान आते हैं। लेकिन आज की कहानी है टेक्नोलॉजी, होटल मैनेजमेंट और मेहमान की उम्मीदों की तकरार की—एकदम मसालेदार अंदाज में!
कल दोपहर की बात है। एक मेहमान सुबह 11 बजे होटल आ पहुंची। ज़ाहिर है, कमरा अभी तैयार नहीं था। मैंने बड़े अदब से कहा, "मैडम, कमरा शायद 3 बजे तक तैयार हो जाएगा, आप चाहें तो लॉबी में बैठ सकती हैं या घूम-फिर आइए।"
मेहमान मुस्कुराईं और बोलीं, "क्या जब मेरा कमरा तैयार हो जाए तो आप मुझे मैसेज कर सकते हैं? ताकि मैं बेफिक्री से घूम सकूं।"
अब ये मांग सुनकर तो मैं थोड़ा शर्मिंदा हो गया। आखिरकार, आजकल हर जगह मोबाइल पर नोटिफिकेशन, SMS, WhatsApp मिलने लगे हैं। लेकिन हमें तो अपने होटल के सिस्टम में कॉल से आगे कुछ आता ही नहीं!
टेक्नोलॉजी की कमी: होटल इंडस्ट्री की 'लंगड़ी घोड़ी'
सच कहूँ, उस मेहमान के चेहरे पर हैरानी देखकर दिल से "हाय राम!" निकल गया। वो बोलीं, "पिछले तीन होटलों में तो मुझे SMS आते थे—कमरा तैयार, चेकआउट टाइम, मेंटेनेंस, सबका मैसेज।" और हमारे यहाँ? कॉल का झंझट, वो भी किसे पसंद है आजकल!
होटल का ये पुराना सिस्टम न सिर्फ मेहमान को परेशान करता है, बल्कि रिसेप्शन वालों की भी कमर तोड़ देता है। हर दो मिनट में कोई न कोई आकर पूछता—"भाई साहब, कमरा तैयार हुआ क्या?" कोई फोन पर लाइन लगाए बैठा है, कोई बार-बार डेस्क पर आकर झाँक जाता है—ज्यादा पूछे तो लगता है जैसे बर्तन माँजने के लिए बुला लेंगे!
एक कमेंट में किसी ने लिखा, "अगर रोज़-रोज़ ग्राहक एक ही चीज़ पूछ रहे हैं, तो यही तो सबसे बड़ा मौका है बदलाव का!"—बिल्कुल सही बात है! लेकिन हमारे मैनेजर साहब कहते हैं, "बजट नहीं है, ये हमारी प्राथमिकता नहीं है।" अब 400 डॉलर हर महीने तो दे ही रहे हैं, फिर भी सिस्टम वही पुरानी गाड़ी!
ग्राहक की उम्मीदें और होटल की 'बॉस' सोच
आजकल तो दाँतों के डॉक्टर भी अपॉइंटमेंट का SMS भेज देते हैं, रेस्टोरेंट वाला टेबल तैयार होते ही मैसेज करता है, यहाँ तक कि दूधवाला भी WhatsApp पर "आज दूध नहीं आएगा" भेज देता है। लेकिन हमारा होटल...? 2025 में भी कॉल पर अटका है!
एक मज़ेदार कमेंट में किसी ने लिखा, "कभी-कभी तो लगता है, मैनेजर को ग्राहक संतुष्टि से कोई मतलब ही नहीं। अगर ये प्राथमिकता नहीं, तो फिर क्या है?"
एक और ने कहा, "मैनेजर सिर्फ बजट देखता है, ग्राहक का मन नहीं।"
सच में, अक्सर मालिक-मैनेजर सिर्फ आँखों के सामने दिखने वाले पैसों के पीछे भागते हैं, और जो ग्राहक चुपचाप नाराज़ होकर अगली बार किसी और होटल चले जाएँ, वो नज़र ही नहीं आते।
आसान हल, लेकिन 'जुगाड़' वाला
कुछ अनुभवी लोगों ने सलाह दी, "भाई, इतना हाई-टेक सिस्टम चाहिए भी नहीं। रिसेप्शन पर एक अलग मोबाइल रख लो, उसी से SMS भेज दो।"
एक ने तो सीधा कहा, "हमारे यहाँ WhatsApp बिजनेस अकाउंट से फटाफट मैसेज भेज देते हैं।"
कोई बोले—"ईमेल टू SMS सर्विस ले लो, पाँच-दस पैसे में काम हो जाएगा।"
मतलब, हल तो है, बस थोड़ा दिमाग और मंशा चाहिए।
लेकिन, जैसा एक और कमेंट में कहा गया, "रिसेप्शन वाले जितना परवाह करें, उतना ही पछताएँगे। जब तक मैनेजमेंट खुद बदलने का मन न बनाए, तब तक रिसेप्शनिस्ट का बस सुझाव देना ही काम है।"
ग्राहक की 'आवाज़' ही असली बदलाव लाती है
कई अनुभवी लोग यही कहते हैं—अगर आप चाहते हैं कि होटल मैनेजमेंट सुने, तो मेहमानों को बोलिए कि फीडबैक फॉर्म, ऑनलाइन रिव्यू या Google रेटिंग पर अपनी बात लिखें।
एक जनाब ने तो अपने होटल में छोटा सा कार्ड छपवाया—"अगर आपको मोबाइल चेक-इन या मैसेज अपडेट चाहिए, तो यहाँ लिख दीजिए।" सारे कार्ड जमा करके मैनेजर के सामने रख दिए—"देखिए, असली ग्राहक की डिमांड!"
दरअसल, आजकल हर बिजनेस ग्राहक की 'आवाज़' से ही चलता है। ऑनलाइन रिव्यू, सोशल मीडिया, गूगल रेटिंग—इनका डर मैनेजर को भी है।
तो अगली बार जब आपका मनपसंद होटल "टेक्नोलॉजी में लेट" लगे, तो रिव्यू में जरूर लिखें—"मैसेज अपडेट नहीं मिला, अगली बार सोचूँगा!"
निष्कर्ष: बदलाव की हवा कब चलेगी?
तो भैया, टेक्नोलॉजी सिर्फ बड़े-बड़े शहरों, मल्टीनेशनल कंपनियों या बड़ी होटल चेन की जागीर नहीं है। एक छोटा सा मोबाइल या WhatsApp अकाउंट भी ग्राहक को खुश कर सकता है।
लेकिन असली बदलाव तब आता है, जब ग्राहक की आवाज़ मैनेजमेंट के कानों तक पहुँचती है।
तो अगली बार आप भी कहीं होटल जाएँ और ऐसी दिक्कत हो, तो बेहिचक अपनी बात कहिए—क्योंकि बदलाव वहीं से शुरू होता है।
आपका क्या अनुभव रहा है होटल में? क्या आपको भी कभी ऐसा महसूस हुआ कि "भई, ये तो बहुत पुराना सिस्टम है"? नीचे कमेंट में जरूर बताइए और अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए, ताकि अगली बार होटल वाले भी थोड़ा टेक्नोलॉजी में तेज़ी दिखाएँ!
मूल रेडिट पोस्ट: Guest asked if we could text her when her room was ready and honestly it made me feel embarrassed